जिले में नहरी पानी की असमानता व पक्षपात आज भी बदस्तूर जारी

नारनौल। सर्व समाज मंच के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम गोमला ने एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिए सांसद द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए कहा कि जिले में नहरी पानी की असमानता व पक्षपात आज भी बदस्तूर जारी है। जिला को नहरी पानी देने के खोखले दावे की पोल खुद सांसद ने अपने पत्र के द्वारा खोल दी है।

उन्होने सांसद द्वारा मुख्यमंत्री के नाम जारी पत्र का जिक्र करके बताया कि पत्र की प्रथम पंक्ति बीजेपी को आइना दिखाते हुए बता रही है कि जिस नहरी पानी की पूर्ति का राग अलापा जा रहा है यह तो लगभग पचास साल पहले की सरकार की देन है । जिसने लिफ़्ट सिस्टम के जरिए पानी पहुंचाने की योजना से इस क्षेत्र को नहरी पानी दिया ।

उन्होने सांसद की दूरगामी राजनीति का खुलासा करते हुए बताया कि प्रदेश की अन्य नहरों, फ़ीडरों व माइनरों का कोई जिक्र ना करके सांसद ने पत्र में जवाहरलाल नेहरू कैनाल, महेन्द्रगढ़ कैनाल , सतनाली फ़ीडर, लोहारु फ़ीडर ,जूई फ़ीडर व सिवानी फ़ीडर का जिक्र करके 2026 के बाद के परिसीमन के लिए राजनीतिक जमीन मजबूत करने के संकेत दे दिए कि आगामी परिसीमन के बाद बनने वाले सम्भावित लोकसभा क्षेत्र के लिए वे अभी से चिन्तित हैं ।

राधेश्याम गोमला ने कहा कि सांसद का यह पत्र स्पष्ट कर रहा है कि कथित नेताओं द्वारा जिला महेन्द्रगढ़ को नहरी पानी देने के दावे कितने खोखले हैं । पत्र स्पष्ट कर रहा है कि जिला महेन्द्रगढ़ को अभी तक इसके वास्तविक हिस्से का पानी भी नहीं मिला है । केवल अब जोहड़ आदि को भी बरसात के पानी से जीवित रखा जा सके ।‌ यानि अब तक जो पानी आ रहा है वह अतिरिक्त बरसाती पानी है, जो उधर सेम की स्थिति पैदा करता है उसे लिफ़्ट के जरिए जिला महेन्द्रगढ़ को दिया जा रहा है । यह दिया जाने वाला पानी जिला महेन्द्रगढ़ के हिस्से का नहरी पानी नही है । यह केवल बरसाती पानी है ।

उन्होने कहा कि सांसद पत्र के द्वारा स्वयं स्वीकार रहे हैं कि निजामपुर, नांगल चौधरी , अटेली, सतनाली व नारनौल ब्लाकों में “कुछ हद तक” ही पानी पहुँचा है । ये शब्द “कुछ हद तक” अपने आप में सब कुछ कह रहे हैं । यानि हिस्से का पूरा पानी न मिलकर “कुछ हद तक” ही पानी मिला है जो कि सतत चलने वाला नहरी पानी नही केवल बरसाती पानी है ।

राधेश्याम गोमला ने कहा कि सांसद ने 2000 क्युसिक पानी की क्षमता का जिक्र करके पत्र के जरिए बताया है कि जिला को कम से कम 2000 दो हजार क्युसिक पानी मिलना चाहिए जो केवल “कुछ हद तक” ही मिल रहा है ।

अब यहाँ सवाल यह खडा होता है कि जब सांसद या अन्य प्रतिनिधियों को इस बात का पता है कि यहाँ कम से कम दो हजार क्युसिक पानी की जरूरत है तो अब तक इसके लिए उन लोगों ने प्रयास क्यों नही किए ।

उन्होने सांसद के पत्र बारे आगे बताया कि खुद सांसद ने पत्र में आगे पूर्व लिखित पत्र का हवाला देकर सतनाली को मिलने वाले पानी की पोल खोलते हुए लिखा है कि सतनाली फ़ीडर की क्षमता 293.50 क्युसिक है , जबकि अब तक वहाँ केवल अधिक से 180 क्युसिक पानी ही पहुंचा है | यानि सतनाली के पानी की सरेआम कटौती हो रही है ।

राधेश्याम गोमला ने कहा कि यह तो कटौती है, उस लिकेज का तो पत्र में जिक्र ही नहीं है जो स्याणा व बालरोड के पास से पाइपलाइन के जरिए ले जा रहा है । जाहिर है कि एक तो पानी पहले से ही कम मिल रहा है उस पर लिकेज करके पानी ले जाया जा रहा है । ऐसे हालात में स्वाभाविक तौर पर सतनाली के साथ सरासर अन्याय हो रहा है । उन्होने कहा कि होना यह चाहिए कि सतनाली फ़ीडर की लिकेज बंद करके पहले तो उसे पूरा 293.50 क्युसिक पानी दिया जाना चाहिए । उसके बाद कमीपूर्ति के लिए सतनाली फ़ीडर की क्षमता बढ़ाकर चार सौ क्युसिक कर दी जानी चाहिए । मगर पहले लिकेज अवश्य बन्द हो |

राधेश्याम ने बताया कि पत्र में किसी नेता का जिक्र करके सांसद ने जाहिर कर दिया कि कोई है जो उन्हे पार्टी में ही चुनौती दे रहा है । इसके जरिए सांसद ने आंशिक संकेत भी दिया है कि उनके अतिरिक्त किसी अन्य के लिए भिवानी महेन्द्रगढ़ लोकसभा का चुनाव लड़ना आसान भी नहीं है ।

उन्होने कहा कि सर्व समाज मंच और जिला महेन्द्रगढ़ की जागरूक जनता अपने हितों के लिए सजग है । अपने हिस्से का पानी जनता लेकर रहेगी ।

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