-कमलेश भारतीय

आज जलियांवाला बाग को याद करने का दिन है । तभी तो सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखी थी कविता –
बसंत धीरे से आना इस बाग में
यहां अनेक शहीद सो रहे हैं !

अनेक बार अमृतसर जाना हुआ और हर बार जलियांवाला बाग भी शहीदों को नमन् करने जरूर गया और संभवतः हर कोई जो अमृतसर घूमने जाता है, वह जलियांवाला बाग जरूर नमन् करने जाता है । सचमुच बहुत ही संकीर्ण जगह के बीच यह बाग है और कहीं से भागने का रास्ता भी न छोड़ा था जालिम डायर ने तो फिर कुंयें में ही छलांग लगा गये अनेक लोग ! दीवारों पर गोलियों के निशान अभी तक मौजूद हैं । अभी इसके महत्त्व को देखते हुए पंजाब सरकार इसके जीर्णोद्धार का काम करवा रही है ।

शहीद भगत सिंह इस लोमहर्षक कांड के बाद लाहौर से अकेले रेलगाड़ी से अमृतसर आये थे । घर में सिर्फ अपनी बहन बीबी अमरकौर को बता कर और यहां आकर बाग की मिट्टी लेकर गये थे जिसे अपने सामने मेज पर रख लिया था । इसी बाग की मिट्टी में से जैसे शहीद भगत सिंह का नया जन्म हुआ था । जैसे जैसे शहीदों के लहू से घुली मिट्टी देखते उस तेरह साल के बच्चे में अंग्रेजों को सबक सिखाने की भावना बलवती होती गयी ! इस मिट्टी ने बालमन पर बहुत गहरा असर किया । आखिर वह दिन भी आया जब डायर को मारने निकले लेकिन सांडर्स को मार गिराया । गलत सूचना और इशारा ! इसके बावजूद यह बात सही कही बम कांड की सुनवाई के दौरान कि बहरों को सुनाने के लिया हमे बम विस्फोट करना पड़ा पर हम किसी को मारना नहीं चाहते थे । हम क्रांतिकारी हैं , देशद्रोही नहीं ।

यह दिन डाॅ भीम राव अम्बेडकर को याद करने का दिन भी है । सामाजिक समरसता , समानता के प्रतीक हैं डाॅ अम्बेडकर ! कितने नीचे से कितने ऊपर उठे और इनकी जीवनी पढ़कर रूह कांप उठती है । फिर भी देश को अमृत जैसा संविधान दिया । डाॅ अम्बेडकर को कितने कितने कष्ट सहन करने पड़े फिर भी साहस न छोड़ा और ऊंचाइयों पर पहुंचे । इनकी विचारधारा पर दल तो बने लेकिन इनकी विचारधारा से कोई गहरा नाता न रखा ! फिर भी इनको स्मरण करने का दिन है ।

वैसे बैसाखी फसल की कटाई के साथ जुड़ा खुशी का त्योहार है । गिद्धा और भंगडा इसी से निकले हैं जब अपनी फसल को पकी देखकर किसान अपने परिवार के साथ खुशी में नाच उठता है ! आज बेमौसमी बरसात से किसान परेशान है । सरकार अन्नदाता की सुध ले तो उसकी बैसाखी मनाई जाये !

शहीद भगत सिंह , डाॅ अम्बेडकर और बैसाखी पर्व पर सबको बधाई ।
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075

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