लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास नहीं करती भाजपा : अनुराग ढांडा चुने हुए प्रतिनिधियों को अफसरशाही से दबाना चाहती है भाजपा : अनुराग ढांडा गांवों के लोगों ने बीजेपी को पूरी तरह से नकारा : अनुराग ढांडा जनता की खून-पसीने की कमाई को सरकार ने अडानी की कंपनियों में लगाकर डुबोया : अनुराग ढांडा गोहाना, 5 फरवरी – भाजपा लोकतंत्र में विश्वास नहीं करती है। चुने हुए सरपंचों को भाजपा अफसरशाही से दबाना चाहती है। ये बात आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अनुराग ढांडा ने कही। वे रविवार को गोहाना के सेक्टर 7 स्थित भगवान परशुराम भवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा के गांव से बीजेपी पार्टी का पूरी तरह से सफाया हो चुका है। इसी डर में हरियाणा में सरपंचों से गांव के विकास संबंधी अधिकार लेकर अधिकारियों की दे दिए गए हैं। सरपंच एक गांव के विकास कार्यों को लेकर जवाबदेह होता है। वही गांव का चुना हुआ प्रतिनिधि होता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की कोई जवाबदेही नहीं होगी। सरकार गांव के विकास के खजाने की चाबी अधिकारियों की दे रही है। जो गांव के विकास का फैसला सरपंच और गांव के लोग सामूहिक रूप से लेते थे, अब उसमें अधिकारी अपनी मनमानी चलाएंगे। वरिष्ठ नेता अनुराग ढांडा ने कहा कि हरियाणा में तो सरपंचों अधिकार छीन लिए गए हैं, वहीं दिल्ली में भाजपा जनता के चुने हुए मुख्यमंत्री को भी मानने को तैयार नहीं है। भाजपा एलजी के हाथों दिल्ली को चलाना चाहती है। यही हाल एमसीडी के मेयर पद के चुनावों का है। उन्होंने कहा कि मेयर पद के चुनाव के लिए दिल्ली में अब तीसरी बार बैठक होगी। स्पष्ट बहुमत आम आदमी पार्टी के पास होने के बावजूद बीजेपी मेयर का चुनाव नहीं होने दे रही है। उन्होंने अडानी के कंपनियों के 9 लाख करोड़ के शेयर डूबने की बात पर कहा कि सरकार ने एसबीआई, एलआईसी और अन्य बैंकों में जमा जनता के खून पसीने के पैसों को अडानी की कंपनियों में लगा कर डूबो दिया। केंद्र सरकार की शह पर अडानी ने अरबों खरबों की काली कमाई की। इस मौके पर आम आदमी पार्टी के नेता प्रवीण प्रभाकर गौड़, नवीन गौड़, नवीन जून, शिव कुमार रंगीला, सरोज बाला, राजेश सरोहा और अनुराग मलिक मुख्य रूप से मौजूद रहे। Post navigation किसान, मजदूर, कर्मचारी, दुकानदार, व्यापारी, किसी के हित में नहीं बजट- हुड्डा गौशालाओं को सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि को प्रतिदिन प्रति गाय के हिसाब से बढ़ाया जाए – दीपेंद्र हुड्डा