मुख्य सचिव ने समग्र विकास के लिए ‘सर्कुलर इकोनॉमी’ पर दिया जोर

चण्डीगढ़, 23 दिसंबर- हरियाणा के मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने आज राज्य में कचरा प्रबंधन आधारभूत संरचना स्थापित करने से पहले विभिन्न स्तरों पर नियोजन में उपयुक्त स्थान और भूमि की उपलब्धता की पहचान पर बल दिया।       

Haryana Chief Secretary, Sh. Sanjeev Kaushal participating in ‘Circular Economy’ meeting chaired by Union Cabinet Secretary, Sh. Rajiv Gauba at Chandigarh on December 23, 2022. CEO, NITI Ayog, Sh. Parameswaran Iyer, Secretary, Ministry of Housing and Urban Affairs, Sh. Manoj Joshi, Secretary, Department of Drinking Water and Sanitation, Smt. Vini Mahajan besides Chief Secretaries of various states were virtually present.

श्री कौशल ने राज्य में सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने और लागू करने पर जोर देते हुए कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती अर्थव्यवस्था और शहरी क्षेत्रों के विस्तार एवं उनके अधिकार क्षेत्र में तेजी से विस्तार के कारण अपशिष्ट प्रबंधन के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने की आवश्यकता भी पैदा हुई। उन्होंने कहा कि ‘सर्कुलर इकोनॉमी’ एक आर्थिक प्रणाली है, जिसमें साझा करना, पट्टे पर देना, पुन: उपयोग करना, मरम्मत करना, मौजूदा सामग्रियों और उत्पादों का पुनर्चक्रण करना शामिल है।     

 श्री कौशल ने आज यहां ‘सर्कुलर इकोनॉमी’ को पूरे देश में लागू करने के साथ राज्य में लागू करने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय सुझाए। प्रस्तुतिकरण के दौरान केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गाबा, नीति आयोग के सीईओ श्री परमेश्वरन अय्यर, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव, श्री मनोज जोशी, सचिव, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, श्रीमती विनी महाजन सहित विभिन्न राज्यों के मुख्य सचिव उपस्थित थे।     

 श्री कौशल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित सर्कुलर इकोनॉमी को प्रोत्साहित करने के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए सरकार द्वारा संचालित विभिन्न नीतियों की निगरानी को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि 
राज्यों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और बदलती स्थिति के अनुसार नए तत्वों को शामिल करने के लिए समय-समय पर नीतियों और उपनियमों को अधिसूचित और संशोधित करना चाहिए।  प्रवर्तन तंत्र अंततः अपशिष्ट प्रबंधन संचालन को सुव्यवस्थित करेगा।       

मुख्य सचिव ने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन  के मूल्य श्रृंखला में अनौपचारिक क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनके द्वारा बड़ी मात्रा में सूखे कचरे का अनौपचारिक तरीके से प्रबंधन किया गया है। उन्हें समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ) और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की मदद से अपशिष्ट प्रबंधित मूल्य श्रृंखला में एकीकृत किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि उन्हें सूखे कचरे के प्रबंधन में लगाया जा सकता है क्योंकि वे शुष्क अपशिष्ट प्रबंधन में बहुत प्रमुख हैं। जैविक कचरे के प्रबंधन के उपायों पर उन्होंने कहा कि बायोगैस/सीबीजी संयंत्रों से उत्पन्न जैव-उर्वरक/जैविक खाद को बहुत अच्छा पोषक मूल्य मिला है। स्थानीय किसानों और उर्वरक सहकारी समितियों के साथ जुड़कर औपचारिक समझौते, क्षमता निर्माण और आईईसी गतिविधियों के माध्यम से इसका उठान सुनिश्चित किया जा सकता है।        

श्री कौशल ने कहा कि अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों, विशेष रूप से जैविक अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों की पहचान की जानी चाहिए और जीएचएस उत्सर्जन में कमी की गणना के लिए मूल्यांकन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह चिन्हित स्वच्छ विकास तंत्र (सीडीएम) एजेंसियों की मदद से किया जा सकता है।  विभिन्न उत्पादों के वितरण और बिक्री में ई-मार्केटप्लेस की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सी और डी कचरे के संसाधित उप-उत्पादों को सरकारी ई-मार्केटप्लेस में प्रदर्शित किया जाना चाहिए ताकि खरीदार वहाँ से सामग्री आवश्यक मात्रा में सीधे खरीद सकें।        

उन्होंने कहा कि राज्य को इसके लिए योजना बनाने और समग्र जिम्मेदार एजेंसी के रूप में एक इकाई को पंजीकृत करने की आवश्यकता है। कुछ प्रसंस्कृत/पुनर्नवीनीकरण उत्पादों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) मानक उपलब्ध हैं जिनका उपयोग केवल गैर-भार वहन करने वाले निर्माण कार्यों के लिए किया जा सकता है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी प्रसंस्कृत उत्पाद बीआईएस प्रमाणित हों ताकि इससे इन उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार बनाने में मदद मिले।       

इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन श्री विनीत गर्ग, अतिरिक्त मुख्य सचिव शहरी स्थानीय निकाय श्री अरुण कुमार गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी श्री ए के. सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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