गठजोड़ के बावजूद 27 में बनवा पाई अध्यक्ष
पिछली बार अकेली बीजेपी के पास थे 35 निकाय, इस बार 11 कम
मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और नेता विपक्ष नहीं दिखा पाए अपने क्षेत्रों में प्रभाव

भारत सारथी

चंडीगढ़। हरियाणा में 8 साल से सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपनी सहयोगी जजपा के साथ मिलकर 46 नगर निकायों में से 27 पर कब्जा जमा लिया। इनमें से भाजपा ने 24 और जजपा ने तीन निकाय में जीत दर्ज की। 18 नगर परिषदों में से बीजेपी 10 और जजपा 1 में जीती। वहीं 28 नगर पालिकाओं में से भाजपा ने 14 और जजपा के कैंडिडेट्स ने 2 में अध्यक्ष का चुनाव जीता।

कुल मिलाकर देखा जाए तो जननायक जनता पार्टी (जजपा) से गठबंधन के बावजूद बीजेपी इस बार पिछले निकाय चुनाव के प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाई। पिछली बार बीजेपी 21 नगर पालिकाओं में काबिज थी जबकि इस बार वह सिर्फ 14 में जीत पाई। यानि पार्टी ने 7 नगर पालिकाओं में अध्यक्ष पद गवां दिया।

इसी तरह पिछली बार 14 नगर परिषदों में अध्यक्ष पद भाजपा के पास थे लेकिन इस दफा 10 में ही उसके कैंडिडेट अध्यक्ष पद का चुनाव जीते हैं। यानि पार्टी ने पिछली बार के मुकाबले 4 नगर परिषदों में अध्यक्ष पद गंवा दिया। भाजपा ने इस बार कुल 18 में से 14 नगर परिषदों में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था।

दूसरी तरफ, पहली बार निकाय चुनाव लड़ रही जजपा ने बीजेपी से गठबंधन में 4 नगर परिषदों में अध्यक्ष पद के लिए अपने कैंडिडेट उतारे मगर केवल एक में जीत पाई। इन 46 निकायों में से भाजपा को केवल 24 में अध्यक्ष पद मिला जबकि पिछली बार 35 निकायों में उसके अध्यक्ष थे। कहा जा सकता है कि पार्टी के हाथ से 11 निकाय निकल गए।

– सीएम के विधानसभा जिले में एक निकाय में जीती बीजेपी 

सीएम मनोहर लाल के जिले करनाल में 4 नगर पालिकाओं में चुनाव थे। इसमें से सिर्फ एक घरौंडा पालिका में भाजपा का चेयरमैन कैंडिडेट जीत पाया, वह भी मात्र 31 वोट से चुनाव जीता। असंध में कांग्रेस समर्थित, तरावड़ी और निसिंग में निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। सीएम के गृह जिले में 4 अध्यक्ष पदों में से केवल 1 ही सीट जीतना भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। पिछली बार 4 नगर पालिका अध्यक्ष पदों पर भाजपा काबिज थी।

डिप्टी सीएम के हलके में जजपा उम्मीदवार हारा

डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला उचाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते हैं। उचाना नगर पालिका में जजपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा। नरवाना जजपा विधायक रामनिवास का क्षेत्र है। विधानसभा चुनाव में जीतने के बावजूद निकाय चुनाव में पार्टी का उम्मीदवार छठे नंबर पर रहा। चौटाला परिवार के गृह हलके मंडी डबवाली से अजय सिंह चौटाला और नैना चौटाला विधायक रह चुकी हैं। नगर परिषद सीट पर पार्टी उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा। टोहाना में मंत्री देवेंद्र बबली जजपा के विधायक हैं और सरकार में पंचायत मंत्री हैं। इसके बावजूद जजपा उम्मीदवार यहां जीत नहीं सका और दूसरे स्थान पर रहा। शाहबाद में जजपा के विधायक रामकरण काला हैं और यहां जजपा उम्मीदवार ने चुनाव जीता। गुहला चीका में विधानसभा में जजपा विधायक ईश्वर सिंह हैं और यह सीट जजपा ने जीती है।

हुड्डा के गढ़ में कांग्रेस की हुई बुरी हार

रोहतक , झज्जर ओर सोनीपत को हुड्डा का गढ़ कहा जाता हैं लेकिन रोहतक के महम ओर सोनीपत ओर झज्जर में कांग्रेस की नगर निकाय चुनाव में बुरी हार हुड्डा के साथ साथ कांग्रेस के लिए बुरी खबर हैं कांग्रेस हाई कमान को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए कि कमी कहा रही और भविष्य में ओर ज्यादा हालात खराब ना हो कांग्रेस से मतदाताओं का दूर होना प्रदेश में हर रोज कांग्रेस की घटती लोकप्रियता के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता हैं

कुलदीप बिश्नोई ओर कुमारी शैलजा की अनदेखी कांग्रेस को भारी पड़ गई जिसके कारण गैर जाट वोट बैंक कॉंग्रेस से दूर हो गया ओर हुड्डा को अपने गढ़ में ही बुरी हार का सामना करना पड़ा

पहले राज्यसभा चुनाव ओर अब नगर निकाय चुनाव ने हरियाणा कांग्रेस को गहरी चिंता में डाल दिया हैं और सोचने को मजबूर कर दिया है

केजरीवाल की आप पार्टी ने खाता खोला

प्रदेश के 48 नगर निकाय चुनावों में पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ रही आप केवल एक ही सीट पर खाता खोल पाई। आप ईस्मालाबाद नगर पालिका की सीट जीत सकी। हालांकि पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनावों में जीत के बाद हरियाणा में खूब प्रचार प्रसार किया था। चुनावों के दौरान दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कुरुक्षेत्र में रैली भी की थी। परंतु पार्टी को केवल 1 ही सीट पर मिली।

नवीन जयहिंद की टीम ने भी प्रदेश में लहराया परचम

प्रदेश में हुए नगर पालिका ओर नगर निकाय चुनाव में अपने बलबूते नवीन जयहिंद अधिकतर जिलों में अलग अलग वार्ड से भगवान परशुराम के वंशजो ओर फरसाधारियो को भी जीत हासिल करवाने में सफल रहा एक रिपोर्ट के अनुसार 40 के करीब अलग अलग जिलों में अलग अलग वार्ड में नवीन जयहिंद की टीम के समर्थित उम्मीदवारों ने विजय हासिल की जिससे जयहिंद का संघर्ष के लिए ओर हौसला बढ़ गया हैं ओर इसके साथ ही जयहिंद टीम का भी हौसला बढ़ा हैं।

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