पचकुलां, 24-7-22 – पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन जी ने कहा कि देश में महंगाई चरम पर है। डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिरते हुए अपने निम्नतम स्तर पर है। खान-पान में शामिल चीजों पर जीएसटी लगाया जा रहा है और सरकार इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है। केंद्र सरकार महंगाई से आम जनता का ध्यान हटाने के लिए इधर-उधर की अर्थहीन बातों में उलझा कर रखे हुए है।

मीडिया को जारी बयान पर भाई चन्द्रमोहन  ने कहा कि संसद में कौन से शब्द बोलने हैं और कौन से नहीं, इसे राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना दिया गया। अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए सांसदों के किसी भी तरह के धरने व प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने की साजिश रची जा रही हैं। यह सब इसलिए किया जा रहा है, ताकि जिस तरह के शब्दों का प्रयोग केंद्र सरकार आंदोलनकारियों, विपक्ष और सरकार की गलत नीतियों की निंदा करने वालों के लिए कर रही है, उसके जवाब में विपक्ष भी सरकार के खिलाफ न करे।

पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन जी ने कहा कि राष्ट्रीय बहस का मुद्दा रुपये की लगातार गिरती कीमत होनी चाहिए। इसके साथ ही छात्रों के प्रयोग आने वाली पेंसिल, शॉर्पनर, मैप, एटलस, ग्लोब को जीएसटी के दायरे में लाने पर होनी चाहिए। सरकार को बहस करानी है तो दही, लस्सी, पनीर, शहद, अनाज, होटल के सस्ते कमरे, एलईडी लाइट्स, आटा चक्की को जीएसटी के दायरे में लाने पर कराए। लेकिन, आम आदमी की जरूरत की इन तमाम चीजों पर जीएसटी लगाकर महंगाई की मार से बेहाल लोगों का कचूमर निकालने का षड्यंत्र रचा गया है।

चन्द्रमोहन  ने कहा कि दही, लस्सी या अनाज के रेट बढ़ने की मार देश के करोड़ों परिवारों पर पड़ेगी, लेकिन सरकार को इनकी कोई परवाह नहीं है। रुपया लगातार गिरने से देश का व्यापार घाटा और अधिक बढ़ेगा, जिसका बोझ विनिर्माण कंपनियां सीधे ग्राहकों पर डाल देंगी।

पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने कहा कि रुपये का मूल्य गिरने से मोबाइल के दामों में बढ़ोतरी होगी, जबकि मोबाइल हर आदमी की जरूरत बन चुका है। विदेशों में पढ़ रहे बच्चों के माता-पिता को अब और अधिक राशि का भुगतान संबंधित कॉलेज, यूनिवर्सिटी को करना पड़ेगा। यही नहीं, आरबीआई द्वारा मई से अब तक दो बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी से शिक्षा ऋण पहले ही महंगा हो चुका है।

चन्द्रमोहन  ने कहा कि जिस तरह से सपने दिखा कर भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र की सत्ता हासिल की थी, उन्हें पूरा करने के लिए अभी तक कोई काम नहीं किया गया। उल्टा इस सरकार ने बेरोजगारी, महंगाई को बेहद उच्च स्तर पर बढ़ा दिया और रुपये को इसके रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंचा दिया।

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