राज्य में सार्वजनिक प्राधिकरण सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 और इसके नियमों का सख्ती से करें पालन – संजीव कौशल

आरटीआई अधिनियम और इसके नियमों के लिए एसपीआईओ और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी को प्रशिक्षण प्रदान किया जाए

चंडीगढ़, 10 फरवरी – हरियाणा के मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने राज्य के विभिन्न सार्वजनिक प्राधिकरणों को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 और उसके तहत बनाए गए नियमों की पूर्ण रूप से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, बोर्डों, निगमों के मुख्य प्रशासकों, प्रबंध निदेशकों और मण्डल आयुक्ताें को इस संबंध में पत्र जारी किया गया है।

श्री कौशल ने बताया कि राज्य सरकार को इस प्रकार की कुछ शिकायतें मिली हैं कि कुछ सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 और उसके तहत बनाए गए नियमों की पालना गंभीरता से नहीं की जा रही है ।  इसलिए, सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा प्राप्त आरटीआई आवेदनों के निपटान के दौरान स्टेट पब्लिक इनफॉर्मेशन ऑफिसर (एसपीआईओ) को आरटीआई आवेदनों को आरटीआई अधिनियम, 2005 और इसके नियमों के अनुसार ही निपटान करना चाहिए। एसपीआईओ को आरटीआई आवेदनों की विषय वस्तु को ध्यानपूर्वक देखना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो सार्वजनिक प्राधिकरण को स्थानांतरित करना चाहिए। एसपीआईओ को अन्य सार्वजनिक प्राधिकरणों को आवेदन स्थानांतरित करते समय अपने कार्यालय में शुल्क प्राप्ति के संबंध में उल्लेख करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि राज्य सूचना आयोग, हरियाणा द्वारा आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 20 के तहत लगाए गए जुर्माने की वसूली समय-समय पर जारी सरकारी निर्देशों के अनुसार जाए। एसपीआईओ और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी को आरटीआई अधिनियम और नियमों से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।

इसके अलावा, आरटीआई आवेदन का उत्तर देते समय प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के विवरण का उल्लेख किया जाना चाहिए तथा प्रथम अपील का निर्णय आरटीआई आवेदन के प्रावधानों के अनुसार और समय-समय पर सरकार द्वारा जारी नियमों व निर्देशों के अनुसार किया जाना चाहिए। सूचना की आपूर्ति के लिए अतिरिक्त शुल्क सूचना का अधिकार अधिनियम एवं नियमावली के अनुसार निर्धारित समयावधि में मांगा जाना चाहिए।  

उन्होंने बताया कि आवेदक ने दस्तावेजों या रिकॉर्ड की ‘प्रमाणित प्रतियों’ के लिए अनुरोध किया है, तो एसपीआईओ को दस्तावेज़ पर “आरटीआई अधिनियम के तहत प्रदान किए गए दस्तावेज़ या रिकॉर्ड की ट्रू कॉपी” को प्रमाणित करना चाहिए, तारीख के साथ दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करना चाहिए। रिट याचिका (सिविल) और सीएम अपील 2395-2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय के 22 जनवरी, 2021 के फैसले के पैरा 15 में शामिल सिद्धांतों को भी आरटीआई मामलों से निपटने के दौरान ध्यान में रखा जाए।

मुख्य सचिव ने कहा कि सभी प्रशासनिक सचिव और विभागाध्यक्ष अपने अधीन सभी संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाएं कि वे आरटीआई अधिनियम, 2005 के प्रावधान के तहत जारी दिशा-निर्देशों का अक्षरश: पालन करें।

You May Have Missed

error: Content is protected !!