पीठासीन अधिकारियों के 83 वें अखिल भारतीय सम्मेलन में पारित हुए 9 खास प्रस्ताव।
हरियाणा में सत्रों के अलावा हर माह 3 प्रश्न पूछने की व्यवस्था बनी चर्चा का विषय।
कई राज्यों ने अनुसरण करने की इच्छा जताई, ज्ञान चंद गुप्ता से लिए टिप्स।
सदन पटल पर रखी जाने वाली प्रत्येक सूचना तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए। किसी भी मंत्री, विधायक या अधिकारी को गलत जानकारी देने का अधिकार नहीं है। गलत जानकारी को सदन की अवमानना के तौर पर लिया जाता है : विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

चंडीगढ़ 13 जनवरी : देश के विधान मंडलों को अधिक प्रभावी बनाने की कवायद तेज हो गई है। विधान मंडलों के शीर्ष संगठन ‘पीठासीन अधिकारियों के 83 वें अखिल भारतीय सम्मेलन’ (एआईपीओसी) में वित्तीय स्वायत्तता, कार्यपालिका और न्यायपालिका से शक्तियों का पृथक्करण, विधायी निकायों के राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड बनाने समेत 9 महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। हरियाणा विधान सभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने प्रदेश में हो रहे नए प्रयोगों की जानकारी सम्मेलन में रखी। इन प्रयोगों की न केवल दूसरे राज्यों ने प्रशंसा की, बल्कि इनका अनुसरण करने की बात भी कही। हरियाणा में विधान सभा सत्रों के अलावा विधायकों द्वारा 3 प्रश्न पूछे जाने की व्यवस्था, प्रश्नकाल के लिए निकाले जाने वाले ड्रा और ई-विधान सभा की सम्मेलन के दौरान विशेष चर्चा का विषय रही। बिना सत्र हर माह 3 प्रश्न पूछने की व्यवस्था करने वाला हरियाणा देश का इकलौता राज्य है। पीठासीन अधिकारियों का 83 वां अखिल भारतीय सम्मेलन लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में 10 से 12 जनवरी को राजस्थान की राजधानी जयपुर में संपन्न हुआ है।

हरियाणा विधान सभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने शुक्रवार को विधान सभा सचिवालय में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पीठासीन अधिकारियों के 83 वें अखिल भारतीय सम्मेलन में केंद्र सरकार और देश की संसद को 20 राष्ट्रों के समूह और संसद-20 के अध्यक्ष के रूप में सम्मानित किया गया। भारत को ‘लोकतंत्र की जननी’ के रूप में पेश करने के लिए पूर्ण समर्थन देने का संकल्प लिया गया। कहा गया कि भारत समानता, समावेशिता, बंधुत्व, शांति और स्थायी जीवन शैली के क्षेत्र में एक वैश्विक नेता है।

विस अध्यक्ष ने बताया कि सम्मेलन के दौरान पारित दूसरे संकल्प में देश के विधायी निकायों के माध्यम से कानून बनाने में लोगों की प्रधानता में पूर्ण विश्वास जताया गया। विधान पालिका, कार्यपालिका और न्याय पालिका की शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत में भी दृढ़ विश्वास जताया गया। विवादास्पद मुद्दों के समाधान के लिए बहस, चर्चा, सहयोग, परस्पर समझ की भावना को सर्वोपरि माना गया। सम्मेलन में पारित एक संकल्प में कहा गया कि विधायी निकायों के प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों की व्यापक रूप से समीक्षा की जानी चाहिए। सदस्यों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करते हुए आदर्श समान नियम तैयार किए जाने चाहिए। सदनों के कामकाज, अशोभनीय और असंसदीय आचरण के खिलाफ एक प्रभावी आचार संहिता को नियमों में शामिल करने की अनुशंसा भी गई।

विधायी निकायों में कार्यपालिका का उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए सदस्यों के प्रश्नों के लिए सरकार से जवाब मांगने के महत्व को स्वीकार किया। सभी राजनीतिक दलों से आह्वान किया कि वे किसी भी व्यवधान के खिलाफ आपस में आम सहमति बनाएं। पांचवें संकल्प में विधानमंडलों की समितियों की भूमिका को इनके इंजन के रूप में स्वीकार किया गया। इन्हें और अधिक प्रभावी बनाने का आह्वान किया।

विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि राज्य विधानमंडलों के प्रबंधन में वित्तीय स्वायत्तता पर भी संकल्प पारित किया गया। विधान मंडल अरसे से यह मांग के रहे हैं, लेकिन फिलहाल हिमाचल प्रदेश विधान सभा को ही वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त हुई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मौके पर ही विधान सभा को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करने की घोषणा की। शेष राज्यों में यह व्यवस्था लागू करवाने के लिए एआईपीओसी के अध्यक्ष ओम बिरला सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत करेंगे।

7 वें संकल्प में लिया गया कि देश भर के विधायी निकाय अधिक दक्षता, पारदर्शिता और अंतर-संबद्धता के लिए राष्ट्रीय डिजिटल ग्रिड में शामिल होने के लिए कदम उठाएंगे। सदनों के कामकाज में सदस्यों की प्रभावी और गुणात्मक भागीदारी को प्रोत्साहित करने और उच्च उत्पादकता का समर्थन करने के लिए वार्षिक सर्वश्रेष्ठ विधानमंडल पुरस्कार स्थापित करने का भी संकल्प लिया गया। संवैधानिक प्रावधानों, विधायी प्रथाओं और प्रक्रियाओं में जनसंख्या के सभी वर्गों, विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं को शामिल करने के हर संभव कदम उठाने का संकल्प भी लिया गया।

प्रश्न में अनुवाद की चूक पर 6 चार्जशीट।
पत्रकारों के सवालों के जवाब में हरियाणा विधान सभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि शीतकालीन सत्र के दौरान एक प्रश्न के अनुवाद में चूक होने के मामले में विधान सभा के एक अधिकारी समेत 6 कर्मचारियों को चार्जशीट कर दिया गया है। वहीं, गलत जानकारी देने में मामले में शिक्षा विभाग भी 4 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुका है। शिक्षा विभाग ने एक सहायक निदेशक और एक सहायक को नियम 7 के तहत चार्जशीट किया है, जबकि एक उप-अधीक्षक और एक सहायक को इसी नियम के तहत निलंबित किया है। गुप्ता ने कहा कि सदन पटल पर रखी जाने वाली प्रत्येक सूचना तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए। किसी भी मंत्री, विधायक या अधिकारी को गलत जानकारी देने का अधिकार नहीं है। गलत जानकारी को सदन की अवमानना के तौर पर लिया जाता है। इस प्रथा का विधान सभा में सख्ती से पालन किया जा रहा है।

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