परिवार पहचान पत्र में मुख्यालय वाले बदलाव कॉमन सर्विस सेंटर में करते मिले दो से तीन हजार रुपए में फैमिली आईडी से छेड़छाड़ भारत सारथी हिसार। हरियाणा के हिसार में परिवार पहचान पत्र से छेड़छाड़ करने वाले कॉमन सर्विस सेंटर संचालकों का एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। आरोपी इसके बदले में दो हजार से 3000 रुपए तक लेते थे। एडीसी नीरज कुमार ने इस मामले की जांच की थी। इसके बाद पुलिस ने 7 आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट सहित दस अलग-अलग धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। आरोपियों में अमित कुमार, सुनील कुमार, प्रदीप श्योराण, अमित, सोनू, जगदीश व सुरेंद्र शामिल है। गिरोह के 7 सदस्यों में से चार उकलाना, एक नारनौंद और 2 लोग फतेहाबाद के रहने वाले हैं। एडीसी नीरज ने पुलिस को भेजी शिकायत में बताया कि परिवार पहचान पत्र में हरियाणा सरकार ने कुछ गतिविधियां प्रतिबंधित की है। इसका निपटारा मुख्यालय द्वारा ही किया जाता है । जिसमें कि बैंक अकाउंट अपडेशन, व्यवसाय बदलना, रिहायश बदलना व फैमिली आईडी में परिवार को विभाजित करना शामिल है। मगर पिछले कुछ समय से उकलाना में सीएससी ऑपरेटर अमित कुमार विभाग द्वारा प्रतिबंधित माडल से छेड़छाड़ कर रहा था। इन गतिविधियों में कई सीएससी संचालक भी शामिल है। मामले सामने आने के बाद इसकी जांच की गई। जांच में कुछ फैमिली आईडी की जांच की गई। जैसे कि अमित कुमार ने श्रुति देवी का व्यवसाय कंस्ट्रक्शन वर्क किया। इसी फैमिली आईडी को विभाजित किया गया। जब एक व्यक्ति अशोक कुमार की फैमिली आईडी जांच कर उनसे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि अमित कुमार ने कंस्ट्रक्शन वर्क के लिए तीन हजार तथा फैमिली आईडी को विभाजित करने के लिए 2000 रुपए लिए थे। अतिरिक्त उपायुक्त ने अपनी जांच में अमित कुमार से पूछताछ की तो उसने बताया कि परिवार पहचान पत्र में व्यवसाय बदलने का कार्य प्रभु वाला का सीएससी संचालक सुनील कुमार, प्रदीप सहारण, अमित बरवाला और सोनू नारनौंद द्वारा किया जाता है । अमित बरवाला से लेबर काफी का कार्य सोनू नाम से आईडी / का कार्य और प्रदीप श्योराण से कंट्रक्शन वर्क का कार्य करवाता है। फैमिली आईडी में अलग करने बदले का कार्य जगदीश समैन से भी करवाता है। सीएससी संचालक अमित खुद बरवाला को लेबर काफी अप्रूव करवाने के बदले में 15 सौ रुपए देता था। जबकि लोगों से फैमिली आईडी अलग करवाने के लिए 1800 रुपए लेता था। और वह 15 सौ रुपए आगे देता था। फैमिली आईडी में मेंबर को डिलीट करने के लिए वह लोगों से 700 रुपए लेता था और आगे 500 रुपए देता था। अमित द्वारा किए गए परिवार पहचान पत्रों में से छेड़छाड़ कर क्रिड विभाग चंडीगढ़ मुख्यालय के अधिकारी अरुण महेंद्रू ने जांच की तो पता चला कि कुछ परिवार पहचान पत्र में सुरेंद्र निवासी फतेहाबाद व सुनील कुमार निवासी प्रभुवाला द्वारा संशोधन किया जा रहा है। इसलिए इसकी जांच की जरूरत है ताकि पूरी गैंग का खुलासा हो सके। परिवार पहचान पत्र में छेड़छाड़ के राज में अलग-अलग धाराओं के तहत आरोपियों को 10 साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। Post navigation डांस और थियेटर से मुझे खुशी मिलती है : ज्योति चुघ लघुकथा : मनीप्लांट, मैं और आप