3 अप्रैल, 2017 से 31 अगस्त, 2020 की अवधि के दौरान बिक्री और पट्टे के पंजीकृत दस्तावेजों की जांच की गई

चंडीगढ़, 7 सितंबर – अचल संपत्ति की बिक्री और पट्टे के दस्तावेजों के पंजीकरण में अनियमितताओं के संबंध में प्राप्त शिकायतों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार ने दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई आरंभ कर दी है।

एक सरकारी प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि कई मामलों में सरकार के संज्ञान में यह आया है कि राज्य में 3 अप्रैल, 2017 से 31 अगस्त, 2020 की अवधि के दौरान उप पंजीयकों / संयुक्त उप पंजीयकों ने अचल संपत्ति की बिक्री और पट्टे के दस्तावेजों के पंजीकरण के समय हरियाणा विकास एवं विनियमन क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम, 2017 की धारा 7-ए के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया। सरकार ने इस चूक को बेहद गंभीरता से लिया और राज्य में ऐसे सभी मामलों की जांच का आदेश दिया। ऐसे मामलों की जांच के लिए प्रत्येक जिले में एक समिति का गठन किया गया था। 

सभी मण्डल आयुक्तों से 3 अप्रैल, 2017 से 31 अगस्त, 2020 की अवधि के दौरान बिक्री और पट्टे के पंजीकृत दस्तावेजों की जांच रिपोर्ट दोषी अधिकारी व कर्मचारियों के नामों सहित प्राप्त हुई, जिनमें हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास एवं विनियमन अधिनियम,1975 की धारा 7-ए का उल्लंघन पाया गया है।   

इन जांच रिपोर्टों के आधार पर सरकार ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई आरंभ कर दी है और सभी दोषी अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगे गए हैं। अनुशासनात्मक कार्यवाही में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों पर उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई और सजा दी जाएगी।

इसके अलावा, जिला टाउन प्लानर गुरुग्राम द्वारा आईपीसी की धारा 420, हरियाणा नगरीय क्षेत्र विकास एवं विनियमन अधिनियम,1975 की धारा 10 के तहत गुरुग्राम जिले के छह उप पंजीयकों / संयुक्त उप पंजीयकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और उनके खिलाफ हरियाणा सिविल सेवा (दंड और अपील) नियम, 2016 के नियम 7 व 8 के तहत चार्जशीट दायर की गई है। 

यह स्पष्ट है कि सरकार द्वारा दोषी अधिकारियों को पूरी तरह से बरी करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बल्कि सरकार इन मामलों में शामिल अधिकारियों की गंभीरता से जांच कर रही है।

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