कमलेश भारतीय

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने सबसे कम दिनों की प्रधानमंत्री बनने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है । सिर्फ 47 दिन की प्रधानमंत्री ! वे पद संभालने के बाद से ही लगातार संकट में घिरी रहीं । उनका कार्यकाल अराजकता से भरा रहा । अनेक मंत्रियों ने उनके खिलाफ बगावत कर दी थी । लिज ट्रस ने कहा कि वे चुनावी वादों को पूरा नहीं कर सकतीं , इसलिए अपना पद छोड़ रही हैं । ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री का चुनाव एक सप्ताह में होगा । भारतीय सुनक इस दौड़ में सबसे आगे बताये जा रहे हैं । शायद इस बार वे हमें कोई खुशखबरी दे दें !

पर सबसे बड़ी बात कि लिज ट्रस ने इस्तीफा देने में देर नहीं लगाई । किसी बड़े रिसोर्ट में नहीं भेजा किसी को अपनी सरकार बचाने के लिए । न संविधान को ठेंगा दिखाया ! हालांकि वित्तमंत्री का इस्तीफा जरूर ले लिया था लेकिन इसके आगे हमारी राजनीति की तरह कोई हथकंडा नहीं अपनाया ।

वैसे अपने देश में जहां तक मेरे ध्यान में है सबसे कम दिनों के प्रधानमंत्री रहे थे चौ चरण सिंह जो विश्वासमत का सामना करने से पहले ही इस्तीफा देकर चले गये थे । उन्होंने जनता दल से निकल कर सरकार बनाने की कोशिश की थी लेकिन बहुमत न जुटा सके थे । चंद्रशेखर को भी पहले कांग्रेस ने समर्थन दिया था लेकिन चार महीने बाद उनकी भी सरकार गिरा दी थी । यह सरकारें गिराने का खेल काफी रोचक है । अभी महाराष्ट्र में पहले शरद पवार ने देवेंद्र फडणबीस को अधबीच ही इस्तीफा देने और विश्वासमत का सामना न करने पर इस्तीफा देने को मजबूर किया था तो बदले में अढ़ाई साल बाद भाजपा ने भी खेल खेला एकनाथ शिंदे को शिवसेना से अलग गुट बनवा कर और उद्धव ठाकरे को भी बिना विश्वासमत का सामना किये ही इस्तीफा देने पर विवश होना पड़ा। यह हमारी भारतीय राजनीति है । हमारे नेता आखिरी समय तक पद नहीं छोड़ते अंर हिम्मत नहीं हारते । काश ! लिज ट्रस ने कुछ टिप्स हमारे भारतीय राजनीतिज्ञों से लिये होते तो वे इतनी जल्दी इस्तीफा न देतीं !

भारत में तो जुगाड़ और जोड़ तोड़ की राजनीति ही सत्ता का आधार है । जिसे यह खेल नहीं आता उसका राजनीति में आना बेकार है ! सीखतीं लिज कुछ हमारे राजनेताओं से ! मैनेजमेंट करतीं । कमाल की जादूगरी है सरकारें गिराना और सरकारें बचाना ! शाहनवाज हुसैन से जब बिहार की राजनीति में सरकार गिरने के बारे में पूछा गया था तब उन्होंने मजेदार जवाब दिया था कि पटना से चले थे प्लेन में तो उद्योगमंत्री थे लेकिन जब दिल्ली के एयरपोर्ट पर उतरे तो कुछ भी न रहे थे ! यह हाल है हमारी राजनीति का ! दूर क्यों जायें ! ऐसे ही तो जनता राज में हमारे चौ भजनलाल ने हरियाणा में रातोंरात पूरी सरकार बदल कर कांग्रेस के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने में रिकॉर्ड बना दिया था ! सबसे मजेदार पंजाब में हुआ कि जो चन्नी नये बनने वाले मुख्यमंत्री को बधाई देने के लिए उनकी कोठी के बाहर इन्तजार कर रहे थे , उसे ही मुख्यमंत्री बना दिया था कांग्रेस ने ! इससे ज्यादा और क्या जादूगरी रही होगी ? है न हाथ की सफाई जैसा जादू? मध्यप्रदेश , गोवा , उत्तराखंड , मेघालय और कहां कहां यह जादू नहीं दिखा और कमल नहीं खिला !

लिज हमें आपसे पूरी सहानुभूति है लेकिन आपने जो उदारहण दिया इस्तीफा देकर वह हम कभी नहीं कर सकते । हम मरते मरते मर जायेंगे लेकिन कुर्सी न छोड़ेंगे,,,

यह कुर्सी हम नहीं छोड़ेंगे
छोड़ेंगे दम मगर
कुर्सी न छोड़ेंगे ,,,,,!
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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