किसानों को स्वामीनाथन के सी2+50% फार्मूले पर कानूनी गारंटी के साथ एमएसपी का रखा प्रस्ताव किसानों की कर्ज माफी से लेकर कर्ज मुक्ति व लाभप्रद खेती कांग्रेस का लक्ष्य- हुड्डा खेती को इंडस्ट्री की तरह मिलनी चाहिए सरकारी सहायता व बैंकिंग रियायतें- हुड्डा प्राइवेट नहीं सहकारी क्षेत्र की कंपनियां करेंगी फसलों का बीमा, किसानों को मिलेगा पूरा मुआवजा- हुड्डा छत्तीसगढ़ की तर्ज पर पूरे देश में किसानों के लिए लागू होगी प्रति एकड़ 10 हजार रुपये देने की न्याय योजना- हुड्डा चंडीगढ़, 26 फरवरीः किसानों को स्वामीनाथन आयोग के सी2+50% फार्मूले के तहत कानूनी गारंटी के साथ एमएसपी दी जाएगी। कर्ज माफी ही नहीं, किसानों की पूर्णत: कर्ज मुक्ति और कृषि को लाभप्रद व्यवसाय बनाने की दिशा में काम किया जाएगा। साथ ही खेती को भी इंडस्ट्री की तरह सरकारी सहायता व बैंकिंग रियायतें दी जाएंगी। रायपुर में चल रहे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन में पार्टी की तरफ से ये लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह के नेतृत्व में कृषि एवं किसान कल्याण विषय पर बनी कमेटी ने अधिवेशन में प्रस्ताव पेश कर पार्टी के तमाम लक्ष्यों की विस्तार से जानकारी दी। अपने संबोधन में हुड्डा ने कहा कि मौजूदा सरकार की संवेदनहीनता के कारण आज किसान उदास और आंदोलित है। वह आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहा है। आज भारत का किसान ना तो खुश है, ना खुशहाल। लेकिन किसान बेसहारा नहीं है, किसान बेचारा नहीं है, किसान चुप है लेकिन गूंगा नहीं है, किसान सो रहा है लेकिन मरा नहीं है। किसानों के पसीने से मिट्टी सोना उगलती है लेकिन किसान का खून जब मिट्टी में मिलता है तो क्रांति जन्म लेती है। कांग्रेस पार्टी उनकी आवाज और उनकी तकलीफों की साझीदार है। प्रस्ताव में कहा गया है कि किसानों की स्थिति में सुधार के बिना देश तरक्की नहीं कर सकता। इसके लिए सबसे जरूरी है उन्हें एमएसपी का अधिकार और कानून देना। इसके तरह एमएसपी से कम दाम पर कृषि उपज खरीदना दंडनीय अपराध हो। इतना ही नहीं फसल की कीमत सी2 लागत पर 50% लाभ जोड़कर तय होनी चाहिए, जैसा कि स्वामीनाथन आयोग और हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता वाले मुख्यमंत्रियों के समूह ने 2010 में सिफारिश की थी। एमएसपी की दायरे को और बढ़ाकर अन्य फसलों पर भी लागू किया जाना चाहिए। अदरक, लहसुन, हल्दी, मिर्च से लेकर बागवानी तक सभी कृषि उत्पादों को गारंटी कीमत का कवर मिलना चाहिए। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों पर खतरनाक रूप से बढ़ते जा रहे कर्ज के बोझ को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करती है। इसके चलते किसान आत्महत्या तक करने को मजबूर हो रहे हैं। मौजूदा बीजेपी सरकार के दौरान किसानों पर कुल बकाया कर्ज 2021-22 में बढ़कर ₹23.44 लाख करोड़ हो चुका है, जो कि 31 मार्च, 2014 तक ₹9.64 लाख करोड़ था। यूपीए सरकार ने 2007 में किसानों के लिए ₹72,000 करोड़ की कर्ज माफी योजना को लागू किया था। वर्तमान सरकार ने इसे पूरी तरह से राज्यों पर छोड़कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। कांग्रेस की राज्य सरकार लगातार किसानों को कर्ज मुक्ति दिलाने की दिशा मे काम कर रही हैं। 