बीजेपी व हजपा ने किया अम्बाला की जनता से किया विश्वासघात-मिथुन वर्मा

अम्बाला – मिथुन वर्मा ऐडवोकेट, निगम सद्स्य, नगर निगम अम्बाला ने बताया कि आज पंचायत भवन, अम्बाला शहर में निगम के सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के चुनावों में भाजपा और हरियाणा जन चेतना पार्टी द्वारा आपसी मिलीभगत से अपने अपने सद्स्यों से केवल हाथ उठवाकर बीजेपी ने अपना सीनियर डिप्टी मेयर और हरियाणा जन चेतना पार्टी ने अपना डिप्टी मेयर घोषित कर दिया। उपरोक्त चुनाव प्रक्रिया का कांग्रेस पार्टी की सद्स्य मेघा गोयल सहित दोनों कांग्रेसी सद्स्यों ने विरोध दर्शाते हुए चुनाव के बहिष्कार स्वरूप सदन से वॉकआउट किया।

मिथुन वर्मा ने बताया कि उपरोक्त चुनाव प्रक्रिया दर्शाती है कि दोनों दलों द्वारा लोकतन्त्र का सीधा सीधा गला दबाया गया है। दोनों दलों ने मिलीभगत और दोस्ताना तरीके से अम्बाला शहर की जनता के साथ धोखा किया है कि क्योंकि उपरोक्त दोनों पार्टियां चुनावों के समय पर एक दुसरे की धुर विरोधी थीं और अम्बाला की जनता ने उनको और उनकी पार्टी की विचार धारा के अनुरूप वोट डालकर चुना था। लेकिन आज दोनो ही पार्टियों हरियाणा जन चेतना पार्टी व बीजेपी ने एक दूसरे को जिस तरह से एक दुसरे का पटका पहनाया है उस से यह साबित हो गया है कि दोनो पार्टियों को जनता के वोट और भावना की कोई कदर नहीं है और दोनों ही पार्टीयों ने जनता के साथ धोखा किया है।

जिस तरह से जेजेपी ने प्रदेश में भाजपा के खिलाफ़ और भाजपा की विचार धारा के खिलाफ़ चुनाव लड़ा था और बाद में इलेक्शन जीतने के बाद जनता की वोट और भावनाओं को दरकिनार करते हुए भाजपा और भाजपा की विचार धारा को अपना लिया और लोकतंत्र की हत्या कर दी आज उसी नीति पर चलते हुए जन चेतना पार्टी ने भी सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में अंबाला की जनता के साथ और उनकी भावनाओं के साथ विश्वासघात किया है।

मिथुन ने कहा कि हरियाणा जन चेतना पार्टी अम्बाला की जनता को बताए कि उनका भविष्य में राजनैतिक रुख क्या होगा या दोनों पार्टियां यूं ही अम्बाला की जनता के साथ धोखा करती रहेंगी। वर्मा ने हरियाणा जन चेतना पार्टी को सलाह दी है कि इस तरह अम्बाला की जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करने की बजाय हरियाणा जन चेतना पार्टी को बीजेपी में विलय ही कर लेना चाहिए।

आज अंबाला की जनता को पता चल चुका है कि भाजपा और भाजपा की बी-टीम हजका अंबाला की जनता को धोखे में रख कर पहले चुनाव एक दुसरे के खिलाफ लड़ते हैं और फिर सत्ता और कुर्सी के लालच में एक दूसरे से हाथ मिला लेते हैं। जनता सब देख रही है और दोनों ही पार्टियों को इस नीति का खामियाजा आने वाले 2024 के विधानसभा और लोक सभा चुनावों में भुगतना पड़ेगा।

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