भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा 15 नवंबर को गुरुग्राम में बनने वाले नागरिक अस्पताल का नाम गुरू नानक देव जी के नाम पर रखने पर गुरुग्राम में अनेक तरह की चर्चाओं ने जन्म ले लिया है। अधिकांश जनता को मुख्यमंत्री द्वारा घोषित नाम पर उचित नहीं लगा और कुछ का कहना है कि मुख्यमंत्री हैं, जो चाहे नाम रख सकते हैं। गुरुग्राम का नागरिक अस्पताल पिछले लगभग 10 वर्षों से बनने की बाट जोह रहा है लेकिन कोई न कोई कारण खड़े कर उसका निर्माण नहीं हो पा रहा, जिससे गुरुग्राम की जनता में भारी आक्रोश है। अभी भी गुरुग्राम विधायक की ओर से घोषणा की हुई है कि 1 दिसंबर को इसका शिलान्यास हो जाएगा लेकिन गुरुग्राम की जनता को इस पर भी विश्वास हो नहीं रहा है, क्योंकि अभी तक जिस भूमि पर नागरिक अस्पताल का शिलान्यास होना है, उस पर अभी पूर्ण रूप से कब्जा भी नहीं मिला है। वल्र्ड ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष शशिकांत शर्मा से इस बारे में फोन पर बात की तो उनकी प्रथम प्रतिक्रिया थी कि यह निर्णय तो उचित नहीं है। माना कि गुरू द्रोणाचार्य के नाम से गुरुग्राम में विश्वविद्यालय भी स्थापित है और शीतला माता कॉलेज का नाम भी गुरू द्रोण के नाम पर रखा गया है परंतु इसका नाम भी गुरू द्रोण या उनके गुरू भगवान परशुराम के नाम पर रखा जा सकता था। अधिक बात उनसे हो नहीं पाई, क्योंकि वह जम्मू थे। उन्होंने कहा कि अधिकारिक तौर पर जो भी बात होगी और जो भी हम करेंगे, वह गुरुग्राम आगमन पर ही बता पाउंगा। योगेश कौशिक जोकि विप्र फाउंडेशन के प्रदेश के संगठन महामंत्री और गुरुग्राम की आदर्श ब्राह्मण सभा के वरिष्ठ संरक्षक हैं, का कहना है कि यह गुरुग्राम गुरू द्रोण की धरा है। अत: यहां गुरू द्रोण को भुलाना गुरू द्रोण का अपमान है। यदि सरकार चाहती तो गुरू द्रोण के नाम से अस्पताल का नामकरण हो सकता था और यदि गुरू द्रोण नहीं तो पसंद था तो उनके गुरू भगवान परशुराम जो विष्णु के अवतार भी हैं, उनके नाम से नामकरण हो सकता है। उन्हें आज ही बीमारी से जूझते हुए अस्पताल से छुट्टी मिली है। उनका कहना था कि हम एक बैठक बुलाकर इसके बारे में विरोध अवश्य जताएंगे और उसका नामकरण गुरू द्रोणाचार्य या भगवान परशुराम के नाम पर ही कराया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान चुनाव में ब्राह्मणों ने भाजपा का भरपूर साथ दिया है और गुरूग्राम सबसे अधिक आबादी भी ब्राह्मणों की है। गुरुग्राम के विधायक भी ब्राह्मण होने के कारण ब्राह्मणों के सहयोग से ही जीत प्राप्त कर पाए हैं। ऐसी स्थिति में हम यह अवश्य चाहेंगे कि विधानसभा सत्र अभी समाप्त नहीं हुआ है। उसमें इन ब्राह्मण विधायकों द्वारा इसकी आवाज उठाई जाए और नामकरण गुरू द्रोणाचार्य या भगवान परशुराम के नाम से किया जाए। भगवान परशुराम दल के अध्यक्ष एडवोकेट पं. अरूण शर्मा ने कहा कि यह गुरू द्रोण की भूमि है और यह सरकार गुरू द्रोण के नाम के साथ उपेक्षा का व्यवहार कर रही है। यह कतई उचित नहीं है। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि सिविल लाइन में गुरू द्रोण का पार्क था, जिसमें गुरू द्रोण और उसके साथ पांच पाण्डवों की प्रतिमा स्थापित थी। वह भी वर्षों से उपेक्षा का शिकार हो रहा है। समर्थ को नहीं दोष गोसाईं। यह उनका कहना था। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री नायब सैनी इस समय समर्थ हैं। वह कुछ भी कर सकते हैं। अत: सत्ता पक्ष अर्थात भाजपा के व्यक्ति तो चाहे मन से इस निर्णय के विरूद्ध हों परंतु ब्यानों से वह मुख्यमंत्री के इस निर्णय को उचित ही ठहराएंगे लेकिन वास्तविकता यह है कि गुरू द्रोण की धरा पर या तो जैसे पहले अस्पताल चल रहा था, वैसे ही चलता रहे और यदि नाम भी आ जाए तो गुरू द्रोण का या उनके गुरू भगवान परशुराम का नाम आए। जिस प्रकार योगेश कौशिक ने यह आशा जताई थी कि कोई विधायक विधानसभा में आवाज उठाएगा उसे उन्होंने नकार दिया। इनका कहना था कि वर्तमान में राजनीति सत्ता पूजन तक रह गई है। जनता के वोट पाकर विधायक तो बन जाते हैं लेकिन बाद में जनता को भूल अपने आकाओं को प्रसन्न करना ही अपना धर्म समझते हैं। जो भी हो हम तो अपने स्तर पर जितने प्रयास होंगे करेंगे, इसका नाम परिवर्तन करने के लिए। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह भाजपा सरकार की सोची-समझी रणनीति है कि पहले घोषणा हुई थी कि नागरिक अस्पताल के साथ पीजीआई भी बनेगा लेकिन वर्तमान में उसका कोई जिक्र नहीं है। अर्थात पीजीआई बनना कैंसिल कर दिया है। दूसरे कुछ लोगों का कहना है कि आने वाले समय में पंजाब और दिल्ली में चुनाव होने हैं। उनको ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। खैर जो भी है, अभी कुछ कहना जल्दी होगा लेकिन यह सत्य है कि गुरुग्राम के ब्राह्मण संगठनों को यह निर्णय पसंद नहीं आया। Post navigation गुरुग्राम में निर्माणाधीन सरकारी अस्पताल गुरु नानक देव जी के नाम समर्पित पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (आरवीएसएफ) को और अधिक बेहतर करने के उद्देश्य से बैठक, मांगे सुझाव