– परमात्मा के नाम का सुमरन करने से बुधु भी बुद्धिमान हो जाता है : कंवर साहेब जी — धर्म एक ही है वो है मानव धर्म, बाकी तो रीत बनी हुई है : कंवर साहेब जी कहा: मानव धर्म मन वचन और कर्म से पवित्र बनाना सिखाता है। चरखी दादरी/रेवाड़ी जयवीर फौगाट, 13 मई, उपयुक्त समय और लगन के बिना कोई काम सफल नहीं होता। परमात्मा की रजा में रहना सीखो। किससे डरते हो, जब तक परमात्मा आपका सहाई है कोई आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता। रुई में लपेटी हुई आग कभी छिपती नहीं है इसलिए आपके मन अंतर की भक्ति स्वतः प्रकट होगी। यह सत्संग वचन परमसन्त सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने रेवाड़ी के कनीना रोड पर स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाये। हजारों की संख्या में उमड़ी साध संगत को सत्संग फरमाते हुए हुजूर कंवर साहेब जी ने कहा कि परमात्मा ना दिखता है ना बोलता है वो तो महसूस होता है। परमात्मा के सूक्ष्म रूप को देखने के लिये सूक्ष्म होना होगा। जब तक मन के दर्पण पर सांसारिक काई लगी रहेगी तब तक अंतर का नजारा नहीं दिखेगा। इस काई को हटाने के लिए अभ्यास करना पड़ेगा। यहीं अभ्यास आपको बुधु से बुद्ध बनाएगा। परमात्मा पल पल का हिसाब रखता है। वैसे तो आप चतुराई दिखाते हो लेकिन परमात्मा को पाने में बिल्कुल भी चतुर नहीं है। उन्होंने फरमाया कि संत अगर धरा पर नहीं आते तो निश्चित रूप से इस कलिकाल में इंसान का जीवन बहुत कष्ट वाला होना था। सन्तो का सत्संग इंसान को प्रेम करना सिखाता है। संत इंसान की यात्रा व्यक्तिगत जीवन से आध्यात्मिक जीवन तक तय करवाते हैं। संत पहले इंसान की शारीरिक व्याधियों को काटते हैं ताकि उसकी आत्मिक उन्नति का रास्ता बिना किसी व्यवधान के खुलता जाए। हुजूर महाराज जी ने कहा कि सांसारिक नातो रिश्तेदारों से इश्क़ आशिकी का प्रेम है लेकिन परमात्मा से प्रेम हकीकी का प्रेम है जो इंसान को भव सागर से पार करवाने का है। सतगुरु तत्व वेता त्रिगुण रहित और घर का भेदी हो : कंवर साहेब गुरु महाराज जी ने फरमाया कि सतगुरु तत्व वेता त्रिगुण रहित और घर का भेदी होना चाहिए। आज के युग मे ऐसा गुरु मिलना मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नही है। ऐसे भेखि गुरु खुद भी नरक में जाते हैं और औरो को भी नरको में ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि नानक साहब के समय में ऐसा हुआ था। किसी शहर में जब वो गए तो वहां के पीर ने लोगो को पत्थर मारने के लिए उकसाया। लोग पत्थर मारने लगे तो उनके हाथ वहीं के वहीं जाम हो गए। पीर नानक साहब के पैरों में गिर गए। अर्ज की कि अंतर की मंजिल के दर्शन करवाओ। नानक साहब त्रिगुण से परे थे, तत्व वेता थे, धुर घर के भेदी थे। उन्होंने अविलम्ब उनको अंतर घट के दर्शन करवाये। संत महात्मा समाज को सत्य के मार्ग पर डालने आते हैं। स्वामी दयानन्द ने भी इस समाज से अनेको कुरीतियों को मिटा दिया। हुजूर महाराज जी ने उच्च कोटि का अध्यात्म बांटते हुए कहा कि धर्म एक ही है वो है मानव धर्म। बाकी तो रीत बनी हुई है। मानव धर्म मन वचन और कर्म से पवित्र बनाना सिखाता है। परपीड़ा समझने और परोपकार की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि घायल की पीर एक घायल ही जानता है। जब तक मन मे दया प्रेम और सेवा का ख्याल नहीं होगा तब तक आप दूसरों की तकलीफ नहीं समझ पाएंगे। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि आज समाज गलत दिशा में जा रहा है। माँ बाप भी अपनी संतान को वो शिक्षा नहीं दे रहे जिससे वो अच्छा इंसान बने। किसलिए पाप कमा रहे हो। जो जमा कर रहे हों उसे आप नहीं कोई और ही बरतेगा। संतान के लिए धन नहीं संस्कारो की विरासत छोड़ कर जाओ। उन्होंने कहा कि एक घड़ी का सत्संग आपकी जिंदगी बदल सकता है। निरह पशुओं की बलि का पाप आप कर रहे हो वो आपको भोगना पड़ेगा : कंवर साहेबअजातशत्रु बिम्बिसार का पुत्र था और अपने पिता की हत्या करके राजा बना था। पशु बलि देता था। एक महात्मा ने उससे पूछा कि किसलिए इन निरह पशुओं को बलि लेते हो जो पाप आप कर रहे हो वो आपको भोगना पड़ेगा। बिम्बिसार ने महात्मा के पैर पकड़ लिए। उस दिन के बाद से उसने बौद्ध धर्म अपनाया। गुरु महाराज जी ने कहा कि सबके अंतर में दया का भाव है बस केवल उसे उजागर करना है। इस भाव को उजागर वो करता है जो करनी करता हो। उन्होंने कहा कि पाप छिपाने से छिपता नहीं है। आपका पाप एक दिन आपके आगे आएगा। इसलिए समय रहते चेतो और अपना जगत और अगत सुधारो। संत समाज के कल्याण के लिए और जीवो को इस संसार रूपी जेल से मुक्ति दिलाने के लिए आते हैं। ना जाने कितने शरीर हमने धारे होंगे लेकिन इस मनुष्य यौनि में आकर तो हमारे पास अपने कर्म सुधारने का मौका है। सतगुरु से नाम रूपी साबुन लेकर अपने मन रूपी कपड़े को उजला कर लो। उन्होंने कहा कि हर इंसान अगर अपने कर्तव्य को सही निभा दे तो समाज सुधर जाएगा। आज नशे का बोलबाला है, नैतिकता का ह्रास हो रहा है।नौजवान बच्चे आज पथ भृष्ट हो रहे हैं। अगर अब भी नहीं चेते तो सोचो हमारा भविष्य क्या होगा। अब भी समय है सत्संग वचनों को महापुरषो के कथनों को जीवन मे धारो। घरों में प्यार प्रेम रखो। संस्कार जगाओ। मां बाप बड़े बुजुर्गों का आदर सत्कार करो। अच्छाई और बुराई के बीच के अंतर को समझो। मन मे शांति रखो। Post navigation सरकार ने जो विशेष गिरदावरी करवाई उसमें फसल खराबा मात्र 3.20 लाख एकड़ में दर्शाया : विद्रोही कर्नाटक में कांग्रेस की जीत को प्रधानमंत्री व साम्प्रदायिक उन्मादी, नफरत, बटवारे की सोच की करारी हार : विद्रोही