-कमलेश भारतीय

क्या मंडी आदमपुर के उपचुनाव के बहाने फिर से राजनीतिक घरानों की बात छिड़ गयी है ? लगता तो यही है पर बड़ी तल्खी पैदा हो गयी है ! जैसे ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंडी आदमपुर की जनसभा में कहा कि मंडी आदमपुर की अनाज मंडी की 107 नम्बर दुकान अब बंद हो जायेगी , वैसे ही कुलदीप बिश्नोई भी मीडिया में आये और जवाब देते कहा कि आप से पहले बहुत से धुरंधर दुकान नम्बर 107 को बंद करने आये लेकिन उनकी अपनी दुकानें ही बंद हो गयीं ! यहीं नहीं रुके , मान को नसीहत देते कहा कि अपने पंजाब को जाकर संभालो । कुछ ही महीनों में इसका क्या हाल कर डाला है ! आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी आड़े हाथों लेते कहा कि हरियाणा के बेटे बनते हो , हिसार के बेटे बनते हो , आज तक क्या किया है इनके लिए ? राजनीति की है तिरंगा यात्रा निकाल कर, बस । आप इसके लिए माफी मांगो ! एसवाईएल के पानी पर पंजाब का हक बताया ।

इस तरह राजनीतिक घरानों की चर्चा छिड़ गयी । हरियाणा में दूसरा बड़ा घराना चौटाला घराना है । इसके ही बेटे दुष्यंत चौटाला इस समय हरियाणा के उपमुख्यमंत्री है तो चौ रणजीत चौटाला बिजली मंत्री ! वैसे यह परिवार इनेलो और जजपा में बंट चुका है । इनेलो को अभी पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ही चला रहे हैं और आजकल तीसरे मोर्चे के गठन पर निकले हुए हैं । पच्चीस सितम्बर की रैली के न्यौते दे रहे हैं । अभी चौटाला एकमात्र विधायक हैं इनेलो के । अजय चौटाला ने जजपा का गठन कर रखा है । इनकी पत्नी नैना चौटाला हरी चुनर चौपाल लगाती हैं ! दुष्यंत और दिग्विजय राजस्थान के छात्र संघ चुनाव के लिए कमर कसे हुए हैं । रणजीत चौटाला निर्दलीय हैं ।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता चौ रणबीर सिंह संविधान निर्मात्री समिति के सदस्य सहित अनेक पदों पर रहे और भूपेंद्र सिंह मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे । बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा इन दिनों राज्यसभा सांसद हैं और राज्य में काफी सक्रिय रहते हैं । हमेशा जनता के बीच । वैसे चौ भजन लाल के बड़े बेटे भी चार चार बार विधायक ही नहीं एकबार तो उपमुख्यमंत्री पद तक पहुंचे लेकिन आजकल इनके सितारे गर्दिश में हैं और फिजां कांड इनका साये की तरह पीछा करता है !

उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव का समाजवादी पार्टी का घराना भी अब बिखर रहा है । पहले मुलायम सिंह की पकड़ इतनी मजबूत हो गयी थी कि प्रधानमंत्री पद की दौड़ में इनका नाम लिया जाने लगा था । फिर यह कुनबा भी बिखरा और ऐसा बिखरा कि दो दो विधानसभा चुनाव हार गया । चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश में खूब बयानबाजी चली । बहू अपर्णा यादव भाजपा में शामिल हो गयी । इस तरह कुनबा अब उतार पर है राजनीति में ! अखिलेश असमंजस में सब कुछ खो रहे हैं ।

मध्य प्रदेश में राजनीतिक घराना है सिंधिया परिवार । मां गायत्री सिंधिया तो भाजपा यानी जनसंघ में रही लेकिन बेटे माधवराव सिंधिया कांग्रेस में ! बहन वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं । अब ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में मंत्री बन गये । आगे क्या होगा ?

सबसे बड़े राजनीतिक घराने की बात करें तो गांधी परिवार का ध्यान आता है । देश को तीन तीन प्रधानमंत्री इस परिवार ने दिये । अब इसका आकर्षण भी उतार पर है । कांग्रेस के अंदर ही गांधी परिवार से मुक्ति की बात उठा कर गुलाम नबी आज़ाद छोड़कर चले गये । राहुल गांधी की आलोचना जी भर के कहे तो पानी पी पीकर की । वही राहुल गांधी आजकल भारत जोड़ो यात्रा से राजनीतिक सफर आगे बढ़ा रहे हैं । इसी परिवार से मेनका गांधी और वरूण गांधी हैं जो भाजपा में हैं और दोनों मां बेटा सांसद भी हैं । आजकल भाजपा इनसे खफा खफा सी है ।

भाजपा गांधी परिवार पर हमेशा आक्रामक रही है । इसके बावजूद यह परिवारवाद अब भाजपा में भी बढ़ा है । राजनाथ सिंह , प्रमोद महाजन , हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर और न जाने कितने उदाहरण मिल जायेंगे ।

महाराष्ट्र में शिवसेना से मनसे तक परिवारवाद ही तो है । उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे विधायक बने । बाल ठाकरे के बाद राज ठाकरे अलग हो गये और मनसे का गठन कर लिया । एनसीपी नेता शरद पवार की बेटी , भतीजा अजीत पवार और अन्य पारिवारिक सदस्य राजनीति में हैं तो क्या क्या उदाहरण दिये जायें ,,,,चंद्रशेखर रेड्डी के बेटे जगन रेड्डी आंध्र प्रदेश में छा गये । तमिलनाडु में एन टी रामाराव के। दामाद चंद्र बाबू नायडू मुख्यमंत्री बने और करूणानिधि के बेटे स्टालिन भी राजनीति में हैं ।
कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक यह परिवारवाद फैला हुआ है । जम्मू कश्मीर का घराना है शेख अब्दुल्ला घराना । फारूक भी और बेटे उम्र भी एक साथ सक्रिय हैं राजनीति के अंगने में ! इस तरह कश्मीर से कन्याकुमारी तक आप आदमी का राजनीति में क्या काम ,,,;?
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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