विश्व विख्यात अमेरिकी संस्थान के साथ समझौते से विद्यार्थियों को रोजगार के उच्च अवसर प्राप्त होंगेः प्रो. सोमनाथ सचदेवा

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा मिडलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के बीच हुआ समझौता।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 18 अप्रैल : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कमेटी रूम में मंगलवार को मिडलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज मॉन्टेरी कैलिफोर्निया, अमेरिका स्थित के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा की अध्यक्षता में हस्ताक्षर हुए।

इस अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि दोनों संस्थानों को शैक्षणिक और शैक्षिक सहयोग विकसित करने, अनुसंधान सांझा करने, प्रोफेशनल इंटर्नशिप और तकनीकी सहयोग और स्थायी साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए यह समझौता किया गया है। इस समझौते में स्नातक छात्रों का आदान-प्रदान, संकाय, शैक्षणिक सामग्री और प्रकाशन भी शामिल होगा। इसके तहत् कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा एमआईआईएस छात्रों को सांस्कृतिक, राजनीतिक और भौगोलिक सीमाओं से परे सहयोग करने और योगदान करने का अवसर भी प्रदान करेगा। कुवि कुलपति प्रो सोमनाथ ने कहा कि एमआईआईएस पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन और संरक्षण, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, विदेशी भाषा और भाषा विज्ञान सहित 14 विषयों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रदान करता है। एमआईआईएस के साथ सहयोग करने वाला केयू भारत का एकमात्र उच्च शिक्षण संस्थान है।

कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि इस समझौते से विद्यार्थियों को रोजगार के उच्च अवसर प्राप्त होंगे और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्रों को वैश्विक स्तर पर मंच मिलेगा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छात्रों को प्रोत्साहन मिलेगा और विश्वविद्यालय देश के साथ-साथ दुनिया के अन्य देशों के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करेगा। यह ब्लू इकोनॉमी में शिक्षण और अनुसंधान में योगदान करके और ग्लोबल कॉमन्स और सतत विकास से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए विश्वविद्यालय को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने वाला एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन है।

प्रो. सोमनाथ ने कहा कि केयू ने ब्लू इकोनॉमी/ओशन इकोनॉमी में इकोसिस्टम पर ध्यान केंद्रित करते हुए पाठ्यक्रम शुरू किया है जिसमें गहरे समुद्र में खनन के प्राकृतिक पूंजी मूल्यांकन के साथ-साथ पर्यावरणीय मूल्यांकन के साथ क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर ब्लू इकोनॉमी की रणनीतियों और कार्यान्वयन कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया है। इस अवसर पर कुलसचिव प्रोफेसर संजीव शर्मा और एमआईआईएस के उपाध्यक्ष जेफ डेटन-जॉनसन ने समझौते पर ऑनलाइन हस्ताक्षर किए।

इस अवसर पर डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. अनिल वशिष्ठ ने कहा कि यह समझौता हमारे छात्रों को एक वैश्विक मंच प्रदान करेगा और ब्लू इकोनॉमी को सतत् विकास के साथ मानव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान का प्रयोग करके हम नए आयाम स्थापित कर सकते हैं।

केयू और एमआईआईएस के बीच समझौते की शुरुआत प्रो. वी.एन. अत्री, केयू के इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंडो-पैसिफिक स्टडीज के संस्थापक निदेशक, इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के पूर्व अध्यक्ष और ब्लू इकोनॉमी के क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध विशेषज्ञ के प्रयासों द्वारा हुई है। ब्लू इकोनॉमी अनुसंधान और नीति निर्माण का वह क्षेत्र है जो वर्तमान में प्रमुख वैश्विक महत्व रखता है। केयू और एमआईआईएस ब्लू इकॉनमी (महासागर) अर्थव्यवस्था की क्षमता का अध्ययन और दोहन करने के लिए मिलकर काम करेंगे, जिसकी अर्थव्यवस्था प्रति वर्ष 2.5 ट्रिलियन डॉलर है और जो 2030 तक दोगुनी होकर 5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को 2030 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगा।

इस मौके पर कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, प्रो. वीएन अत्री, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रोफेसर अनिल वशिष्ठ, अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. अशोक चौहान, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो ब्रजेश साहनी, वित्त अधिकारी डॉ. पंकज गुप्ता मौजूद थे।

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