-चीफ रजिस्ट्रार, सिविल सर्जन, जांच कमेटी को नोटिस कर किया तलब -बृजपाल सिंह परमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने किया नोटिस भिवानी, 14 फरवरी। तीन बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र में गड़बड़ी की शिकायत पर एक ही जांच अधिकारी की तीन अलग-अलग जांच रिपाोर्ट मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायायल ने जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन के चीफ रजिस्ट्रार, भिवानी के सिविल सर्जन, जांच कमेटी सदस्यों को नोटिस कर तलब किया है। दरअसल गांव सिरसा घोघड़ा निवासी बृजपाल सिंह परमार के खिलाफ एक शिकायत पर भिवानी सिविल सर्जन कार्यालय में एक जांच अधिकारी ने तीन अलग-अलग जांच रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें दो जांच रिपोर्ट तो बृजपाल सिंह परमार के पक्ष में दी गई, जबकि तीसरी जांच रिपोर्ट एक पक्षीय सुनवाई के बाद जांच अधिकारी ने बृजपाल के खिलाफ रिपोर्ट कर दी। हैरत की बात यह भी है कि उप सिविल सर्जन कम जांच अधिकारी की शिकायत पर सदर पुलिस थाना में बृजपाल सिंह परमार के खिलाफ धोखाधड़ी का केस भी दर्ज कर लिया गया। जबकि चीफ रजिस्ट्रार भी जांच अधिकारी की जांच को गलत बता चुका था। इसी मामले में बृजपाल सिंह परमार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख किया। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने मामले सिविल सर्जन कार्यालय के जांच अधिकारी की तीन विरोधाभाषी जांच रिपोर्ट पर सख्त रुख अख्तियार किया और इस संबंध में भिवानी के सिविल सर्जन डॉ रघुवीर शांडिल्य, उप सिविल सर्जन कम जांच अधिकारी डॉ कृष्ण कुमार, जांच कमेटी सदस्य डॉ विनोद कुमार, डॉ आज्ञा राठौड़, उप अधीक्षक हवासिंह को नोटिस जारी करते हुए 15 मई तक व्यक्तिगत रूप से हाई कोर्ट में तलब किया है। न्यायालय ने इस मामले में जन्म मृत्यु पंजीकरण के चीफ रजिस्ट्रार, इसी विभाग के डॉयरेक्टर, डिप्टी डॉयरेक्टर, भिवानी के एसडीएम को भी नोटिस किया है। 25 जनवरी को चीफ रजिस्ट्रार ने संदिग्ध बताई थी जांच रिपोर्ट, 31 को कराई एफआईआर बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि उसके तीन बच्चों के खिलाफ भिवानी सिविल सर्जन कार्यालय की जांच कमेटी की रिपोर्ट पर जन्म-मृत्यु पंजीकरण के चीफ रजिस्ट्रार ने 25 जनवरी को जांच रिपोर्ट संदिग्ध बताते हुए इस पर दोबारा जांच के निर्देश दिए थे। लेकिन इसके बावजूद सिविल सर्जन व जांच अधिकारी ने साजबाज होकर 31 जनवरी को उनके खिलाफ सदर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करा दी। जबकि चीफ रजिस्ट्रार ही इस मामले में कोई भी कार्रवाई के लिए सक्षम अधिकारी हैं। बृजपाल का आरोप है कि सिविल सर्जन और उसकी जांच कमेटी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पुलिस में झूठी एफआईआर दर्ज कराई है। पहले भी बृजपाल के खिलाफ झूठी शिकायतें कर चुका है मुरारीलाल तोला हाई कोर्ट ने इस मामले में शिकायतकर्ता मुरारीलाल तोला को भी नोटिस कर तलब किया है। दरअसल तोला षडय़ंत्र के तहत तथाकथित निजी अस्पताल संचालक व अन्य लोगों के साथ मिलकर पहले भी बृजपाल के खिलाफ काफी झूठी शिकायतें कर चुका है। जिन शिकायतों की जांच के बाद कोई सच्चाई नहीं पाई गई और उन्हें निरस्त कर दिया गया। Post navigation महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हैं स्वयं सहायता समूह पशु चिकित्सा को चिकित्सा की जरूरत