·         यदि अग्निपथ योजना राष्ट्रहित में है तो सरकार संसद में चर्चा और सवाल का जवाब देने से क्यों भाग रही है – दीपेंद्र हुड्डा

·         दीपेन्द्र हुड्डा ने अग्निपथ योजना के तहत राज्यवार अधिकतम भर्तियों का विवरण, सेना में कुल स्वीकृत पदों की संख्या वर्तमान स्तर से घटने और रक्षा वेतन तथा पेंशन बजट में अनुमानित परिवर्तन पर संसद में पूछा सवाल

·         हर साल हरियाणा से होनी वाली करीब 5000 पक्की भर्ती अग्निपथ योजना में घटकर सिर्फ 963 रह जायेगी, इसमें भी 4 साल बाद सिर्फ 240 होंगे पक्के, 722 होंगे बाहर – दीपेंद्र हुड्डा

·         4 साल में 75% को बाहर करने वाली अग्निपथ योजना से अगले 15 साल में हिन्दुस्तान की करीब 14 लाख की फ़ौज का संख्याबल घटकर आधे से भी कम रह जायेगा- दीपेंद्र हुड्डा

चंडीगढ़, 8 अगस्त। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि यदि अग्निपथ योजना राष्ट्रहित में है तो सरकार संसद में चर्चा और सवाल का जवाब देने से क्यों भाग रही है। सरकार अग्निपथ योजना पर न तो संसद में बोलने दे रही है न ही संसद में पूछे गए उनके सवाल का जवाब दे रही है। अब हालात ये हो गए हैं कि संसद में चर्चा और सवाल पूछने के रास्ते भी बंद करके सरकार लोकतंत्र का गला घोंटने पर उतारू है। उन्होंने बताया कि मानसून सत्र की शुरुआत से ही वे लगातार नियम 267 के जरिए कार्य-स्थगन प्रस्ताव देकर अग्निपथ योजना पर चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार लगातार उनकी मांग अस्वीकार कर रही है। इसके अलावा उन्होंने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के अलावा शून्यकाल में भी इस मामले को उठाने की पुरजोर कोशिश की, परंतु सरकार संसद में इस मुद्दे को उठाने भी नहीं दे रही है। अब तो सरकार ने अग्निपथ योजना पर उनके तारांकित सवाल को ही खारिज कर दिया।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि संसद में उन्होंने सरकार से अग्निपथ योजना के तहत भर्ती योग्य पुरुष जनसंख्या (आरएमपी) के आधार पर राज्यवार अधिकतम भर्तियों का विवरण मांगने के अलावा पूछा कि इस योजना के प्रावधानों के अनुसार क्या सेना में कुल स्वीकृत पदों की संख्या वर्तमान स्तर से घटने की संभावना है और रक्षा वेतन तथा पेंशन बजट में अनुमानित परिवर्तन क्या होगा। इसपर सरकार ने 8 अगस्त को डायरी नंबर 2980 के जरिए इस तारांकित प्रश्न को सीधे खारिज कर दिया। दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि अग्निपथ योजना के तहत ऑल इंडिया ऑल क्लास के दुष्प्रभावों का सबसे बड़ा खामियाजा हरियाणा के युवाओं को उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 में हरियाणा से करीब 5000 युवाओं की सेना में पक्की भर्ती हुई थी। लेकिन इस योजना के बाद अब हरियाणा से होनी वाली करीब 5000 पक्की भर्ती घटकर सिर्फ 963 रह जायेगी, इसमें भी 4 साल बाद सिर्फ 240 अग्निवीरों को ही पक्का किया जायेगा और 722 अग्निवीरों को सरकार नौकरी से बाहर कर देगी। इस तरह ‘अग्निपथ’ योजना हरियाणा समेत पूरे देश के युवाओं पर दोहरी चोट करेगी।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा से बड़ी संख्या में परम्परागत रूप से फौज में भर्ती होती रही है। यहां के विभिन्न इलाकों में पीढ़ी दर पीढ़ी देश के लिये समर्पित होकर सर्वोच्च बलिदान देने की परम्परा रही है। सेना में देश की 2% आबादी वाले हरियाणा से 10% सैनिक देश सेवा में जाते हैं। ‘अग्निपथ योजना’ लागू करने के मनमाने और एकतरफा फैसले से देश भर के युवाओं में अपने भविष्य को लेकर मायूसी और गहरा रोष है। उन्होंने कहा कि अभी तक हर साल फ़ौज में 60 से 80 हज़ार पक्की भर्तियाँ होती थीं, अब अग्निपथ योजना में हर साल 40-50 हज़ार भर्ती होगी, जिसमें से 75% अग्निवीरों को 4 साल बाद निकाल दिया जायेगा इस हिसाब से अगले 15 साल में हिन्दुस्तान की करीब 14 लाख की फ़ौज का संख्याबल घटकर आधे से भी कम रह जायेगा। फौज का संख्याबल घटेगा, तो बेरोजगारी भी बढ़ेगी और दुश्मन के हौसले भी बढ़ेंगे।

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