दीपेन्द्र हुड्डा ने संसद में मेडिकल बॉन्ड पॉलिसी रद्द करने की मांग का दिया नोटिस

·         जब तक सरकार मेडिकल बॉन्ड पॉलिसी रद्द नहीं करतीसंसद में और संसद के बाहर लड़ाई जारी रहेगी – दीपेन्द्र हुड्डा

·         सरकार मेडिकल छात्रों की मांगें मानने की बजाय जोर-जबरदस्ती और दमन का रास्ता न अपनाए – दीपेन्द्र हुड्डा

·         40 लाख रुपये वाली बॉन्ड पॉलिसी से गरीब व मध्यम वर्ग परिवार अपने बच्चों को डॉक्टर कैसे बनायेंगे? – दीपेन्द्र हुड्डा

चंडीगढ़, 9 दिसंबर। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज संसद में मेडिकल बॉन्ड पॉलिसी रद्द करने की मांग का नोटिस दिया। उन्होंने हरियाणा समेत पूरे देश में मेडिकल विद्यार्थियों पर थोपी जा रही ‘मेडिकल बॉन्ड पॉलिसी’ और इसके चलते हरियाणा में उत्पन्न चिंताजनक हालातों के अति-महत्त्वपूर्ण मुद्दे को सरकार के संज्ञान में लाते हुए मांग करी कि मेडिकल बॉन्ड पॉलिसी को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए, ताकि हरियाणा समेत अन्य प्रदेशों के मेडिकल विद्यार्थियों व आम रोगियों को राहत मिल सके।

राज्य सभा में दिए गए नोटिस में दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में बॉन्ड पॉलिसी के नाम पर मेडिकल छात्रों पर बढ़ी हुई फीस के साथ कॉलेज और संबंधित बैंक से साढ़े 4 साल के कोर्स के लिए लगभग 40 लाख रुपये का बॉन्ड-कम-ऋण एग्रीमेंट भरने की बाध्यता लागू की जा रही है। जिसके विरोध में मेडिकल छात्र कई महीने से आन्दोलनरत हैं और लगातार सरकार से इस पॉलिसी को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। सरकार मेडिकल छात्रों की मांगें मानने की बजाय इनके साथ जोर-जबरदस्ती और दमन का रास्ता अपना रही है। जिससे न सिर्फ छात्रों का नुकसान हो रहा है बल्कि प्रदेश भर में चिकित्सा व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो रही है और इलाज के लिए अस्पताल आने वाले आम रोगियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।

ज्ञात हो कि पिछले दिनों सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ आंदोलनरत मेडिकल छात्रों के धरने पर पहुंचकर कहा था कि मेडिकल छात्रों की मांगें पूरी तरह से जायज हैं और वो उनकी मांगों का पूर्ण समर्थन करते हैं। सरकार मेडिकल छात्रों को बंधुआ मजदूर बनाना चाहती है। सरकार आम गरीब व मध्यम वर्ग के बच्चों को शिक्षित देखना चाहती है न ही उन्हें डॉक्टर बनते देखना चाहती है। 40 लाख रुपये की भारी भरकम फीस होने से गरीब व मध्यम परिवार अपने बच्चों को कैसे डॉक्टर बनायेंगे? उन्होंने आंदोलनकारी छात्रों को आश्वस्त किया था कि संसद के दोनों सदनों के 15 सांसदों में से 14 सत्ताधारी दल के हैं। वे अकेले ही विपक्ष के सांसद हैं, लेकिन फिर भी संसद के शीतकालीन सत्र में मेडिकल छात्रों का मुद्दा पूरे जोर-शोर से उठायेंगे।

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