भारत छोड़ो आंदोलन : 9 अगस्त 1942 का दिन भारत की आजादी के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है : विद्रोही

9 अगस्त 2022 – भारत छोड़ो आंदोलन की 80वीं वर्षगांठ पर स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने अपने कार्यालय में आजादी में शहीद हुए तमाम शहीदों को भावभीनी श्रद्घाजंली दी। इस अवसर पर कपिल यादव, अजय कुमार, अमन कुमार व कुमारी वर्षा भी उपस्थित थे। विद्रोही ने कहा कि 9 अगस्त 1942 का दिन भारत की आजादी के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है, जब महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ों का आह्वान किया। इस आंदोलन में लाखों भारतीयों ने भाग लेकर अंग्रेजी हुकुमत को हिलाकर अंग्रेजों की जेलों को भरकर देश की आजादी के लिए अमूल्य कुर्बानिया दी। हालांकि महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लवभाई पटेल, मौलाना आजाद जैसे प्रमुख कांग्रेस नेताओं को पहले ही अंग्रेजी हुकुमत ने गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया था। लेकिन गांधी जी व नेहरू जी की अनुपस्थिति में भी देश की जनता ने अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन को मजबूती से आगे बढ़ाया।

   विद्रोही ने कहा कि गांधी व नेहरू की गिरफ्तारी के बाद 7 अगस्त से ही आम लोगों ने अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन को शुरूआत कर दी। 8 अगस्त को कांग्रेस के नेतृत्व में बम्बई के आजाद मैदान में आजादी का झंडा फैहराकर अंग्रेजी हुकुमत को खुली चुनौती देश को छोडऩे की दी। अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन जिस तरह देश के कोने-कोने में पहुंचा और जनता ने जिस तरह इस आंदोलन में व्यापक भागीदारी की, उससे अंगे्रजों ने समझ लिया था कि अब भारत में उनके दिन गिने-चुने रह गए है। अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करके अंग्रेजों को देश छोडऩा पड़ा। 

   विद्रोही ने कहा कि अंग्रेजों भारत छोड़ों आंदोलन 80 वर्ष बाद भी देश के आमजनों को अहिंसक ढंग से अपने हकों व जुल्म के खिलाफ लडऩे की प्रेरणा देता है। आज का दिन भाारत के इतिहास में बहुत महत्व रखता है। आज के दिन से प्रेरणा लेकर हमे आम आदमी के हितों, अन्याय, आतंकवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, साम्प्रदायिकता, भ्रष्टïाचार, गैरबराबरी जैसे मुद्दों पर अहिसंक संघर्ष करने व एक समतामूलक समाज की स्थापना करने का संकल्प एकबार फिर लेना होगा। विद्रोही ने  कहा  कि भाजपा-आरएसएस जिस तरह वोटो की फसल काटने के लिए सामप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिये कटुता फैला रहा है, वह देश के सामाजिक सौहार्द के लिए बडा खतरा बनकर सामने आया है।  दुर्भागय की बात यह है कि सत्ता मिलने पर भी भाजपा सामप्रदायिक ध्रुवीकरण की अपनी उसी नीति को राजनैतिक लाभ के लिए आगे बढा रही है , जो देश के सामाजिक सौहार्द के लिए अच्छा संकेत नही है। विद्रोही ने लोगो से अपील कि की भारत छोडो आंदोलन की 80वी वर्षगांठ पर सकल्प ले की वे किसी भी हालत मे फासिस्ट व सामप्रदायिक ताकतो को कामयाब नही होने देगे व आजादी की लडाई लडने वाले स्वतन्त्रता सेनानियो के सपनो का भारत बनाने कें लिए आपस मे मिलकर काम करते रहेगे। 

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