चण्डीगढ़, 26 नवम्बर – हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण की अध्यक्ष श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा ने कहा कि हरियाणा के सभी 22 जिलों द्वारा ‘जिला जल संसाधन योजना 2022-25‘ प्राधिकरण के तकनीकी मार्गदर्शन एवं सहयोग से जिला योजनाएँ सहयोगी अंतर्विभागीय  दृष्टिकोण से तैयार की जा रही हैं। योजनाएं पानी के इष्टतम उपयोग, भूजल पुनर्भरण, सतही जल वृद्धि के साथ-साथ उपचारित अपशिष्ट जल के बेहतर उपयोग पर केंद्रित हैं।       

हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण अध्यक्ष श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा ने यह बात अंबाला, भिवानी, करनाल, कुरुक्षेत्र, सोनीपत और यमुनानगर जिलों के उपायुक्त के साथ वर्चुअल बैठक के दौरान कही।       

श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा ने कहा कि इन योजनाओं ने प्रत्येक ब्लॉक के विशिष्ट पानी के मुद्दों को उजागर किया है जो उन्हें पानी की समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक सटीक हस्तक्षेप करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि जिला योजनाओं के आधार पर राज्य जल योजना विचार एवं अनुमोदन के लिए तैयार की जा रही है। यह पूरे देश में अपनी तरह की पहली पहल है जहां एक एकीकृत ब्लॉक-स्तरीय जल योजना और रणनीति तैयार की जा रही है।       

श्रीमती अरोड़ा ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे समाधानों को नया करने की जरूरत है जो अधिक स्मार्ट, कम खर्चीले, अधिक मजबूत और पारिस्थितिक रूप से जागरूक हों। उन्होंने जिलों को नवीन परियोजनाओं के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसके लिए प्राधिकरण को धन उपलब्ध कराने में खुशी होगी।       

विकास एवं पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अनिल मलिक ने बताया कि हरियाणा तालाब प्राधिकरण द्वारा पूरे राज्य में करीब 19000 तालाबों की मैपिंग की गई है। तालाब का कार्याकल्प पानी के भंडारण के साथ-साथ एक्वीफर्स के पुनर्भरण के लिए काफी संभावनाएं प्रस्तुत करता है। जिलों की कार्ययोजना में इस पर विचार किया जाना चाहिए। मत्स्य पालन विभाग के प्रधान सचिव श्री डी. सुरेश ने लवणता से प्रभावित क्षेत्रों में झींगा और अन्य खारा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने का सुझाव दिया और ऐसी परियोजनाओं को लागू करने में अपना पूरा समर्थन दिया।       

श्री वी. उमाशंकर ने एक व्यापक और एकीकृत जल योजना तैयार करने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कार्य योजनाओं को अच्छी तरह से सोचा जाना चाहिए, लागू करने योग्य और निगरानी योग्य होना चाहिए। आई एंड डब्ल्यूआरडी के आयुक्त श्री पंकज अग्रवाल ने उपायुक्तों को आगामी माननीय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली हरियाणा सूखा राहत और बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक में जल संरक्षण के लिए नवीन परियोजनाओं को प्रस्तावित करने और शामिल करने का निर्देश दिया।       

यह प्रस्तावित किया गया था कि कृषि में संरक्षण जुताई की शुरूआत राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण जल-बचत गतिविधि हो सकती है। कृषि विभाग के महानिदेशक श्री हरदीप सिंह ने कहा कि किसानों को इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक नई योजना शुरू करके इस गतिविधि को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की।       

उपायुक्तों ने अपने-अपने जिले में पानी की कमी, पानी की उपलब्धता की चुनौतियों और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी के अंतर को कम करने के साथ-साथ अगले तीन वर्षों में जलभराव और खारा प्रभावित क्षेत्रों में 45 प्रतिशत (पहले वर्ष में 10 प्रतिशत, दूसरे वर्ष में 15 प्रतिशत और तीसरे वर्ष में 20 प्रतिशत) को पुनः प्राप्त करने के लिए संबंधित कार्य योजना प्रस्तुत कर विस्तार से चर्चा और समीक्षा की गई।

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