-कमलेश भारतीय ऐसे समाचार आ रहे हैं कि हम हिन्दुस्तानी जनसंख्या में अब सबसे आगे निकलने वाले हैं यानी नम्बर वन बनने जा रहे हैं हमने नम्बर वन चीन को पीछे छोड़कर आगे आ जाना है । रिकाॅर्ड बना देंगे हम । वैसे तो हम नये नये रिकाॅर्ड बनाने के आदी हैं और कहा जाता है कि रिकाॅर्ड बनते ही टूट जाने के लिए हैं । क्रिकेट वाले अपने ही रिकाॅर्ड बनाते और तोड़ते रहते हैं । फिल्म वाले सौ करोड़ के क्लब में शामिल होने के रिकाॅर्ड बनाते रहते हैं और पार्टियों में डूब जाते हैं । दर्द भरी फिल्म कश्मीर फाइल्ज बना कर पल्लवी जोशी और उनके पति दर्द भूल कर कमाई देखते हैं और कश्मीरियों के लिए कुछ नहीं करते । किसानों पर लाठीचार्ज और अत्याचार के रिकाॅर्ड भी देखा जाये तो कम नहीं । लाला लाजपतराय ने तभी तो पगड़ी संभाल ओए जट्टा का नारा दिया था और लाठीचार्ज के चलते ही प्राण दिये थे । अभी हिसार के खेदड में फिर लाठीचार्ज हुआ और एक किसान धर्मपाल ने जान गंवाई । एक साल लम्बे चले किसान आंदोलन में कम से कम छह सौ किसानों की जानें गयीं । यह भी एक रिकाॅर्ड रहा कि इतना लम्बा और शांतिपूर्ण आंदोलन चला और सरकार को झुकना पड़ा । अभी अग्निपथ आंदोलन चल रहा है । इसका क्या रिकाॅर्ड बनेगा , अभी कुछ पता नहीं । वैसे बचपन में ही सुनता आ रहा हूं कि आबादी बढ़ती जा रही है और इस पर नियंत्रण जरूरी है । उन दिनों एक फिल्म गली गली , गांव गांव दिखाई जाती थी । इसमें हीरो देवानंद थे और उनके भाई के ज्यादा बच्चे थे । एक दिन देवानंद को उनकी छोटी सी भतीजी अपना जूता दिखा कर कहती है कि देखो चाचा , इसके तले में इतने छेद हैं कि पूरा हिन्दुस्तान दिखता है इनमें । ज्यादा बच्चों के कारण छोटी छोटी सुविधायें भी उपलब्ध नहीं करवा पाते अभिभावक यह इशारा इस ओर था । फिर आया नारा -हम दो , हमारे दो । गली गली , जगह जगह यह नारा देखने , पढ़ने को मिलता था । फिर लाल तिकोन भी बनाया जाने लगा । पर आपातकाल में हमारे प्यारे चौ बंसीलाल जी ने कुछ इस तरह नसबंदी करवाई कि तौबा तौबा कर उठे देश के नौजवान । बाद में शाह कमीशन के आगे भेद खुले कि बेचारे अनब्याहे ही इस भयंकर नसबंदी आंदोलन के शिकार हो गये क्योंकि नसबंदी ऑपरेशन के रिकाॅर्ड जो बनाने थे । रिकाॅर्ड हमें इस तरह नुकसान भी पहुंचाते हैं । राजनीति में नया रिकाॅर्ड बनाया जा रहा है -सरकारें गिराने का । जब कभी यह सत्ता पलटेगी तो नयी सत्ता इस रिकाॅर्ड को तोड़ पायेगी ? इसमें संदेह है । यह अपनी तरह का रिकाॅर्ड होगा । हालांकि कांग्रेस भी सरकारें गिराती रही लेकिन उसका रिकाॅर्ड बहुत पीछे छूट गया । है न कमाल इस रिकाॅर्ड का कि हर रोज किसी न किसी सरकार के टूट जाने या विधयक की दलबदल की खबरें प्रमुख होती हैं । अपने हिसार में दलबदल करने वाले विधायक ने अपनी कोठी से कांग्रेस का झंडा भी उतार दिया है । होर्डिंग्स बहुत पहले उतरवा दिये थे और ट्वीटर वगैरह से कांग्रेस का सारा प्रचार हटा दिया । अब नयी स्लेट है और नयी पार्टी । रंग दे मोहे रंग दे , नये रंग में । वैसे ये हरियाणा ही तो है जिसने दलबदल सिखाया और इसका नाम रखा गया -आयालाल , गयालाल की राजनीति । अब दल बदलने वालों के रिकाॅर्ड खंगालें तो हरियाणा तो अब यह सिखा कर पीछे रह गया । महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और न जाने कितने प्रदेश हमारे हरियाणा को पीछे छोड़कर आगे निकल गए हैं । अभी हवा में यह बात भी है कि जजपा भी टूट जायेगी और दुष्यंत कह रहे हैं कि हमारे विधायक हैं , हम संभाल लेंगे लेकिन जब आंधी आती है न भैया , तब कब कहां कौन चला गया , पता भी नहीं चलता । ध्यान रखियो अपने घर का भाई । यह दलबदल की महामारी कुछ नहीं छोड़ती और कोरोना से भी ज्यादा तेजी से मार करती है । खैर । रिकाॅर्ड तो नये नये बनते और टूटते रहेंगे । देश को जनसंख्या विस्फोट से बचाने के लिए कारगर कदम उठाने होंगे । हमने तो अमेरिका का वो खराब आटा भी खाया है जो उनके घोड़े भी खाने से मुंह फेर लेते थे । भला हो हरित क्रांति का जिसने हमारे स्टोरेज भर दिये अनाज से और हम मुफ्त अनाज बांट कर चुनाव तक जीतने लगे । है न ? बोलो बोलो ?-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation एचएयू की छात्रा सुरभि का अमेरिका के यूटा स्टेट-यूनिवर्सिटी में एमएस के लिए चयन कुलदीप बिश्नोई : कितनी नावों में कितनी बार ,,,?