एलआईसी के 39 करोड़ पॉलिसी होल्डर व एसबीआई के 45 लाख खाताधारक गवां चुके खरबों रूपये- देविन्दर वर्मा

हिंडनबर्ग एजेंसी रिपोर्ट से बीजेपी की फजीहत।

अम्बाला – अग्रसेन चौक, अम्बाला शहर, स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और एलआईसी (LIC) नजदीक विजय सिनेमा, अम्बाला शहर के कार्यालयों के बाहर देविन्दर वर्मा, डेलीगेट, प्रदेश कांग्रेस कमेटी हरियाणा की अध्यक्षता में सैंकड़ों कांग्रेसियों ने धरना प्रदर्शन किया। बिशन लाल सैनी, विधायक एवम (हाथ से हाथ जोड़ो) अभियान के ज़िला अम्बाला प्रभारी
ने विरोध प्रदर्शन में बतौर मुख्यतिथि शिरकत करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि पूरे देश में विश्व का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला हुआ है लेकिन भाजपा की केंद्र सरकार और हरियाणा बीजेपी सरकार के नेता और मंत्री देश व राष्ट्रवाद के नाम पर इस वित्तिय घोटाले को ठंडे बस्ते में डालकर दबाने का प्रयास कर रहे कर हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी और देश की जनता बीजेपी के मनसूबों को कामयाब नहीं होने देगी।

एलआईसी और एसबीआई में जमा हिस्से को प्रधानमंत्री द्वारा एक ऐसे ग्रूप (अडानी) के हवाले कर दिया गया है जिस पर इस देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट फ्रॉड का आरोप लगा हुआ है। सैनी ने कहा कि साहेब ने करोड़ों भारतीयों की जमा पूंजी डुबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी हुई है। उन्होने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अदाणी पर जो आरोप लगे हैं, उसकी जांच कब होगी। मोदी सरकार ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर ऐसे चुप्पी साधी हुई है, जैसे कि देश में कुछ हुआ ही नहीं है। देश के प्रधान मंत्री भारत के निवेशकों, जिसमें एलआईसी के 39 करोड़ पॉलिसी होल्डर और एसबीआई के 45 करोड़ खाताधारक शामिल हैं, उनको धोखा दे रहे हैं।

सैनी ने कहा, अमेरिका की प्रतिष्ठित हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने अदानी समूह पर इस देश के अब तक के सबसे बड़े कॉर्पोरेट फ्रॉड का आरोप लगाया है।

हिंडनवर्ग की रिपोर्ट में 42 गुना ओवरवैल्यूड शेयर अदाणी परिवार के सदस्यों द्वारा बेनामी शेल कंपनियों के माध्यम से एक विशाल मायाजाल द्वारा अरबों रुपये के काले धन का खुलासा हुआ है।

इसमें इंसाइडर ट्रेडिंग और स्टॉक मैनिपुलेशन के गंभीर आरोप लगे हैं। एलआईसी और एसबीआई जैसे सरकारी संस्थानों में अदाणी समूह का बेहद जोखिम भरा लेन-देन है। मोदी सरकार द्वारा अदाणी ग्रुप की कंपनियों में इन संस्थानों का निवेश करवाया गया है। अदाणी समुह की कंपनियों में एलआईसी की कुल हिस्सेदारी बीमा कंपनी के एयूएम (असेट अंडर मैनेजमेंट) के एक फीसदी से भी कम है। वहीं अदाणी समुह की अलग-अलग कंपनियों की बात करें तो अदाणी एंटरप्राइजेज में एलआईसी की हिस्सेदारी 4.23 फीसदी है। अदाणी टोटल गैस में यह हिस्सेदारी 1 फीसदी से बढ़कर 5.96 फीसदी पर पहुंच गई है। अदाणी ट्रांसमिशन में एलआईसी की शेयरधारिता 2.42 फीसदी से बढ़कर 3.65 फीसदी हो गई है। अदाणी ग्रीन एनर्जी में यह हिस्सेदारी 1 फीसदी से बढ़कर 1.28 फीसदी हो चुकी है। एलआईसी का आधिकारिक रूप से कहना है कि उनका अदाणी ग्रुप में इक्विटी एक्सपोजर 56,142 करोड़ रुपये का है। सैनी ने बताया कि कंपनी के शेयर गिरने के सिलसिले में गत गुरुवार तक एलआईसी के 39 करोड़ पॉलिसी धारकों और निवेशकों के 33,060 करोड़ रुपये डूब चुके हैं।

