कमलेश भारतीय आखिर आज आदमपुर चुनाव परिणाम निकला और परंपरागत परिणाम की तरह एक बार फिर चौ भजनलाल परिवार के भव्य बिश्नोई की जीत हुई और वह भी भव्य जीत ! सोलह हजार से ऊपर । जिस तरह से चुनाव प्रचार चल रहा था उससे इतने अंतर से हार की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती थी लेकिन एक तरफ पूरी सरकार और चौ भजनलाल का बनाया गढ़ और दूसरी तरफ दुष्यंत चौटाला के शब्दों में थकी , मरी और गुटबाजी से लथपथ कांग्रेस ! जीत कैसे मिलती ? मुकाबला बनाने और संघर्ष करने में कोई कमी नहीं छोड़ी पिता पुत्र व नये प्रदेशाध्यक्ष ने ! दिन रात एक कर दिया । इसके बावजूद किरण चौधरी , रणदीप सुरजेवाला और सैलजा ने एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया और फिर वही गुटबाजी भी इस बड़ी हार का कारण कही जा सकती है । चुनाव परिणाम के बीच किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़ने की अफवाह भी आई जबकि किरण चौधरी ने इसका खंडन आगे बढ़कर करने में देर नहीं लगाई । इस परिणाम से यह बात तो साबित हो गयी कि आप पार्टी का अभी हरियाणा में पैर नहीं लगने वाला । दूसरे सचमुच ही क्या सतेंद्र सिह लगभग तीन पहले मैदान छोड़कर निराश हो चुके थे या वोटकाटु की भूमिका भी ठीक से न निभा सके ? यही हाल कुरड़ाराम नम्बरदार का रहा । दोनों वाटकाटु ही साबित हुए । लड़ाई सिर्फ भाजपा , भव्य , चौ भजनलाल की विरासत की थी , जिसे कुलदीप ने अपने बेटे को सौंप दी । अब हो सकता है कि दादी जसमा की बात सच हो जाये कि मंत्री भी बनायेंगे ! यह भाजपा को देखना है । दलबदल बहुत बड़ा मुद्दा रहा और विकास की उपेक्षा भी । जयप्रकाश बदहाली बनाम खुशहाली का नारा लेकर चले थे । चुनाव के मतदान के बाद तुरंत ही आदमपुर के स्कूलों को फिर से चलाने के आदेश दे दिये गये जो कांग्रेस के संघर्ष का ही परिणाम है । आखिर विपक्ष की बात मानी । यह जीत एक प्रकार से जीवनदान है और यह संकेत लगातार मिलते रहे कि इस बार तो सरकार में हम चौबीस साल बाद शामिल होंगे और अपने काम करवायेंगे , यदि फिर भी जनता के बीच नहीं आये तो अगले चुनाव में गांवों में घुसने भी न देंगे ! यह बहुत बड़ी चुनौती है । विरासत को संभाले रखने के लिये लोगों के बीच रहना होगा । दादा, दादी , बेटा और बहू के साथ जनता ने पोते को भी विधायक बना दिया । यह जादू बरकरार रखना है तो जनता की आवाज सुननी होगी । उपचुनाव में हर सरकार का हाथ ऊपर रहता है लेकिन जींद के बाद बरोदा और ऐलनाबाद की हार से भाजपा ने सबक लिया और पहली बार कमल खिला आदमपुर में ! बेशक यह कहा गया कि एक बार आदमपुर से जयप्रकाश को जीता दो , हम सरकार की चूलें हिला देंगे ! दूसरी ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि एक बार भव्य का हाथ मुझे पकड़ा दो , मैं पिछले चौबीस साल की कहर निकाल दूंगा ! एक तरफ कहा गया कि मनोहर लाल खट्टर जिस कुलदीप को सबसे निकम्मा विधायक कह कर गये थे , उसी के बेटे के हक में वोट कैसे मांगेंगे ? दूसरी तरफ मनोहर लाल खट्टर ने जवाब दिया कि सन् 2005 में जो धोखा हुआ उसके बाद वोट कैसे मांग रहे हो ? इस धोखे का बदला लेने का समय है । अब इतने बयानों के बीच यह आदभनुर का चुनाव लड़ा गया और आखिरकार एक युवा व नये चेहरे को मौका मिला । जयप्रकाश को बाहरी प्रत्याशी कहा जाता रहा और अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि अगला चुनाव कलायत से लड़ेंगे या आदमपुर से ! बहुत ही चुनौतियां दी जाती रहीं और बहुत से मुद्दे उठाये जाते रहे । अभी इस परिणाम के बाद कुछ दिनों तक और भी चुनौतियां दी जाती रहेंगीं । और भी मुद्दे उठते रहेंगे ! कांग्रेस को अपनी गुटबाजी की कोई दवा खोजने होगी और एक बार फिर नये प्रदेशाध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने खाली हाथ जायेंगे ! हाईकमान द्वारे खुले हाथ देने की आलोचना विरोधी करेंगे लेकिन अपनी कारगुजारी नहीं बतायेंगे ! कांग्रेस भितरघात की शिकार होती रहेगी या कभी भारत जोड़ो की बजाय कांग्रेस जोड़ो यात्रा की सख्त जरूरत है ?अभी भी नहीं संभले तो सन् 2024 में सत्ता में कैसे लोटोगे ?–पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation आदमपुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस अपने अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नही कर सकी : विद्रोही आदमपुर उपचुनाव भव्य ने मारी बाजी बाकी किसको क्या मिला देखिए….भव्य..67376…. जयप्रकाश…..51662