खजाने को लगा करोड़ों का चूना! पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर भी सवाल अशोक कुमार कौशिक एक बार फिर हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी और जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी) की सरकार में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की फ़ेहरिस्त सामने आई है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को करोड़ों का चूना लगा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से लेकर योजनाओं में विलंब, गलत फैसलों और जब्त लाल चंदन की लकड़ी के निपटान तक में सरकार की उदासीनता से राजस्व की भारी हानि हुई है। यही नहीं खेलों में देश को सोने के तमगे दिलाने की खान माने जाने वाले हरियाणा की खेल नीति के उल्लंघन पर भी गंभीर सवाल उठे हैं। बीजेपी-जेजेपी सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन और उदासीनता की यह फ़ेहरिस्त 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष के लिए कैग की रिपोर्ट में सामने आई है। विकास कार्यों को अंजाम देने के लिए 2008-09 में शुरू की गई एक योजना ही सरकार की उदासीनता और गलत प्रबंधन की भेंट चढ़ गई। इसका नाम था जिला योजना स्कीम। 2018-19 से 2020-21 की अवधि में इस योजना के मद में आवंटित राशि में उल्लेखनीय गिरावट इस बात की तस्दीक करती है। 2018-19 में 700 करोड़ से 2020-21 में 200 करोड़ पर पहुंचा यह आवंटन मिली धनराशि का उपयोग करने में असमर्थता का परिणाम बताया गया है। जिला योजनाएं तैयार की गईं और काफी विलंब से मुख्यालय भेजी गईं, जिसके चलते कार्य प्रारंभ होने में विलंब हुआ और मिली राशि लैप्स हो गई। निगरानी का भी बेहद अभाव रहा। नगर निकायों को उनके हिस्से के रूप में उगाहे गए शुल्क के ट्रांसफर में भी यही स्थिति सामने आई है। स्टांप शुल्क के भाग के रूप में लिए गए नगर पालिका शुल्क का ट्रांसफर 2016-17 से 2020-21 के बीच 663.35 से 2,178.98 करोड़ के मध्य बकाया था। इसमें नगर निकायों को निधियों के हस्तांतरण में विलंब, राज्य सरकार की प्रक्रियाओं में कमी और आंतरिक नियंत्रण का अभाव बताया गया है। बहुचर्चित पीएम किसान सम्मान को लेकर भी गंभीर टिप्पणी की गई है। इसमें कहा गया है कि अनुचित पहचान, गैर-सत्यापन तथा पीएम किसान योजना की निगरानी में चूक के कारण राज्य सरकार के पेंशनरों को 131.40 लाख के लाभ वितरित किए गए। इसके अतिरिक्त आयकरदाताओं और अयोग्य लाभार्थियों को वितरित की गई राशि की वसूली नहीं हुई। परिवार के एक से अधिक सदस्यों को लाभ दिए गए। जिन लाभार्थियों के पास कृषि भूमि नहीं है उन्हें भी लाभ दिया गया। मृतक लाभार्थियों को लाभ दिया गया। 420.38 लाख की राशि के प्रशासनिक व्यय की प्राप्ति नहीं हुई। भौतिक सत्यापन हेतु लंबित लाभार्थियों को लाभ जारी किए गए। यही नहीं प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट की स्थापना नहीं हुई तथा भौतिक सत्यापन के लक्ष्य भी प्राप्त नहीं हुए। कैग ने बताया कि सोनीपत में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के निर्माण में अविवेकपूर्ण समय विस्तार के कारण असामान्य विलंब, पेनल्टी और ब्याज की हानि के साथ शेष कार्य की पेनल्टी के रूप में संविदा को निरस्त न किए जाने के कारण ठेकेदार को 26.46 करोड़ का अनुचित लाभ हुआ। फरीदाबाद नगर निगम में भी गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। कैग के मुताबिक अनुमोदन के बिना निर्धारित ई-संविदा प्रक्रिया की उपेक्षा कर ठेकेदार को कार्यों का आवंटन, ठेकेदार के नाम में मामूली बदलाव से आवंटन की पुनरावृत्ति, लेकिन एक ही टिन नंबर और व्यवसाय का स्थान होने से नगर निगम को 23.80 करोड़ की हानि हुई। इन भुगतानों के विरुद्ध कोई कार्य निष्पादित नहीं किया गया था। इसके अलावा उसी ठेकेदार को 183.83 करोड़ की राशि उचित दस्तावेज के बिना वितरित कर दी गई, जो कमजोर आंतरिक और वित्तीय नियंत्रण दर्शाता है। हेल्थ महकमे पर भी टिप्पणी करते हुए राजकीय होम्योपैथिक कालेज और अस्पताल की स्थापना में 3 वर्ष का विलंब होने के कारण राजकोषीय हानि की बात कही गई है। इससे राज्य की जनता एवं छात्रों को अपेक्षित लाभ से वंचित करने के साथ राजकोष पर 3.88 करोड़ का अरिक्ति भार पड़ा है। खेल में देश को सोने के तमगे दिलाने वाली खान माने जाने वाले हरियाणा की खेल नीति के उल्लंघन पर गंभीर टिप्पणी की गई है। कैग ने लिखा है कि खिलाडि़यों को नकद पुरस्कार के वितरण के संबंध में हरियाणा खेल एवं शारीरिक फिटनेस नीति के प्रावधानों का पालन न करने के परिणामस्वरूप नीति का उल्लंधन हुआ एवं विभाग ने अयोग्य खिलाडि़यों को नकद पुरस्कार का अनियमित भुगतान किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विनियमों के उल्लंघन में कैरियर उन्नति योजना के अंतर्गत फैकल्टी सदस्यों की पदोन्नति के परिणाम स्वरूप 14.75 करोड़ के वेतन एवं भत्तों का अस्वीकार्य भुगतान किया गया। पेंशन के भुगतान के कारण राज्य की संचित निधि में से 9.56 करोड़ का अधिक-अनियमित भुगतान भारतीय स्टेट बैंक के साथ-साथ खजाना एवं लेखा विभाग की ओर से कमियों को दर्शाता है। भारत सरकार से केंद्रीय सहायत के कम दावे के कारण 1.20 करोड़ की हानि तथा केंद्रीय सहायता के विलंबित दावों के कारण 7.30 करोड़ के ब्याज की हानि हुई। कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि जब्त की गई लाल चंदन की लकड़ी के निपटान में वन विभाग के उदासीन दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप 22.12 करोड़ के राजस्व की हानि हुई और जब्त की गई लाल चंदन की लकड़ी निगरानी पर 96.14 लाख का परिहार्य व्यय हुआ। नियमों का उल्लंघन कर होमगार्ड स्वयं सेवकों की सेवा निवृत्ति आयु 50 से 58 वर्ष तक बढ़ाने के कमांडेंट जनरल के अनुचित निर्णय के परिणामस्वरूप अयोग्य होमगार्ड स्वयंसेवकों को 10.30 करोड़ का अनियमित भुगतान किया गया। शिक्षा विभाग पर टिप्पणी करते हुए लिखा है कि उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक की ओर से 149 राजकीय कालेजों के लिए कम छूट दर पर 4 करोड़ की पुस्तकालय की पुस्तकों के क्रय में अनियमितता के परिणामस्वरूप 79.96 लाख का परिहार्य व्यय एवं क्रय गतिविधि में लापरवाही के कारण 12.62 लाख की अतिरिक्त हानि हुई। Post navigation भिवानी जिला का गांव दूल्हेडी स्वच्छता अभियान के लिए देशभर में बना प्रेरणा का स्त्रोत – 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