और करोड़ों पॉलिसी होल्डर्स की गाढ़ी कमाई खतरे में है। सैनी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी यह मांग करती है कि रिपोर्ट के मुताबिक अदाणी प्रकरण की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित की जाए या सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई की देखरेख में इस मामले की जांच हो।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के डेलीगेट देविन्दर‌ वर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि इडी,सीबीआई, इनकम टैक्स और सेबी जैसी सरकारी एजेंसियों नाक के निचे देश का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला हो गया जोकि बिना सरकार की मदद के सम्भव नहीं नहीं हो सकता। वर्मा ने बताया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और अन्य भारतीय बैंकों ने अदाणी समूह को ऋण दिया है। अदाणी समूह पर भारतीय बैंकों का करीब 80,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जो समूह के कुल कर्ज का 38 फीसदी है। इसमें निजी बैंकों का जोखिम कुल अडानी समूह ऋण के 8 फीसदी है, जबकि सरकारी बैंकों के पास अडानी समूह ऋण का 30 फीसदी है।

वर्मा ने कहा कि चांग चुंग-लिंग, एक चीनी बिजनेसमैन, जिसकी संदिग्ध गतिविधियों के बारे में भारतीय जांच एजेंसियां बहुत अच्छी तरह से वाकिफ हैं, उसका और अदाणी ग्रुप में क्या रिश्ता है। चांग चुंग-लिंग, गुडामी इंटरनेशनल नाम की एक संस्था चलाता रहा है। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि गुडामी इंटरनेशनल पीटीई लिमिटेड को अदाणी समूह के रत्नों के कथित परिपत्र व्यापार में सरकारी धोखाधड़ी की जांच के हिस्से के रूप में पहचाना गया था। चांग चुंग-लिंग और विनोद अदाणी के सिंगापुर के घर का पता भी एक ही है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के अनुसार, यह एक महत्वपूर्ण मामला है, यह न केवल शेयरधारकों के लिए, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी संवेदनशील मसला है। वर्मा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी, क्रोनी कैपिटलिज्म के खिलाफ है। बीजेपी द्वारा चुनिंदा अरबपतियों को नियम बदलकर फायदा पहुंचाया जाता है, जोकि कांग्रेस पार्टी उसके खिलाफ हैं। वर्मा ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की विस्तार से जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाना चाहिए। एलआईसी, एसबीआई और अन्य राष्ट्रीय बैंकों में जो अडानी का जोखिम भरा निवेश है, उस की भी गहन रूप जांच की जानी चाहिए। निवेशकों को सुरक्षित करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिएं।

पूर्व विधायक जसबीर मलौर ने कहा कि ये बात किसी से छिपी नहीं है कि मोदी सरकार ने किस तरह से और किस हद तक जाकर अपने परम मित्र अडानी की मदद की है। और इस समूह के डूबने के कारण देश की संपत्ति दांव पर लगी हुई है। मलोर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि उपरोक्त की सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की देख-रेख में निष्पक्ष जांच हो। इसकी रिपोर्ट दिन-प्रतिदिन सार्वजनिक होनी चाहिए।

धरनास्थल पर डेलीगेट प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमोद गुप्ता,अमीषा चावला, राज कुमार गामा, हरीश सासन,देविंद्र बजाज, मिथुन वर्मा निगम पार्षद, ,प्रतीक चौधरी,हरबीर महल, दरबारा सिंह लौटा, सतीश सैनी ने भी उपस्थिति को सम्बोधित किया और मौके पर संजय सेठी,एस के गुप्ता, किरण राणा, नरेंद्र गुप्ता सोनू ,अभय भटनागर, रूप चंद, खुशबीर वालिया,राज पाल शर्मा, जतिंदर सोढ़ी, बिल्लू सोढ़ी, जसपाल सिंह पाली, उदयपुर इत्यादि सेंकड़ों कांग्रेसी मौजूद रहे।

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