अपनी इच्छाओं को मत लादो और विस्थापन का दर्द –कमलेश भारतीय हिसार की तरह भिवानी की मीरा कल्चरल सोसायटी ने भी विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय नाट्योत्सव का आयोजन किया । यह आयोजन कोरोना काल के बाद ही किया जा रहा है । वैसे इसकी शुरुआत सन् 2017 में हुई थी । कल पहला दिन था । इसमें कुरूक्षेत्र से आई रंगटोली ने मानव कौल लिखित नाटक पार्क का मंचन किया । इसके दो संदेश रहे । एक तो अपने बच्चों पर माता पिता व अभिभावकों को अपने सपने या इच्छायें नहीं लादनी चाहिएं और दूसरे पार्क के अधीन बैंचों से ही विस्थापन का दर्द और कारण बहुत ही सरलता से न केवल लेखक बल्कि निर्देशक विकास शर्मा दर्शको तक पहुंचाने में सफल रहे । संगीत ने भी बांधे रखा तो कलाकारों ने भी । शिक्षकों को भी बच्चों की प्रतिभा को समझने की कोशिश करनी चाहिए । शिक्षक भी उतने ही दोषी हैं । आखिर मे बच्चा जब रिपोर्ट कार्ड लेकर आता है और असफल होता है तब भी उसका पिता उसे गले लगा लेता है और यही भावना , यही संदेश है । विस्थापन का दर्द महज पार्क की बैंच के बदलने से ही पहुंचाने मे कलाकार सफल रहे । सेट मे भी पार्क की लुक अच्छी रही । यह बहुत ही खुशी की बात है कि भिवानी जैसे शहरों में भी सोनू रोंझिया जैसे रंगकर्मी रंगकर्म की अलख जलाये हुए हैं । नाटक हमारे जीवन में सार्थक संदेश देते हैं और नयी ताजगी भी मिलती है । सोनू ने नए रंगकर्मियों की टोली तैयार की है जो भिवानी को आने वाले समय में भी नाटक का आनंद देती रहेगी । कमलेश भारतीय का सम्मान : हरियाणा ग्रंथ अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष व हरियाणा लेखक मंच के अध्यक्ष कमलेश भारतीय को रंगमंच के दिवस के अवसर पर नाटकों व रंगकर्मियों को प्रोत्साहित करने के लिये सम्मानित किया गया । ये रहे मौजूद : इस अवसर पर डाॅ कर्ण पूनिया , ईश्वर धामू , वीरेंद्र सरीन , परी राजपूत , शुभम् , शैलेंद्र सिंह, नीटा चावला, रीना तनेजा, अनीता शर्मा (प्रिंसिपल, दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक स्कूल), संजय कुमार, अश्विनी सैनी, कौशल भारद्वाज, डॉ हरिकेश पंघाल, डॉ सुदर्शन धमीजा , अनुपमा धमीजा, आदित्य गोयल, शीतल पहल, पुलकित आर्य, अनूप कुमार, अपूर्व यादव , वी एम बेचैन आदि मौजूद रहे । रोहतक से आए रंगकर्मी अरूण शर्मा ने संचालन किया । Post navigation नौ दिन कन्या पूजकर, सब जाते है भूल…….. देवी के नवरात्र तब, लगते सभी फिजूल बात यहां तक पहुंची ,,,,,, अयोग्य सांसद : डिसक्वालिफाइड डेमोक्रेसी ?