विदेश से आए बच्चों को यहां आकर मिलती है भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों की जानकारी : डा. जय भगवान सिंगला

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 24 मार्च : अपनों से नकारे गए और घरों से निकाले गए बुजुर्गों से मिलने कोई विदेश से आए और घंटों बुजुर्गों के साथ बिताए तो यह बुजुर्गों के लिए बहुत खुशियों भरे आलौकिक पल होते हैं। ऐसा ही वातावरण कुरुक्षेत्र के प्रेरणा वृद्धाश्रम में बना जब अमेरिका एवं कनाड़ा से प्रेरणा वृद्धाश्रम को देखने के लिए जैन परिवार पहुंचा। वर्षों पहले भारत से जाकर अमेरिका में स्थापित हो चुके निर्मल जैन और कनाड़ा से उनका बेटा अभिषेक जैन, बहु सुशीला जैन, पोती दृष्टि एवं पोता परिणभ जैन प्रेरणा वृद्धाश्रम में पहुंचे तो उनका प्रेरणा वृद्धाश्रम के संस्थापक डा. जय भगवान सिंगला, प्रेरणा की अध्यक्षा रेनू खुंगर एवं अन्य सदस्यों ने जोरदार स्वागत किया। जैन परिवार ने सर्वप्रथम वृद्धाश्रम में बने शहीदी स्मारक पर श्रद्धा पुष्प अर्पित किए और मंदिर में पूजा अर्चना की। इसी के साथ जैन परिवार ने शहीदी संग्रहालय एवं हरियाणवी संस्कृति संग्रहालय का अवलोकन किया। प्रेरणा वृद्धाश्रम में जैन परिवार के सदस्यों का हरियाणवी अंदाज में ही स्वागत किया गया और उन्हें पगड़ियां बांधी गई। इस मौके पर वे वृदाश्रम के बुजुर्गों से ऐसे मिले जैसे उन्हीं के परिवार के सदस्य हों।    

 डा. जय भगवान सिंगला ने कहा कि प्रेरणा वृद्धाश्रम में देश विदेश से अनेकों लोग पहुंचते हैं। वृद्धाश्रम में अमेरिका, कनाड़ा, चैक रिपब्लिक, दुबई, इंग्लैंड सहित विदेश के अनेकों देशों से लोग आ चुके हैं। अमेरिका से वृद्धाश्रम में पहुंचे निर्मल जैन प्रेरणा संस्था के पुराने सदस्य हैं और वर्षों से जुड़े हुए हैं। सिंगला ने बताया कि विदेश में रहकर भी निर्मल जैन नियमित तौर पर जानकारी लेते रहते हैं। प्रेरणा के सदस्यों के लिए खुशी का माहौल है कि आज वृद्धाश्रम में अपने बेटे, बहु और पोते पोती को भी साथ लेकर वृद्धाश्रम में पहुंचे हैं। सिंगला ने कहा कि जैन परिवार का प्रयास सराहनीय है क्योंकि विदेश में रहने वाले भारतीय बच्चों को यहां आने पर भी भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों की जानकारी मिलेगी। यहां आकर बच्चों को पता चलता है कि बुजुर्गों के प्रति हमारी और समाज की कितनी जिम्मेवारी है। सिंगला ने बताया कि जैन परिवार का वृद्धाश्रम में आने पर हरियाणवी अंदाज में ही स्वागत हुआ।

अमेरिका से आए निर्मल सैनी ने कहा कि प्रेरणा वृद्धाश्रम में आकर जो वातावरण देखा है ऐसा नजारा उन्होंने आज तक नहीं देखा है। यहां का वातावरण बहुत ही उत्तम है। ऐसा वृद्धाश्रम उन्होंने विदेश में भी नहीं देखा है।

निर्मल जैन के बेटे अभिषेक जैन जो कनाड़ा से आए हैं उन्होंने कहा कि उन्हें प्रेरणा वृद्धाश्रम तो काफी अच्छा लगा। साथ ही यहां का शहीदी स्मारक एवं संग्रहालय भी बहुत सुंदर है। यहां वातावरण बहुत ही अच्छा है। बच्चों को साथ लेकर आया हूँ।
वृद्धा ने कहा कि अगर धरती पर स्वर्ग देखना है तो बुजुर्गों की सेवा और सम्मान से ही देखा जा सकता है। आज भी देश को बुजुर्गों की बहुत जरूरत है। प्रेरणा वृद्धाश्रम अपने नाम के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। प्रेरणा के सदस्य वास्तव में नेक कार्य कर रहे हैं।

प्रेरणा संस्था की अध्यक्षा रेनू खुंगर ने कहा कि उनके लिए गर्व का विषय है कि प्रेरणा की ख्याति देश में ही नहीं विदेश में भी फ़ैल रही है। उन्होंने कहा कि जर्मनी, इंग्लैंड, कनाड़ा व अमेरिका सहित अनेकों देशों से लोग प्रेरणा वृद्धाश्रम देखने के लिए पहुंच रहे हैं। रेनू खुंगर ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भविष्य में भी वृद्धाश्रम में अवश्य आएं।

इस अवसर पर डा. वी.डी.शर्मा, बलविंदर कौर, उषा सच्चर, क्षमा मल्होत्रा, विजयलक्ष्मी, मीना कुमारी, शकुंतला देवी, सीता देवी, सुमन देवी, इंदरप्रीत सिंह बिंद्रा, विजय कुमार अग्रवाल, जोगिंदर सिंह, चंद्रकांत डी ठक्कर व कश्मीरी लाल जैन इत्यादि भी मौजूद रहे।