हरियाणा सरकार ने फसल अवशेष के समुचित प्रबंधन के लिए बनाया नीतिगत फ्रेमवर्क

हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी – 2022 का प्रारूप तैयार
मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रारूप ‌पर हुई विस्तार से चर्चा
बैठक में लिए गए निर्णयों व सुझावों को नीति में शामिल किया जाए – संजीव कौशल

चंडीगढ़, 19 सितंबर – हरियाणा सरकार ने प्रदेश में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर पूर्ण रूप से रोक लगाने तथा पराली का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतू नीतिगत फ्रेमवर्क बनाया है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी – 2022 का प्रारूप तैयार कर लिया गया है, जिसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। 

मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल की अध्यक्षता में आज यहां इस संबंध में हुई बैठक में नीति के प्रारूप पर बिंदुवार चर्चा की गई। 

श्री कौशल ने कहा कि आज की बैठक में लिए गए निर्णयों व सुझावों को इस नीति में शामिल किया जाए। तदानुसार, मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा नीति की अंतिम मंजूरी प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी – 2022 का उद्देश्य पराली आधारित बायोमास, बिजली परियोजनाओं, उद्योगों, कम्प्रैस्ड बायोगैस संयंत्रों, अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्रों, ईंट-भट्ठों, पैकेजिंग सामग्री इत्यादि में निवेश को आकर्षित करने के लिए अनुकूल वातावरण बनाना है। इतना ही नहीं, किसानों को अपने खेत में पराली को काटने, गठरी बनाने और स्टोर करने हेतू प्रोत्साहित करना और विभिन्न परियोजनाओं में उपयोग हेतू इसे बेचने के लिए सुविधा प्रदान करना है। 

उन्होंने बताया कि इस नीति के माध्यम से फसल के अवशेषों की मांग और आपूर्ति प्रबंधन के लिए किसानों व उद्योगों / गौशालाओं / उपयोगकर्ताओं के बीच लिंक स्थापपित किया जाएगा। साथ ही, विद्युत संयंत्रों, औद्योगिक बॉयलरों, ईंट भट्टों या किसी अन्य औद्योगिक, वाणिज्यिक या संस्थागत प्रतिष्ठानों में पराली का उपयोग करने पर भी जोर दिया जाएगा। नई प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) को बढ़ावा देना भी इस नीति के मुख्य उद्देश्यों में से एक है। 

विभिन्न रण‌नीतियों के माध्यम से पराली का समुचित प्रबंधन किया जाएगा सुनिश्चित

मुख्य सचिव ने कहा कि पराली के उपयोग तथा बायोमास को बढ़ावा देने के ‌लिए विभिन्न रण‌नीतियां अपनाई जाएंगी। राज्य में पॉवर प्रोजेक्टस, सीबीजी प्लांट, एथनोल और अन्य बायोफ्यूल के उपयोग को प्रचलित करने के लिए इस नीति के प्रारूप में विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहनों का भी प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि पराली की मांग के लिए जिलावार मैपिंग करने की रणनीति को भी नीति में शामिल किया गया है। 

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सूचना, शिक्षा और संचार (आईइसी) गतिवधियों के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा और किसानों को पराली के समुचित प्रबंधन के लिए जागरूक किया जाएगा। 

कृषि विभाग द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए निरंतर किए जा रहे प्रयास

बैठक में बताया गया कि कृषि विभाग द्वारा प्रदेश में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को जागरूक व प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। विभाग द्वारा व्यक्तिगत श्रेणी के तहत किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर तथा कस्टमर हायरिंग सेंटर खोलने के लिए 80 प्रतिशत सब्सिडी पर बेलिंग यूनिट (हे-रेक, शर्ब मास्टर और स्ट्रॉ बेलर) उपलब्धत करवाई जा रही है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सब्सिडी पर 600 बेलिंग यूनिट प्रदान की जा रही है। इनमें से 290 बेलिंग यूनिट पानीपत के बाहोली में स्था2पित 2जी एथनोल प्लांट के लिए चिह्नित कल्स्टसर में आवंटित की गई हैं। इसके अलावा, विभाग द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। 

बैठक में कृ‌षि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री वी. उमाशंकर, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के महानिदेशक श्री हनीफ कुरेशी, कृ‌षि विभाग के महानिदेशक श्री हरदीप सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। 

Previous post

नारनौल के नागरिक अस्पताल के कर्मचारियों पर थेरेपी करने के दौरान अश्लील वीडियो बनाने के आरोप

Next post

भाजपा गठबंधन सरकार में संतरी से लेकर मंत्री तक सभी प्रदेश को लूटने में लगे हैं: अभय सिंह चौटाला

You May Have Missed

error: Content is protected !!