किसान आंदोलन : जिस कमेटी का एमएसपी गांरटी का मैडेंट ही नही, उसे बनाने का औचित्य की क्या था? विद्रोही

21 जुलाई 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि एमएसपी पर गठित कमेटी की 18 जुलाई 2022 को केन्द्र सरकार की अधिसूचना से साफ हो गया कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन खत्म करने की एक शर्त एमएसपी गारंटी कानून चर्चा के वादे से मोदी सरकार ना केवल पीछे हट गई अपितु अप्रत्यक्ष रूप से एमएसपी गारंटी कानून बनाने से भी पल्ल झाड़ लिया है। विद्रोही ने कहा कि सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित कमेटी में किसानों को तो शामिल नही किया लेकिन कारपोरेट जगत के प्रतिनिधियों व तीन काले कृषि कानूनों के समर्थकों को नकली किसान के रूप में अवश्य शामिल किया है। वहीं सरकार ने एमएसपी पर जो कमेटी गठित की है उसका मैडेंट न तो एमएसपी गारंटी कानून बनाने का है और न ही किसान अधिकारों की रक्षा का। सवाल उठता है कि जिस कमेटी का एमएसपी गांरटी का मैडेंट ही नही, उसे बनाने का औचित्य की क्या था?

विद्रोही ने कहा कि सरकार के रवैये से साफ है कि लोगों की आंखों में धूल झोंकने व एमएसपी गारंटी कानून से बचने के लिए इस कमेटी का गठन किया गया है ताकि कठपुतली कमेटी की संभावित सिफारिशों को आधार बनाकर मोदी सरकार एमएसपी गारंटी कानून बनाने में असमर्थता जता सके। मोदी सरकार ने एकबार फिर किसानों से छल किया है। किसान की आर्थिक हालत सुधारने व उसकी आय दोगुना करने का मोदीजी का दावा एक हवा-हवाई व किसानों को ठगने का जुमला मात्र है। पर्दे के पीछे मोदी आज भी कृषि व्यापार व कृषि को कारपोरेट घराने को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सौंपने का षडयंत्र रच रहे है और एमएसपी पर 18 जुलाई को गठित कमेटी की अधिसूचना उसी दिशा में उठाया गया कदम है। 

विद्रोही ने मांग की कि मोदी सरकार षडयंत्र व किसानों से धोखाधड़ी करने की बजाय कांग्रेस-विपक्ष से व्यापक चर्चा करके संसद में एमएसपी गारंटी कानून पारित करवाये, वहीं किसान संगठन भी जब तक एमएसपी गारंटी कानून संसद में पारित नही होता, तब तक मोदी-भाजपा-संघ का सडकों पर लगातार विरोध व बहिष्कार जारी रखे, तभी किसान विरोधी, सत्ता अंहकारी व पूंजीपतियों की दलाल मोदी सरकार के होश ठिकाने आएंगे। 

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