सरपंचों से वार्ता करने के बाद भी मुद्दे का कोई हल न निकलना बताता है कि मुख्यमंत्री सत्ता बल पर निर्वाचित सरपंचों पर अपनी मनमानी सोच थोपना चाहते है : विद्रोही
मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की असंवेदनशीलता व सत्ता अहंकार में अपनी बात थोपने की हठ के चलते ई-टेडरिंग सहित विभिन्न मुद्दों पर मुख्यमंत्री से बैठक करने के बाद भी नही निकला हल : विद्रोही

इस वित्त वर्ष को समाप्त होने में मात्र 20 दिन बचे है और ग्रामीण विकास का रास्ता खुल नही रहा

11 मार्च 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की असंवेदनशीलता व सत्ता अहंकार में अपनी बात थोपने की हठ के चलते ई-टेडरिंग सहित विभिन्न मुद्दों पर लगभग ढाई माह से आंदोलनरत सरपंचों व सरकार के बीच विवाद का कोई हल मुख्यमंत्री से बैठक करने के बाद भी नही निकला। विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर सरपंचों से वार्ता करने के बाद गुरूवार को दावा कर रहे थे कि सभी मुद्दों पर लगभग सहमति हो गई और शुक्रवार को 10 मिनट की बैठक में आंदोलनरत सरपंचों से सभी विवाद सुझल जायेंगे। लेकिन मुख्यमंत्री के दावे के विपरित शुक्रवार को देर सांय सरपंचों ने स्पष्ट घोषणा की दी कि सरकार से उनकी वार्ता विफल रही और उनका आंदोलन जारी रहेगा। सरपंचों से वार्ता करने के बाद भी मुद्दे का कोई हल न निकलना बताता है कि मुख्यमंत्री सत्ता बल पर निर्वाचित सरपंचों पर अपनी मनमानी सोच थोपना चाहते है। 

विद्रोही ने कहा कि खट्टर जी को नही भूलना चाहिए कि वे प्रदेश के निर्वाचित मुख्यमंत्री है तो सरपंच भी गांवों में निर्वाचित प्रतिनिधि है। बडी सरकार होने के अहंकार में खट्टर जी को गांव की छोटी सरकार को अपमानित व छोटा दिखाने की राजनीति से बचना चाहिए। मुख्यमंत्री का यह रवैया बताता है कि वे बेशक गांवों के विकास के लिए लम्बे-चौड़े दमगज्जे मारकर जुमलेबाजी करे, लेकिन वे मानसिक रूप से गांव व कमेरे वर्ग के विरोधी है। तभी विगत तीन वर्षो से अवरूद्ध पड़े ग्रामीण विकास को गति देने की बजाय अवरूद्ध रखने के ही फैसले ले रहेे है। वित्त वर्ष 2020-21 व 2021-22 में पहले ही ग्रामीण विकास का 4500 करोड़ रूपये लैप्स हो चुका है और अब वित्त वर्ष 2022-23 का ग्रामीण विकास का बजट भी लैप्स होना तय हो गया है।

इस वित्त वर्ष को समाप्त होने में मात्र 20 दिन बचे है और ग्रामीण विकास का रास्ता खुल नही रहा। इन 20 दिनों में गांवों का धरातल पर तो विकास कार्य संभव नही, हां कागजों में विकास कार्य करके ग्रामीण विकास का पैसा अधिकारी व संघी नेता मिलकर जरूर हडप लेंगे। विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री खट्टर जी शायद इसी रणनीति के तहत सरपंचों के अंादोलन व उनकी मांगों का हल निकालने की बजाय इस वित्त वर्ष का ग्रामीण विकास का पैसा कैसे लैप्स करके बजट घाटा कम किया जाये और थोडा बहुत जो खर्च करना है, उसे कागजों में खर्च करके अधिकारी व संघी नेता हडप ले, इसी सुनियोजित रणनीति के तहत चल रहे है। 

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