लोकतंत्र के हित में नहीं है ईडी जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग- हुड्डा

राहुल गांधी के साथ मजबूती से खड़ी है कांग्रेस- हुड्डा

हमारे बुजुर्गों ने आजादी व लोकतंत्र के लिए दी कुर्बानियां, उसे कमजोर नहीं होने देंगे- हुड्डा

लोक लाज से ही चलेगा लोकतंत्र, संस्थाओं के दुरुपयोग से होगा कमजोर- हुड्डा

फौज में ठेके पर भर्ती ना देशहित में, ना जवानों के हित में और ना ही फौज हित में- हुड्डा

दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कर रहे हैं अग्निपथ योजना का विरोध- हुड्डा

‘जय जवान, जय किसान’ के नारे से ही मिलेगी देश को मजबूती- हुड्डा

20 जूनः अग्निपथ योजना ना देशहित में है, ना जवानों के हित में और ना ही फौज के हित में। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा आज अग्निपथ योजना और संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर आयोजित कांग्रेस पार्टी के धरना प्रदर्शन को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक द्वेष के चलते कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ ईडी जैसी संस्थाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन. कांग्रेस अपने नेता राहुल गांधी के साथ मजबूती से खड़ी है।

हुड्डा ने कहा कि जिस आजादी और लोकतंत्र के लिए हमारे बुजुर्गों ने कुर्बानियां दी हैं, उन स्वतंत्रता सेनानियो में मेरे दादा व पिताजी भी शामिल थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए बरसों जेल काटी। देश के लोकतंत्र को कमजोर नहीं होने दिया जाएगा। सरकार को समझना होगा कि लोकतंत्र लोक लाज से चलता है। संस्थाओं का दुरुपयोग करके सरकार देश के लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास कर रही है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अग्निपथ योजना के जरिए सरकार देश की सुरक्षा और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। इजराइल जैसे देश से भारत की तुलना नहीं की जा सकती। क्योंकि, वहां जनसंख्या बहुत कम है और लोग सेना में भर्ती नहीं होना चाहते। भारत की स्थिति इजराइल से अलग है। भारत का युवा सेना में भर्ती होकर खुद को गौरवान्वित महसूस करता है। समाज में एक फौजी का अलग सम्मान होता है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश के सैनिकों को बेहतर पे-स्केल, पेंशन, मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं, कैंटीन, भत्ते व अन्य सेवाओं का लाभ मिलता है। लेकिन, अग्निवीरों को इन तमाम लाभों से वंचित रखा गया है। 4 साल के बाद उनका भविष्य अंधकार में धकेल दिया जाएगा। इसलिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर वो इस योजना का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि, वह खुद सैनिक स्कूल के विद्यार्थी रह चुके हैं। इस नाते से वो आधे फौजी हैं और उनका सेना से जुड़ाव रहा है।

हुड्डा ने कहा कि सरकार को बिना किसी विस्तृत चर्चा, पायलट प्रोजेक्ट या प्रभावित वर्गों को विश्वास में लिए एकदम ऐसा मिलिट्री रिफॉर्म नहीं करना चहिए। उसके लिए पहले फौज की मजबूती, देश की सुरक्षा और युवाओं के भविष्य का उचित आंकलन करना चाहिए। सरकार को समझना चाहिए कि जवानों और किसानों के हितों को नजरअंदाज करके देश आगे नहीं बढ़ सकता। ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे से ही देश मजबूत होगा।

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