सत्संग में अमृत रूपी वचनों से ही मैल धुलती है

पटौदी, (गुरुग्राम) 13 सितंबर 2022 । आत्मा को परमपिता परमात्मा से जोड़ते ही विचारों में परिवर्तन आता है। ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति द्वारा ही भ्रम का नाश होता है तथा हमारी विचारधारा में विशालता आती है।

यह उदगार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने रविवार देर सांय स्थानीय रामलीला मैदान में आयोजित सत्संग समारोह पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति से परमपिता परमात्मा की पहचान कर ही अच्छी विचारधारा संभव है। इस बेअंत परमात्मा से जुड़कर ही विशालता आती है और संकीर्णताएं खत्म होती हैं।

उन्होंने अपने प्रवचनों में फरमाया कि व्यक्ति अपनी संकीर्ण सोच के कारण ही दूसरे के अवगुण देखते हैं। वास्तविकता में आत्मिक रूप देखते ही भावनाएं बदल जाती हैं और अवगुणों की जगह फिर दूसरों में गुण नजर आने लगते हैं। हम स्वयं दूसरे के प्रति अपने अनुमान लगा लेते हैं, निर्णायक हो जाते हैं। गलती किसी से भी हो सकती है, हम क्षमा नहीं करते जबकि सभी के लिए प्रभु परमात्मा के पास क्षमा है।

उन्होंने एक उदाहरण के माध्यम से समझाते हुए बताया कि कोई अंधेरे कमरे में केवल चाबी के कीहोल से ही यदि कोई सूरज की रोशनी को देखता है तो वह उसकी संकीर्णता है। यदि कमरा खोल कर वह खिड़की से सूरज की रोशनी का एहसास करता है और फिर वही व्यक्ति अपने घर की छत से सूरज की विशाल रोशनी का एहसास करता है, अनुभव करता है। उसके अपने अनुभव का ही परिणाम है कि वह सूरज की रोशनी का आनंद लेता है। इसी तरह अपनी संकीर्ण सोच को त्याग कर परमात्मा की विशालता का एहसास करके ही इससे जुड़ पाते हैं। सूर्य केवल थोड़े समय के लिए नहीं बल्कि 24 घंटे सूर्य ही है। सूर्य उदय से सूर्य अस्त तक यह हमें रोशनी प्रदान करता है, इसी तरह परमात्मा से यदि जुड़ते हैं, जब भी हम इसके एहसास को स्वीकार करते हैं तो यह हमें – हमारी आत्मा को रोशन करता है। प्यार, आदर सत्कार, नम्रता, करुणा, दया, सहनशीलता से मुकम्मल हो कर, एक इंसान होकर, स्वार्थ को त्याग कर, एक समर्पित जीवन ही सफल है।

सतगुरु माता जी ने कहा कि आनंद प्राप्त करने के लिए, यह लाभदायक वचन सुनने के लिए दूर-दूर से चल कर आई संगते केवल कान रस लेने के लिए नहीं बल्कि अपने मन से, दिल से अनेकों भावों को श्रवण करने के लिए यहां उपस्थित हुए हैं। सभी इन वचनों को अपनाकर अपने जीवन को सार्थक करने का प्रयास कर रहे हैं। सभी एक सच से जुड़ने के लिए आए हैं और सच वही जो हर पल का सच है। सत्य यही प्रभु परमपिता परमात्मा ही है। यह एक पल का सच नहीं बल्कि हर पल का सच है। इसकी शुरुआत और अंत नहीं है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए फरमाया कि जैसे पांव में धूल लग जाती है तो उसे धो लेते हैं। वैसे ही दुनियावी माया यदि हम पर कोई असर डालती है तो सत्संग में आकर अमृत रूपी वचनों से ही मैल धुलती है।

यदि हम इस सच परमात्मा से जुड़ेंगे तो फिर किसी भी परिस्थिति का मन पर कोई असर नहीं पड़ता है। वही सफल जीवन होता है जिसमें परमात्मा को जान लिया जाता है। निर्लेप अवस्था का जीवन वरदान होता है और मुबारकबाद का पात्र होता है।

सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने आगामी नवंबर माह में समालखा में होने वाले 75वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियों के लिए अर्पित समर्पित रूप से सेवाएं करने का निमंत्रण दिया।

आज के सत्संग में विशेष तौर पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का स्वागत, अभिनंदन और आशीर्वाद प्राप्त करने पटौदी के विधायक सत्य प्रकाश जरावता, नगर पालिका के प्रधान चंद्र भान, उप प्रधान जर्मन सिंह सैनी, पार्षद, रामलीला कमेटी प्रधान अशोक कुमार एवं उनकी टीम, समाजसेवी और अति विशिष्ट लोग उपस्थित हुए। अनेक गणमान्य सज्जनो ने उपस्थित होकर सतगुरु माता जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।

सत्संग में हजारों का मानव परिवार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के दिव्य दर्शन एवं संदेश से आनंदित होने के लिए समागम मैदान में मौजूद रहा। रामलीला मैदान खचाखच भरा रहा और यहां पर आए श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था।

गुरुग्राम के संयोजक एमसी नागपाल, पटौदी के मुखी डॉ सतीश कुमार ने सतगुरू माता सुदीक्षा जी, साध संगत और स्थानीय विधायक, नगर पालिका, अन्य विभागों आदि सभी का धन्यवाद किया।

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