यूपीएससी मेन परीक्षा 2021 के लिए 749 पोस्टों के लिए विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन जब वर्ष 2002 में मार्च-अप्रैल में परीक्षा परिणाम आया तो केवल 685 उम्मीदवारों का चयन हुआ। विद्रोही

25 अक्टूबर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि यूपीएससी सिविल सर्विस मेन परीक्षा में तिकडमे करके पिछडे, दलित व आदिवासी वर्ग के उन उम्मीदवारों को चयन प्रक्रिया से बाहर किया जा रहा है जो मैरिट के दम पर सिविल सेवा में सफल हो रहे है। विद्रोही ने कहा कि रिजर्व कोटै से अलग मैरिट के आधार पर सिविल सेवा परीक्षा में चयन के पात्र पिछडे, दलित, आदिवासी वर्ग के उम्मीदवारों को रोकने के लिए जितनी सीटों के लिए विज्ञापन निकलते है, उनमें कुछ सीटों के परिणाम रोककर एससी, एसटी व ओबीसी उम्मीदवारों की जगह पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों का कम नम्बर आने पर भी पिछले दरवाजे से आईएएस बनाने का सत्ता दुरूपयोग से मोदी सरकार घिनौना खेल खेल रही है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी मोदी सरकार का यूपीएससी में यही खेल जारी रहा। यूपीएससी मेन परीक्षा 2021 के लिए 749 पोस्टों के लिए विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन जब वर्ष 2002 में मार्च-अप्रैल में परीक्षा परिणाम आया तो केवल 685 उम्मीदवारों का चयन हुआ। विद्रोही ने कहा कि 64 उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया होल्ड पर रख ली गई, क्योंकि इन सीटों पर पिछडे, दलित, आदिवासी वर्ग के उम्मीदवार मैरिट के आधार पर रिजर्व पोस्टों से अतिरिक्त चयनित हो गए थे। अब 6 माह बाद मोदी सरकार ने इन होल्ड की गई 64 पोस्टों का परिणाम निकालकर सुनियोजित ढंग से सत्ता दुरूपयोग से नियमों की मनमानी व्याख्या करके पिछडे, दलित, आदिवासी उम्मीदवारों की मैरिट तांक पर रखकर इनके स्थान पर स्वर्ण वर्ग के 46 उम्मीदवारों को चोर दरवाजे से आईएएस के लिए चयनित कर लिया। मोदी सरकार व यूपीएससी ने इस तरह पिछडे, दलित, आदिवासी वर्ग के योग्य उम्मीदवारों को जान-बूझकर उनके हक से वंचित कर दिया। यही खेल पिछले पांच वर्षो से चल रहा है। 

विद्रोही ने कहा कि पिछडे, दलित, आदिवासी वर्ग के योग्य उम्मीदवारों को सुनियोजित ढंग से मैरिट होते हुए भी आईएएस बनने से रोका जा रहा है। एक तरह से मोदी सरकार षडयंत्र व तिकडमों की चाल चल रही है और मैरिट होते हुए एसटी, एससी व ओबीसी वर्ग के लोगों को आईएएस बनने से रोका जा रहा है। वहीं मोदी सरकार संघीयों को बिना परीक्षा भी संयुक्त सचिव पद पर विशेषज्ञों के नाम पर सीधी अनुबंध पर आईएएस की नौकरी दे रही है। एक तरह से मोदी सरकार सुनियोजित ढंग से एससी, एसटी व ओबीसी को आईएएस, आईपीएस बनने से रोककर संघी स्वर्ण जातियों को प्रशासनिक पदों पर चोर दरवाजे  से थोपकर प्रशासन पर संघीयों का कब्जा कर रही है। विद्रोही ने कहा कि यदि पिछडे, दलित व आदिवासी वर्ग के लोगों ने मोदी-भाजपा-संघ की तिडकमों, षडयंत्र को समझकर जोरदार विरोध नही किया तो एक दिन आरक्षण बेमानी हो जायेगा और मैरिट होने पर भी कमेरे वर्ग के लोगों को प्रशासनिक अफसरशाही में दूध की मक्खी की तरह बाहर फेंक दिया जायेगा। 

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