नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड्स में राष्ट्रपति ने दिया पुरस्कार मुख्यमंत्री ने मनदीप सिंह चौहान को इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए दी बधाई चंडीगढ़, 1 अक्तूबर – 68वें नेशनल फिल्म अवार्ड वितरण समारोह में आज करनाल निवासी मंदीप सिंह चौहान को उनके द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुरमू ने रजत कमल पुरस्कार से सम्मानित किया। फिल्म निर्माता मंदीप सिंह चौहान को यह सम्मान उनकी लघु फिल्म ‘जस्टिस डिलेड बट डिलीवर्ड’ के लिए दिया गया। नॉन फीचर फिल्म श्रेणी में यह फिल्म राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में चयनित की गई थी। मंदीप सिंह चौहान के साथ फिल्म के निर्देशक मुंबई निवासी कामाख्या नारायण सिंह को भी राष्ट्रपति महोदया ने सम्मानित किया। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने श्री मनदीप सिंह चौहान को इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की डॉक्यूमेंट्री फिल्में समाज को दिशा देने का काम करती हैं। उल्लेखनीय है की 2020 के नेशनल फिल्म अवार्ड सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा हाल ही में घोषित किए गए थे और नई दिल्ली के विज्ञान भवन मैं आयोजित एक गरिमा पूर्ण समारोह में आज यह पुरस्कार वितरित किए गए। इसी समारोह में देश का फिल्म जगत का सर्वोत्कृष्ट पुरस्कार दादा साहब फालके अवॉर्ड प्रख्यात अभिनेत्री आशा पारेख को प्रदान किया गया। नेशनल फिल्म अवार्ड प्राप्त करने वाले मंदीप सिंह चौहान मूलतः जिले के गोंदर गांव से संबंध रखते हैं। उनके बड़े भाई डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और निदेशक हैं। मनदीप सिंह चौहान ‘बॉलीवुड में हिंदी’ सहित कई चर्चित डॉक्युमेंट्री फिल्म्स के सहायक निर्माता के रूप में कार्य करने के कई क्षेत्रीय व राष्ट्रीय समाचार चैनलों के साथ जुड़े रहे हैं। क्या है पुरस्कृत फिल्म की विषय-वस्तु ? हिंदी में निर्मित ‘जस्टिस डिलेड बट डिलीवर्ड’ डॉक्यूमेंट्री फिल्म जम्मू कश्मीर में संविधान के अब समाप्त हो चुके अनुच्छेद 35 ए के काले प्रावधानों के कारण वहां के वाल्मीकि समुदाय के साथ दशकों तक हुए अमानवीय अत्याचारों की दास्तान है। फिल्म राधिका गिल नामक एक जुझारू लड़की की दास्तान है मगर इसमें राधिका जैसे हजारों कश्मीरी हिंदुओं का दर्द वर्णित है। जम्मू कश्मीर मामलों पर वर्षों तक लेखन करते रहे डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि अनुच्छेद 370 के संशोधन और 35ए के उन्मूलन ने राधिका जैसे लाखों लोगों के जीवन में नई रोशनी का संचार किया। उन्होंने कहा कि चोरी छुपे जोड़े गए अनुच्छेद 35ए के कारण राधिका गिल सहित वहां के वाल्मीकि समुदाय के लोगों को चुनाव लड़ने का अधिकार तो दूर की बात सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने का अधिकार भी नहीं था। यह काला अनुच्छेद उन्हें केवल और केवल सफाई कर्मचारी बनने की इजाजत देता था। Post navigation आजादी का अमृत महोत्सव के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 के नतीजे जारी हरियाणा पंचायत चुनाव की घोषणा कल : नेताओं की कसरत शुरू