जितना भारी वर्षा ने विगत पांच दिनों में खरीफ फसलों में नुकसान पहुंचाकर अहीरवाल के किसानों को आर्थिक चोट मारी है, वैसी आर्थिक चोट विगत समय में बहुत कम मिली है : विद्रोही

26 सितम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा सरकार से मांग की कि वह यह सुनिश्चित करे कि मोनसून ने जाते-जातेे खरीफ फसलों पर जो कहर बरपाया है, उसका मुआवजा बिना किसी किन्तु-परन्तु प्रभावित किसानों को मिले। विद्रोही ने कहा कि मूसलाधार बरसात ने किसानों पर चौतरफा चोट की है। जिन किसानों का बाजरा, कपास, मूंग, धान की फसल पककर तैयार खडी थी, उसमें भारी नुकसान हुआ है और जिन किसानों ने बाजरे की फसल काट ली थी और वह अभी खेत में ही पडी थी, वह बर्बाद हो गई। भारी वर्षा से हुए जलभराव से फसलों का गलना शुरू हो गया और बाजरा फसलों में दाने फिर अंकुरित होने लगे। वहीं जिन किसानों की बाजरे, धान की फसल मंडियोंं में बिकने के लिए फड़ पर खुले में पडी थी, वह आढ़तियों की हडताल के चलते वर्षा के पानी में बह गई, उसका किसानों को अलग से नुकसान हुआ और फड़ पर पडी जो फसल बहने से बच गई, वह अब सडऩे की स्थिति में हैै। 

विद्रोही ने कहा कि इसी तरह मोनसून वर्षा ने जाते-जाते पांच दिन जो कहर बरपाया है, उससे किसानों को ऐसा चौतरफा नुकसान हुआ है, जिसका सरकार को अलग-अलग आंकलन करके प्रभावित किसानों को अलग-अलग मुआवजा देना होगा। पूरे प्रदेश में वर्षा से सबसे ज्यादा नुकसान अहीरवाल में हुआ है क्योंकि इस क्षेत्र में बाजरे की 99 प्रतिशत फसल पक चुकी थी जिसमें कुछ फसल कट कर खेतों में पडी थी और कुछ फसल कटने की प्रक्रिया में थी और कुछ फसलों का बाजरा निकालने के बाद क्या तो खेतों में या अनाज मंडियों में खुला पडा था। जितना भारी वर्षा ने विगत पांच दिनों में खरीफ फसलों में नुकसान पहुंचाकर अहीरवाल के किसानों को आर्थिक चोट मारी है, वैसी आर्थिक चोट विगत समय में बहुत कम मिली है। ऐसी स्थिति में विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहलाल खट्टर से आग्रह किया कि दक्षिणी हरियाणा में किसानों की खरीफ फसल में हुए चौतरफा नुकसान का जायजा अन्य क्षेत्रों की तुलना में विशेष नजरिये से आंकलन करने की जरूरत है ताकि यहां के किसानों को समुचित मुआवजा मिल सके। वहीं किसानों की नष्ट फसलों का मुआवजा बीमा कम्पनियों के गांव को आधार मानकर देने के नियम से अलग हटकर अहीरवाल के हर किसान के खेत को ईकाई मानकर मुआवजा राशी का आंकलन किया जाये। विद्रोही नेे मांग की कि पूरे प्रदेश में बाजरा उत्पादक किसानों को 30 हजार प्रति एकड़ व धान और कपास उत्पादक किसानों को 50 हजार रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा मिले। वहीं मंडियों में खुले में पड़ी फसलों व जलभराव के कारण हुए नुकसान का भी मुआवजा किसानों को अलग से दिया जाये। 

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