·       भूपेंद्र सिंह हुड्डा और चौ. उदयभान के नेतृत्व में राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन

·       सरकार की अयोग्यता और अक्षमता की वजह से प्रदेश में कानून व्यवस्था चौपट- हुड्डा

·       गठबंधन सरकार के राज में ना जनता सुरक्षितना जनप्रतिनिधि- हुड्डा

·       भर्ती से लेकर फार्मेसी काउंसिल तक के घोटालों की हो निष्पक्ष सीबीआई जांच- हुड्डा

·       खेदड़ में किसानों पर दर्ज झूठे केस हों वापिस, मृतक किसान के परिवार को मिले मुआवजा और नौकरी- हुड्डा

13 जुलाई, चंडीगढ़ः बिगड़ती कानून व्यवस्था, लगातार सामने आ रहे घोटालों, भ्रष्टाचार और आंदोलनों के विरुद्ध पुलिसिया बर्बरता के मुद्दों को लेकर आज कांग्रेस विधायक राजभवन पहुंचे। पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान के नेतृत्व में विधायकों ने महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष ने महामहिम से बातचीत में उन्हें प्रदेश के हालातों से अवगत करवाया। उन्हें बताया कि सरकार जनता व जनप्रतिनिधियों को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रही है। प्रदेश का हर नागरिक आज खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। असुरक्षित माहौल होने की वजह से प्रदेश का विकास रुक गया है क्योंकि यहां कोई निवेश करने के लिए तैयार नहीं है। इसी वजह से प्रदेश में बेरोजगारी सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है।

ज्ञापन में कहा गया है कि कांग्रेस विधायक प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था, व्याप्त भ्रष्टाचार और सामाजिक अशांति की तरफ महामहिम राज्यपाल का ध्यान दिलाना चाहते हैं। सरकार की अयोग्यता और अक्षमता की वजह से प्रदेश की कानून व्यवस्था चौपट हो गई है। हरियाणा के नागरिक अपनी जान माल की सुरक्षा के प्रति चिंतित हैं। सरकार की नाकामी को लेकर लोगों में आक्रोश है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि विधायकों से भी फिरौती मांगी जा रही है और उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।

पिछले कुछ दिनों में प्रदेश के 6 विधायकों रेणु बाला, संजय सिंह, सुरेंद्र पवार, कुलदीप वत्स, सुभाष गांगोली, मामन खान और उनके परिजनों को धमकियां मिल चुकी हैं। बदमाशों के हौसले इतने बुलंद हैं कि कुलदीप वत्स के घर में घुसकर उनके नौकरों और स्टाफ के साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। यह धमकियां जनप्रतिनिधियों द्वारा अपराध के विरुद्ध उनकी आवाज को दबाने के लिए मिल रही हैं। विधायकों व व्यवसायियों से फिरौती की घटनाएं आम हो गई हैं।

हत्या, बलात्कार, अपहरण छीना-झपटी और कमजोर वर्गों के खिलाफ अपराधों की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। अपराधी बेखौफ और खुले घूम रहे हैं और सरकार उनके सामने विवश, मूकदर्शक और उनकी संरक्षक की भूमिका में नजर आती है।

ज्ञापन में आगे लगातार सामने आ रहे घोटालों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। सरकारी संरक्षण में आए दिन नए-नए घपले घोटाले हो रहे हैं। हर वर्ग भ्रष्टाचार से त्रस्त है। प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में फैले भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ रहा है। इस सरकार में हुए घोटालों की फेहरिस्त लगातार लंबी होती जा रही है। अब हरियाणा फार्मेसी काउंसिल में नया घोटाला सामने आया है। सरकार से जुड़े जिम्मेदार लोगों की वजह से कार्रवाई करने के बजाय मामलों को दबाया जाता है। प्रदेश सरकार घोटालों की सरकार बनकर रह गई है। घोटालों की जांच के लिए कमेटी तो गठित की जाती है लेकिन उसकी फाइनल रिपोर्ट नहीं आती। घोटालों में लिप्त लोगों विरुद्ध किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती। विधायकों की तरफ से सभी घोटालों की सीबीआई द्वारा निष्पक्ष जांच की मांग की गई है।

ज्ञापन में प्रदेश सरकार की तानाशाही को लेकर भी टिप्पणी की गई है। कहा गया है कि भाजपा-जजपा सरकार किसान और मजदूर विरोधी ही नहीं प्रजातंत्र विरोधी भी है। इसीलिए किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों व अन्य वर्गों के आंदोलनों को अलोकतांत्रिक तरीके से दबाया जाता है। आंदोलनकारियों पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। किसान आंदोलन के दौरान पीपली, हिसार, करनाल समेत पूरे प्रदेश में, उसके बाद आंगनवाड़ी, अतिथि अध्यापकों, पीटीआई व अन्य कर्मचारियों पर पुलिसिया बल प्रयोग होता रहा है। हाल ही में खेदड़ बिजली प्लांट की राख गौशाला को देने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन पर भी पुलिसिया बर्बरता की गई। इसमें किसान की मौत हो गई। लेकिन सरकार ने निर्दोष लोगों पर हत्या के झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए।

ऐसे में राज्यपाल से निवेदन है कि मृतक परिवार को उचित मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। सभी झूठे मुकदमों को वापस लेने बारे प्रदेश सरकार को निर्देश दिए जाएं। सरकार को टकराव की बजाए बातचीत व समाधान का रास्ता अपनाना चाहिए। क्योंकि लठ और गोली से नहीं, प्रजातंत्र संवाद से चलता है। प्रदेश के नागरिक शांतिपूर्ण वातावरण में बिना किसी भय, दमन और शोषण के जीवनयापन करें, प्रदेश में संविधान सम्मत सरकार चले, जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन करे, यह सुनिश्चित करवाना महामहिम राज्यपाल की जिम्मेवारी है। इसलिए उनसे अनुरोध किया गया है कि सरकार को अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए उचित निर्देश दिए जाएं।

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