सिविल सर्जन द्वारा गठित मनोचिकित्सकों की कमेटी नहीं कर सकी बोर्ड के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश
अगली सुनवाई 13 को

गुडग़ांव, 8 सितम्बर (अशोक) : प्रिंस हत्याकांड में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में वीरवार को सुनवाई निश्चित थी। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के समक्ष सिविल सर्जन द्वारा गठित की गई मनोचिकित्सकों की कमेटी को अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से पेश नहीं की जा सकी। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड अब इस मामले में पीजीआई रोहतक या चंडीगढ़ के मनोचिकित्सकों की राय जानना चाहता है। इस बारे में देर सायं तक जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी।

अब इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने अगली सुनवाई के लिए आगामी 13 सितम्बर की तारीख निश्चित कर दी है। वीरवार को ही आरोपी भोलू के अधिवक्ता ने परिजनों की ओर से एक याचिका बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत की थी। जिसमें आग्रह किया गया कि भोलू की मानसिक हालत ठीक नहीं है, इसलिए इसके उपचार की समुचित व्यवस्था कराई जाए। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड मनोचिकित्सकों से यह राय जानना चाहता है कि क्या आरोपी भोलू की इस समय किसी प्रकार की जांच कराना उचित होगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने पीडि़त पक्ष की याचिका का गत 13 जुलाई को निपटारा करते हुए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को आदेश दिए थे कि बोर्ड अपने पूर्व के आदेश पर पुनर्विचार कर यह फैसला ले कि आरोपी भोलू का मामला बालिग आरोपी के रुप में चलाया जाए या फिर नाबालिग आरोपी के रुप में। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए मनोचिकित्सक से राय मांगी थी कि वे अपनी राय दें कि क्या अब भोलू का कोई टेस्ट कराना प्रासंगिक रहेगा या नहीं। जिससे टेस्ट से यह पता लग सके कि जब इस घटना को अंजाम दिया गया था, उस समय भोलू को इतनी समझ थी कि वह जो कर रहा है, उसका क्या परिणाम हो सकता है।

गौरतलब है कि वर्ष 2017 की 8 सितम्बर को जिले के एक निजी स्कूल के शौचालय में कक्षा दूसरी के छात्र की गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने आनन-फानन में स्कूल बस परिचालक अशोक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जब परिजनों ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की प्रदेश सरकार से गुहार लगाई तो सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी थी। जब सीबीआई ने अपने तरीके से मामले की जांच की तो स्कूल में ही शिक्षा ग्रहण कर रहे 11वीं के छात्र भोलू को प्रिंस की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। जो अभी भी हिरासत में है। परिचालक अशोक को सीबीआई ने इस मामले से निकाल दिया था।

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