यादों की धरोहर पुस्तक में से । हरिशंकर परसाई के साक्षात्कार का अंश -चयन : कमलेश भारतीय एक आरोप मुझ पर लगाया जाता है कि मुझे बुरा ही बुरा क्यों दिखता है ? मेरी दृष्टि नकारात्मक है । यह कहना उसी तरह हुआ जिस डाक्टर के बारे में कहा जाए कि उसे आदमी में रोग ही रोग दिखता है । हरिशंकर परसाईं का कहना था कि मैं उन लेखकों में से नहीं जो कला के नाम पर बीमार समाज पर रंग पोतकर उसे खूबसूरत बना कर पेश कर दें । वे लेखक गैर जिम्मेदार है । जिम्मेदार लेखक बुराई बताएगा ही । क्योंकि वह उसे दूर करके बेहतर जीवन चाहता है । वे मुक्तिबोध की पंक्तियां गुनगुनाने लगे जैसा जीवन है उससे बेहतर जीवन चाहिएसारा कचरा साफ करने को मेहतर चाहिए –पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation भारत जोड़ो यात्रा की पीड़ा ? चुनाव खत्म , पैरोल भी खत्म , सत्संग भी बंद