प्रदेश पर कर्जा बढ़कर 3,24,448 करोड़ हुआ, श्वेत-पत्र जारी करे सरकार- हुड्डा

सरकार ने हरियाणा को बनाया अपराधियों की शरणस्थली- हुड्डा

कानून-व्यवस्था चौपट होने की वजह से नहीं आ रहा निवेश- हुड्डा

राजधानी और बीबीएमबी के मुद्दे पर प्रदेश सरकार ने कमजोर किया हरियाणा का पक्ष- हुड्डा

21 अगस्त को यमुनानगर में होगा ‘विपक्ष आपके समक्ष’ कार्यक्रम- हुड्डा

पिछड़ा वर्ग आयोग बनने के साथ जातिगत जनगणना जरूरी- हुड्डा

पिछड़ों को आरक्षण से वंचित करना है क्रीमी लेयर की सीमा को 8 से घटाकर 6 लाख करने का मकसद- हुड्डा

सरकार ने 4 लाख 76 हजार बुजुर्गों और 38 हजार बेसहारा बच्चों की काटी पेंशन- हुड्डा

14 जुलाई, चंडीगढ़ः बीजेपी-जेजेपी सरकार ने हरियाणा को आर्थिक संकट की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। महज ढाई करोड़ की आबादी वाले प्रदेश पर आज 3,24,448 करोड़ रुपये कर्ज हो गया है। सरकार को श्वेत-पत्र जारी कर बताना चाहिए कि इतना कर्ज क्यों लेना पड़ा और यह कहां खर्च हुआ। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा आज चंडीगढ़ स्थित आवास पर एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार की गलत आर्थिक नीतियों ने प्रदेश को कर्ज के दलदल में डूबा दिया है।

उन्होंने कहा कि 2014 से पहले प्रदेश पर जीएसडीपी का 16% कर्ज था, जो आज बढ़कर 27.8% हो गया है। राज्य की देनदारियों में भी 3.13 गुना की बढ़ोतरी हुई है। जबकि, बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी सरकार के पूरे कार्यकाल के दौरान हरियाणा में कोई बड़ी परियोजना लागू नहीं हुई, ना ही कोई मेडिकल कॉलेज, एम्स या विश्वविद्यालय बना, ना ही कोई नयी रेलवे या मेट्रो लाइन आई। हुड्डा ने पंचकूला में बने राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) का उदहारण देते हुए कहा कि यह कांग्रेस सरकार का प्रोजेक्ट है। मौजूदा सरकार ने सिर्फ इसको लटकाने और अब फीटा काटने का काम किया है। इसी तरह पिछले 8 साल में जो भी परियोजनाएं हरियाणा में स्थापित हुईं, वो कांग्रेस कार्यकाल में मंजूर व शुरू हुईं थी। बावजूद इसके इस सरकार को इतना कर्ज लेने की जरूरत क्यों आन पड़ी?

हुड्डा ने कहा कि यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार का प्रदेश की अर्थव्यवस्था की तरफ कोई ध्यान नहीं है। सरकार का पूरा ध्यान सिर्फ घपले घोटालों को अंजाम देने और उनको दबाने में लगा है। अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सबसे जरूरी है निवेश। प्रदेश में निवेश तभी आएगा जब यहां पर कानून व्यवस्था बेहतर और सुरक्षित माहौल होगा। 2005 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद उसने कानून व्यवस्था को सुधारा और हरियाणा से सभी गैंगस्टर्स का सफाया किया। प्रदेश में सुरक्षित माहौल बनने का नतीजा रहा कि हरियाणा निवेशकों की पहली पसंद बन गया। उस वक्त जापान का 70% निवेश अकेले हरियाणा के गुड़गांव में हुआ था।

लेकिन आज स्थिति विपरीत है। अपराधियों के डर से निवेशक हरियाणा के बजाय अन्य राज्यों का रुख कर रहे हैं। क्योंकि इस सरकार ने हरियाणा को अपराधियों की शरणस्थली बना दिया है। आज प्रदेश का हर नागरिक को खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। ना यहां जनता सुरक्षित है और ना ही जनप्रतिनिधि। विधायकों तक को फिरौती और जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि प्रदेश की कानून व्यवस्था, बढ़ते भ्रष्टाचार और आंदोलनों पर तानाशाही कार्यवाही के विरुद्ध कांग्रेस की तरफ से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया है। क्योंकि बीजेपी-जेजेपी गठबंधन घोटालों की सरकार बन गया है। धान खरीद, शराब, रजिस्ट्री, नौकरियों की खरीद-फरोख्त से लेकर फार्मेसी काउंसिल तक दर्जनों बड़े-बड़े घोटाले हो चुके हैं। लेकिन छोटी मछलियों पर खानापूर्ति की कार्रवाई कर बड़े मगरमच्छों को बचा लिया जाता है। सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने पर आंदोलनकारियों के खिलाफ बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की जाती है।

