रैपिड रेल कॉरीडोर के काम पर संसद में दीपेन्द्र हुड्डा के सवाल से हरियाणा सरकार की एक और कमजोरी हुई उजागर

·         हरियाणा के शहरों को रैपिड रेल से जोड़ने का काम खटाई में – दीपेन्द्र हुड्डा

·        हरियाणा की बीजेपी सरकार की बदनीयत भी सामने आई, दिल्ली-रोहतक-हिसार और दिल्ली-फरीदाबाद-पलवल RRTS कॉरीडोर को ठंडे बस्ते में डाला – दीपेन्द्र हुड्डा

·        दिल्ली-गुड़गांव-अलवर और दिल्ली-सोनीपत-पानीपत RRTS कॉरीडोर के लिये दिल्ली राज्य सरकार वित्तीय सहायता के लिए ही सहमत नहीं हुई – दीपेन्द्र हुड्डा

·        नतीजा – हरियाणा के 4 RRTS कॉरीडोर को भारत सरकार ने न ही स्वीकृति दी न कोई राशि आवंटित की – दीपेन्द्र हुड्डा

·         केंद्र सरकार हरियाणा के प्रोजेक्ट उठाती जा रही है लेकिन सत्ता के नशे की गोलियां लेकर सोई हरियाणा सरकार की नींद ही नहीं टूट रही – दीपेन्द्र हुड्डा

·        एक उदाहरण ऐसा भी है जब पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार ने बहादुरगढ़ तक मेट्रो का लोगों का सपना पूरा करने के लिए दिल्ली के हिस्से का भी खर्च उठाने का ऐतिहासिक फैसला लिया था– दीपेन्द्र हुड्डा

चंडीगढ़, 15 मार्च। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने संसद में हरियाणा के रैपिड रेल कॉरीडोरों के काम का ब्योरा मांगा तो केंद्र सरकार के जवाब से हरियाणा की कमजोर सरकार की एक और कमजोरी ही उजागर नहीं हुई बल्कि उसकी बदनीयत भी खुलकर सामने आ गई। हरियाणा के शहरों को रैपिड रेल से जोड़ने का काम खटाई में पड़ गया है। शहरी कार्य राज्य मंत्री ने जवाब में बताया कि दिल्ली-सोनीपत-पानीपत, दिल्ली-गुड़गाँव-अलवर, दिल्ली-रोहतक-हिसार और दिल्ली-फरीदाबाद-पलवल गलियारों के संबंध में भारत सरकार द्वारा न तो स्वीकृति दी गई न कोई राशि आवंटित नहीं की गई है। अपने उत्तर में आवासन मंत्री ने बताया कि हरियाणा सरकार ने 13.02.2019 को दिल्ली-गुड़गांव-एसएनबी (शाहजहांपुर-नीमराना-बेहरोड़) RRTS कॉरीडोर और 23.12.2020 को दिल्ली-सोनीपत-पानीपत (RRTS) कॉरीडोर के डीपीआर का अनुमोदन किया था। लेकिन, इन दोनों आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए दिल्ली सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सहमत नहीं हुई। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार के लचर रवैये और खराब नीयत के चलते ही ये चारों RRTS कॉरीडोर खटाई में पड़ गए। इसके अलावा आवासन मंत्री के उत्तर से स्पष्ट है कि हरियाणा सरकार ने दिल्ली-रोहतक-हिसार और दिल्ली-फरीदाबाद-पलवल RRTS कॉरीडोर के काम को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया और उसपर एक कदम आगे नहीं बढ़ी। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि ये सरकार कमजोर और निद्राग्रस्त है। केंद्र सरकार हरियाणा के प्रोजेक्ट उठाती जा रही है लेकिन सत्ता के नशे की गोलियां लेकर सोई हरियाणा सरकार की नींद ही नहीं टूट रही है।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि 2012 में पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान 4 हाईस्पीड रेल (RRTS) कॉरीडोर केंद्र सरकार को प्रस्तावित किए थे। 2014 में सरकार बदलने के बाद मौजूदा हरियाणा सरकार ने इन सभी का काम ठंडे बस्ते में डाल दिया। 5 अप्रैल, 2018 को सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने तत्कालीन केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से मिलकर RRTS का काम पूरा कराने की मांग की तो हरियाणा सरकार ने केवल 2 कॉरीडोर – दिल्ली-गुड़गांव-एसएनबी दिल्ली-सोनीपत-पानीपत का ही DPR अनुमोदित किया। जबकि, दीपेन्द्र हुड्डा ने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से दिल्ली-रोहतक-हिसार और दिल्ली-फरीदाबाद-पलवल RRTS की भी डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने की मांग को भी मंजूरी दिलायी थी। लेकिन, लगता है प्रदेश की गठबंधन सरकार को हरियाणा के हितों से कोई सरोकार नहीं है।

सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि हरियाणा में कमजोर सरकार होने के चलते लगातार प्रदेश के हितों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जहां तक दिल्ली सरकार द्वारा वित्तीय सहमति न देने से 2 RRTS का काम लटकने की बात है तो इसी हरियाणा में एक उदाहरण ऐसा भी है जब पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय दिल्ली से बहादुरगढ़ तक मेट्रो लाने का लोगों का सपना पूरा करने के लिए इस परियोजना में दिल्ली सरकार के हिस्से का पैसा भी चौ. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वहन करने का ऐतिहासिक फैसला लिया था। 2000 करोड़ की कुल लागत में से तत्कालीन हरियाणा सरकार ने 912 करोड़ रूपए वहन किये थे और बहादुरगढ़ तक मेट्रो लेकर आए।

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