2018 में मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने ₹11,912 करोड़, 2018 में राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने ₹15,602 करोड़, 2017 में पंजाब की काँग्रेस सरकार ने ₹4696 करोड़, 2017-18 में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने ₹22,548 करोड़ और 2018 में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने ₹5961 करोड़ का कर्ज माफ कर किसानों को काफी राहत प्रदान की। कृषि एवं किसान कल्याण पर प्रस्ताव में कांग्रेस ने में राष्ट्रीय किसान ऋण राहत आयोग का गठन करने की सिफारिश की है, जो किसानों की कर्ज संबंधी शिकायतों का समाधान कर सके, जैसा कि औद्योगिक कर्ज के मामले में किया जाता है। साथ ही कहा गया है कि कर्ज के मामलों किसानों के खिलाफ किसी तरह आपराधिक कार्यवाही और उसकी वसूली के लिए किसान की जमीन की नीलाम नहीं की जाएगी। कांग्रेस ने संकल्प लिया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की सभी कमियों को दूर करके इसको नया स्वरूप दिया जाएगा। इस बीमा योजना का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों जैसे- कृषि, इन्श्योरेन्स कंपनी ऑफ इंडिया द्वारा किया जाएगा जो कि ‘नो-प्रॉफिट, नो-लॉस’ के सिद्धांत पर प्रीमियम चार्ज करेंगी। बीमा कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए एक रिवालविंग फंड बनाया जाएगा। फसल के नुकसान का आकलन सरकार करेगी, बीमा कंपनियां नहीं, ताकि बीमा कंपनियों द्वारा समय पर पर्याप्त मुआवजा सुनिश्चित किया जा सके। भूमिहीन खेतिहर मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए उन्हें मुआवजे का कुछ हिस्सा दिए जाने की नीति बनाई जाएगी। हुड्डा के नेतृत्व में बनी कमेटी के प्रस्ताव में कहा गया है कि बीजेपी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे को पूरा करने में फेल साबित हुई है। आँकड़े बताते हैं कि कृषि से आय में प्रति वर्ष 1.5% की गिरावट आई है और किसान अपने परिवार को पालने के लिए मजदूरी करने को मजबूर हैं। आज हरियाणा में किसान का आलू 50 पैसे से ₹1.25 प्रति किलो तक बिका जबकि उत्पादन लागत करीब ₹7-8 प्रति किलो थी। इसी प्रकार तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ के किसानों को लहसुन, प्याज, फूलगोभी और बैंगन मजबूरन औने-पौने भाव में बेचना पड़ा। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को मात्र ₹500 प्रति माह मिलता है। इसका आवंटन भी इसबार के बजट में ₹68,000 करोड़ से घटाकर ₹60,000 करोड़ कर दिया गया। इस योजना के लाभार्थियों की संख्या 11वीं किश्त (अप्रैल-जुलाई 2022) में 10.45 करोड़ से घटकर 12वीं किश्त (अगस्त-नवंबर 22) में 8.42 करोड़ रह गई है, यह 22.6% की बड़ी गिरावट है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने ‘राजीव गांधी न्याय योजना’ शुरू की है। इसके तहत किसानों को प्रति एकड़ ₹10,000 तक दिये जाते हैं। मसौदे में इस योजना का विस्तार पूरे देश में करने का संकल्प लिया गया। किसानों की आय बढ़ाने के लिए डेयरी, सुअर पालन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, रेशम उत्पादन और अन्य स्रोतों को बढ़ावा देने की बात भी कही गई। इतना ही नहीं प्रस्ताव में किसानों को जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने, सिंचाई परियोजनाओं के विस्तार व जल संसाधन प्रबंधन को सुधारने, फसलों के विविधीकरण पर जोर देने, कृषि उपज के विपणन, गोदाम/भंडारण सुविधाओं, कृषि उत्पादों निर्यात एवं आयात, भूमि अधिग्रहण पर किसानों की रजामंदी व पारदर्शिता और उचित मुआवजा देने, कृषि सब्सिडी बढ़ाने, खेती की लागत घटाने, पशुधन, डेयरी, बागवानी (हरित, श्वेत और नीली क्रांति), और मनरेगा को कृषि से जोड़ने जैसे तमाम मुद्दों पर सिफारिशें की गई हैं। Post navigation प्रदेशभर में चार हजार शक्ति केंद्रों पर दिखा संसद जैसा नजारा : धनखड़ सोशल मीडिया पर वायरल चपरासी-भर्ती की सूची की खबर झूठी- निगम