इसका एक उदाहरण हिसार के खेदड़ में भी देखने को मिला। यहां पावर प्लांट की राख गौशाला को देने की जायज मांग को लेकर आंदोलन कर रहे ग्रामीणों पर पुलिसिया लाठीचार्ज करवाया गया। आंदोलनकारियों में से एक की मौत होने के बावजूद किसानों के ऊपर ही हत्या के मुकदमे दर्ज कर दिए गए। हर आंदोलन के खिलाफ सरकार का यही रवैया देखने को मिलता है।

अलग विधानसभा को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि गठबंधन सरकार चंडीगढ़ पर प्रदेश की दावेदारी को कमजोर करने में लगी है। अपने ही प्रदेश की राजधानी में 10 एकड़ जमीन के लिए सरकार केंद्र को 550 करोड़ रुपए भुगतान करने पर सहमत हो गई है। जबकि चंडीगढ़ पर 60-40 के अनुपात में हरियाणा का पूर्ण अधिकार है। अगर विधानसभा भवन छोटा पड़ रहा है तो मौजूदा विधानसभा के साथ ही बिल्डिंग का विस्तार करना चाहिए, ना कि अलग बिल्डिंग बनानी चाहिए।

हुड्डा ने कहा कि जिस रेट पर हरियाणा सरकार 10 एकड़ जमीन ले रही है, अगर उसी हिसाब से देखा जाए 28000 एकड़ में फैले चंडीगढ़ में हरियाणा के हिस्से 12000 एकड़ जमीन आती है। इस हिसाब से अगर हरियाणा को 6 लाख करोड़, हिंदी भाषी क्षेत्र और उसके हिस्से का पानी मिलता है तो हरियाणा अपनी अलग राजधानी बनाने के लिए तैयार है।

लेकिन चाहे चंडीगढ़ की बात हो या भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड की, हर जगह प्रदेश सरकार हरियाणा के अधिकारों पर कुठाराघात कर रही है। बार-बार चेताने और विधानसभा में मुद्दा उठाने के बावजूद सरकार ने बीबीएमबी में हरियाणा के स्थाई सदस्य(सिंचाई) को नियुक्त करने की मांग केंद्र के सामने नहीं रखी। उसका नतीजा यह रहा कि आज बीबीएमबी से हरियाणा को 1000 क्यूसेक पानी कब मिल रहा है। लेकिन कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक हरियाणा के अधिकारों की लड़ाई लड़ती रहेगी। इसी कड़ी में कांग्रेस का अगला ‘विपक्ष आपके समक्ष’ कार्यक्रम 21 अगस्त को यमुनानगर में होगा।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बार-बार मांग करने के बाद अब जाकर प्रदेश सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग बनाने का फैसला लिया है। लेकिन इसमें जातिगत जनगणना के प्रावधान का कहीं कोई जिक्र नहीं है। हुड्डा ने कहा कि जातिगत जनगणना होनी अनिवार्य है जिससे पता चल सके कि किस वर्ग के लोगों की जनसंख्या कितनी है। लेकिन सरकार यह मांग मानने को तैयार नहीं है। सरकार लगातार दलित व पिछड़ों के विरुद्ध फरमान निकाल रही है। क्रीमी लेयर की सीमा को 8 से घटाकर 6 लाख करने का मकसद पिछड़ों को आरक्षण से वंचित करना है। इस फैसले के बाद अब एक चपरासी का बच्चा भी आरक्षण के लाभ से वंचित हो जाएगा।

इसी तरह इस सरकार ने बुजुर्गों और बेसहारा बच्चों की पेंशन पर भी प्रहार किया है। सरकार ने पिछले कुछ महीनों में 4 लाख 76 हजार बुजुर्गों की पेंशन काट दी। इसी तरह सरकार की मदद पर आश्रित 38 हजार बेसहारा बच्चों को मिलने वाली आर्थिक मदद भी रोक दी गई। कुल मिलाकर यह सरकार प्रत्येक वर्ग के अधिकारों पर कुठाराघात करने में लगी है, जिसका कांग्रेस पुरजोर विरोध कर रही है।

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