पटौदी क्षेत्र में बीते 4 दिन में स्कूल में तालाबंदी की यह दूसरी घटना
सैयद शाहपुर गांव के हाई स्कूल में विभिन्न 8 टीचर की पोस्ट खाली
आखिर मंगलवार को ग्रामीणों और अभिभावकों का फूट गया गुस्सा
स्कूल के ही सामने सड़क रोक ग्रामीणों के द्वारा की गई नारेबाजी
खंड शिक्षा अधिकारी धर्मपाल द्वारा 2 दिन का दिया गया आश्वासन

फतह सिंह उजाला

पटौदी । हरियाणा बनने के बाद यह रिकॉर्ड की बात है कि पटौदी विधानसभा क्षेत्र में 1 वर्ष के दौरान सबसे अधिक करीब एक दर्जन स्कूल सरकार और शिक्षा विभाग के द्वारा अपग्रेड किए गए हैं । लेकिन बीते कुछ दिनों से ऐसे मामले भी निरंतर सामने निकल कर आ रहे हैं विभिन्न स्कूलों में टीचिंग स्टाफ का टोटा बना हुआ है। यह क्यों और किन कारणों से है, इसका तत्काल तो पता नहीं लग सका । लेकिन ग्रामीण अंचल में मौजूद स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों में इस बात को लेकर गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है कि स्कूलों में जब अध्यापक वर्ग ही उपलब्ध नहीं है जो उनके बच्चे विशेष रूप से लड़कियां किस प्रकार से अपनी पढ़ाई पूरी करेंगी। एक तरफ तो सरकार का नारा है बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ ।

मंगलवार को पटौदी क्षेत्र के ही गांव सैयद शाहपुर में ग्रामीणों सहित अभिभावकों का गुस्सा दिन निकलते ही फूट गया और देखते ही देखते ग्रामीणों ने गांव के स्कूल पर ताला लटका दिया । इस दौरान स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं ग्रामीणों और अभिभावकों के द्वारा सरकार की शिक्षा नीति को लेकर अपने गुस्से को प्रकट करते हुए नारेबाजी भी की गई । इतना ही नहीं गुस्साए ग्रामीणों के द्वारा स्कूल के गेट के सामने ही मुख्य सड़क मार्ग पर अवरोध डालकर सड़क मार्ग को भी रोक दिया गया। इससे पहले 26 अगस्त को भी पटौदी क्षेत्र के ही गांव बलेवा में टीचर के टोटे को लेकर ग्रामीणों के द्वारा गांव के सीनियर सेकेंडरी स्कूल पर ताला लटका कर विरोध प्रदर्शन किया गया । बीते 4 दिन के दौरान मंगलवार को यह दूसरा मामला है, जब देहात के किसी भी सरकारी स्कूल पर टीचर के टोटे को लेकर ग्रामीणों सहित अभिभावकों के द्वारा तालाबंदी कर दी गई ।

स्कूल में ताला लगाने और बच्चों सहित अभिभावकों के द्वारा विरोध प्रदर्शन की जानकारी मिलते ही पटौदी के खंड शिक्षा अधिकारी डॉ धर्मपाल मौके पर पहुंचे और उन्होंने आश्वासन दिया कि स्कूल में अध्यापकों की कमी के विषय में उच्च अधिकारियों को अवगत करवाते हुए 2 दिन में प्रयास किए जाएंगे की स्कूल में जरूरत के मुताबिक टीचिंग स्टाफ उपलब्ध करवा दिया जाए । मंगलवार को स्कूल मैनेजमेंट कमेटी से जुड़े हुए राम भतेरी, पुष्पा, कांता, उषा, रानी, सुनीता, सरोज, सुमित्रा, सुमन, अनीशा, रामफल , रमेश कुमार , महेंद्र सिंह, मनीष, रमेश, सोनू, सरोज, राजपाल, नवल सिंह सहित अन्य ग्रामीणों के द्वारा तीखा और कड़वा सवाल किया गया कि जब स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर ही नहीं है ? तो ऐसे में बच्चों का भविष्य किस प्रकार से उज्जवल हो सकेगा । बच्चे स्कूल में पढ़ने के लिए आते हैं, मिड डे मील खाने के लिए नहीं आते । सरकार और शिक्षा विभाग को स्कूलों में देश के भविष्य युवा वर्ग के हित को प्राथमिकता देते हुए बिना देरी किए अध्यापक वर्ग की नियुक्ति करनी चाहिए। मंगलवार को ही ग्रामीणों के द्वारा पटौदी क्षेत्र के विधायक एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता को भी गांव के स्कूल में अध्यापकों के टोटे के संदर्भ में पूरी जानकारी उनके मोबाइल पर व्हाट्सएप के माध्यम से भेजकर अवगत कराया गया।

ग्रामीणों के मुताबिक स्कूल में कुल मिलाकर लगभग 115 छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए आते हैं । इसमें मेजबान गांव सैयद शाहपुर के आसपास के गांव के बच्चे भी शामिल हैं । लेकिन गांव के हाई स्कूल में 10 में से 8 अध्यापकों के पद खाली पड़े हुए हैं। अब ऐसे में सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है , जब गणित, हिंदी, संस्कृत, पॉलिटिकल साइंस, सामाजिक विज्ञान, गणित , फिजिकल एजुकेशन, चित्रकला विषय के अध्यापक ही नहीं है तो फिर बच्चे क्या और किस प्रकार की शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे । कुछ ग्रामीणों ने यह भी सवाल किया क्या बच्चे स्कूल में केवल अपना समय पास करने के लिए ही आते हैं ? इसी विषय में स्कूल के मुख्य अध्यापक के द्वारा भी खंड शिक्षा अधिकारी पटौदी को मंगलवार को ही लिखित में अवगत कराया गया सैयद शाहपुर हाई स्कूल में अध्यापकों के कितने पद स्वीकृत हैं और कितने अध्यापक यहां पर उपलब्ध है । मुख्य अध्यापक के द्वारा भी प्रदर्शनकारी ग्रामीणों और अभिभावकों को समझाने का प्रयास किया गया , लेकिन स्कूल में पढ़ाई जाने वाले विषयों के अध्यापकों की नियुक्ति की मांग को लेकर ग्रामीण और अभिभावक अपनी ही बात पर अड़े रहे। जब तक कोई भी शिक्षा विभाग का वरिष्ठ अधिकारी आकर ठोस आश्वासन नहीं देता तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा और ना ही स्कूल से ताला खोला जाएगा। ग्रामीणों के द्वारा चेतावनी दी गई है किए गए वायदे के मुताबिक स्कूल में अध्यापक वर्ग की नियुक्ति नहीं की गई तो फिर से ग्रामीण विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगे।

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