ये डाटा तो सरकार के पहले मौजूद था फिर पंचायती राज चुनाव में इतनी देरी क्यो की : वर्मा हिसार 23 सितंबर । कांग्रेसी नेता व स्वाभिमान की आवाज संगठन के अध्यक्ष हनुमान वर्मा ने प्रैस में जारी बयान में कहा कि जब सरकार के पास पहले से ही 2011 की जनगणना के आंकड़े थे और परिवार पहचान पत्र के आंकड़े थे तो फिर सरकार ने पंचायती राज चुनाव में इतनी देरी क्यों की । ये बात सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है । वर्मा ने कहा कि जब सरकार को परिवार पहचान पत्र को ही आधार मानना था तो जब हरियाणा पंजाब हाईकोर्ट ने अतिपिछड़ों के आंकड़े मांगे तब सरकार को पिछड़ा वर्ग आयोग ना होने का बहाना बनाने की क्या आवश्यकता पड़ी थी । वर्मा ने कहा कि सरकार की मंशा अब साफ हो गई है कि वो नगरपालिका व नगर निकाय के चेयरमैन पद अतिपिछड़ों के लिए आरक्षित नहीं करना चहाती थी । वर्मा ने कहा कि अब तक सभी के परिवार पहचान पत्र ना तो बने हैं और ना ही इन की वैरिफिकेशन हुई तो सही संख्या के बिना पते ही सरकार ऐसा कैसे कर सकती हैं । वर्मा ने कहा कि हम पुछते है मुख्यमंत्री जी से को बताए कि जब आपने 2011 की जनगणना ओर परिवार पहचान पत्र को आधार मानकर चुनाव करवाना था तो फिर आप ने पिछड़ा वर्ग आयोग का ड्रामा क्यों किया । पिछड़ा वर्ग आयोग ने कौन सी जनगणना कर दी । क्यो पिछड़ा वर्ग आयोग बनाया ?? क्यो आयोग को पुरे प्रदेश में घुमाया ?? क्यो आपने प्रदेश के लाखों रुपए आयोग बना कर बर्बाद किए ।आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की लाखों रुपए महीने का अनावश्यक खर्च किया । ना धरातल पर जनगणना हुई ना कोई सर्वे हुआ । बन्द कमरे में मनगढ़ंत फैसला देकर करके आप ने क्यों अतिपिछड़ों को बैवकूफ बनाया । वर्मा ने कहा कि 2011 को 12 साल हो गये क्या इन 12 सालों में कोई अनूसूचित जाति का बच्चा 18 साल में पैदा नहीं हुआ ।12 साल में जो आबादी बढ़ी उसका क्या । फ़िर ये कैसी जनगणना ?? इतना बढ़ा कुठाराघात आपने क्यों आपने अनूसूचित जाति के साथ किया । वर्मा ने कहा कि सरकार ने दोनों आधार बना कर ( 2011 व परिवार पहचान पत्र ) अनूसूचित जाति व अतिपिछड़ों के हकों के साथ खिलवाड़ किया हैं । जो अनूसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेगा । अनूसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग इन आधारों के कारण जो सरकार ने कुठाराघात किया है उसका खामियाजा भाजपा / जजपा सरकार को आने वाले चुनाव में भूगतना पड़ेगा । वर्मा ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में पिछड़ा वर्ग (अतिपिछड़ा 32% 12%) 44% है । अगर देना हो तो आबादी अनुसार 44% देना चाहिए । अतिपिछड़ों को ये टुटा फुटा 08% आरक्षण नहीं चाहिए । संविधान के अनुसार 16/11 के हिसाब से देते । वर्मा ने कहा कि जो अनूसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग के नेता आज भाजपा / जजपा में बैठकर सरकार के इन ग़लत फैसलों पर मूकदर्शक बन कर देख रहे हैं उनको भी अनूसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग आने वाले चुनाव में आइना दिखाने का काम करेगा । सरकार की इस गलत नीति के कारण पिछड़ा वर्ग में भारी आक्रोश है । Post navigation विक्रम कापड़ो हत्याकांड का 15 वॉ दिन……एडवोकेट इन्दल सहित 200 प्रदर्शनकारीयों पर केस दर्ज गांधी परिवार से मुक्ति , कांग्रेस की संजीवनी ?