जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने मनोचिकित्सक को दिए दिशा-निर्देश
घटना के समय क्या आरोपी भोलू इस घटना के परिणामों से था वाकिफ

अगली सुनवाई 3 अगस्त को

गुडग़ांव, 29 जुलाई (अशोक) : जिले के एक निजी स्कूल की कक्षा दूसरी के छात्र प्रिंस की गला रेतकर हत्या कर देने के मामले की सुनवाई करते हुए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के प्रिंसीपल मजिस्ट्रेट ने मनोचिकित्सक जैस्मीन अरोड़ा को निर्देश दिए हैं कि आरोपी भोलू की मनोस्थिति की जांच कर अपनी रिपोर्ट आगामी 3 अगस्त से पहले बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करें, ताकि इस
मामले में सुनवाई हो सके। प्राप्त जानकारी के अनुसार जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के 13 जुलाई 2022 के आदेश के तहत पिछले 2 दिनों से इस मामले की सुनवाई कर रहा था और सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो शुक्रवार को देर सायं सुना दिया।

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने मनोचिकित्सक जैस्मीन अरोड़ा को दिशा-निर्देश दिए हैं कि वह यह जांच करे कि आरोपी भोलू ने जब इस घटना को अंजाम दिया था, तो क्या वह उस समय इस घटना के परिणामों से वाकिफ था। बोर्ड ने यह निर्देश दिए हैं कि मनोचिकित्सक यह भी बताएं कि क्या आरोपी के कोई और टेस्ट कराए जाने जरुरी हैं। यदि जरुरी हैं तो घटना के समय की मानसिक स्थिति की भी जानकारी भी दी जाए। बोर्ड ने यह आदेश भी दिए हैं कि आरोपी भोलू को फरीदाबाद सुधार गृह में सुरक्षित स्थान पर रखा जाए और आगामी 3 अगस्त को वाट्सअप वीडियो कॉल या वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से बोर्ड के समक्ष पेश किया जाए ताकि मामले की सुनवाई हो सके। इस मामले में अभी तक यही स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आरोपी भोलू जो घटना के समय साढ़े 16 साल का नाबालिक था और अब वह बालिग हो चुका है। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड पहले यह आदेश दे चुका है कि इस मामले की सुनवाई भोलू को बालिग आरोपी के रुप में मानकर की जाए और इसका समर्थन जिला एवं सत्र न्यायालय ने भी कर दिया था।

आरोपी ने पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर गुहार लगाई थी कि आरोपी का मामला नाबालिक के रुप में सुना जाए। उच्च न्यायालय ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को आदेश दिए थे कि वह अपने आदेश पर पुनर्विचार करे। उच्च न्यायालय के आदेश को पीडि़त पक्ष यानि कि प्रिंस के परिजनों ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कई माह पूर्व सुनवाई कर अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए इसी माह 13 जुलाई को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को आदेश दिए थे कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, उसी के बाद जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में यह सुनवाई चल रही है कि आरोपी भोलू के मामले की सुनवाई बालिग के रुप में की जाए या फिर नाबालिक के रुप में।

गौरतलब है कि वर्ष 2017 की 8 सितम्बर को जिले के एक निजी स्कूल के शौचालय में कक्षा दूसरी के छात्र की गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने आनन-फानन में स्कूल बस परिचालक अशोक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
जब परिजनों ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की प्रदेश सरकार से गुहार लगाई तो सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी थी। जब सीबीआई ने अपने तरीके से मामले की जांच की तो स्कूल में ही शिक्षा ग्रहण कर रहे 11वीं के छात्र भोलू को प्रिंस की हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। जो अभी भी हिरासत में है। परिचालक अशोक को सीबीआई ने इस मामले से निकाल दिया था।

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