देवीदयाल नन्हा की 25 वीं पुण्यतिथि पर विशेष, कुरुक्षेत्र के विकास में अभूतपूर्व योगदान रहा देवी दयाल नन्हा का

परमार्थ के मुक्त गगन में उड़ान भरने को ही उन्होंने अपने जीवन का असली मकसद बनाया।

कुरुक्षेत्र 16 जून : धमीजा प्रमुख पत्रकार स्व. समाजसेवी देवी दयाल नन्हा एक सच्चे कर्मयोगी के रूप में कर्म को संघर्ष को ही सबसे बड़ी पूजा मानकर सदैव कर्म पथ पर अग्रसर रहे लेकिन उनका संघर्ष सिर्फ व्यक्तिगत उन्नति तक ही सीमित नहीं था, बल्कि संघर्ष से हासिल की गई समृद्धि को वे समाज की खुशहाली के लिए न्योछावर करते रहे। स्वार्थ को संकुचित दायरा कभी भी उन्हें रास न आया, परमार्थ के मुक्त गगन में उड़ान भरने को ही उन्होंने अपने जीवन का असली मकसद बना लिया। अपने संघर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में अनोखी ऊंचाई तक पहुंचाने के क्रम से देवीदयाल नन्हा ने जो समृद्धि हासिल की, उसका इस्तेमाल उन्होंने झूठी शान-शौकत के लिए नही, बल्कि शोषित, अशिक्षित, दीन-हीन लोगों की सेवा, शहर के विकास तथा धर्मनगरी के सरोवरों के जीर्णोद्धार के लिए किया। देवी दयाल ननहा की 25 वीं पुण्यतिथि 19 जून को दोपहर 3:00 बजे गीता ज्ञान संस्थान में स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के सानिध्य में मनाई जा रही है जिसमें मुख्य अतिथि पंजाब केसरी के संपादक विजय कुमार चोपड़ा होंगे जबकि अध्यक्षता क्षेत्र के सांसद नायब सिह सैनी करेंगे। अति विशिष्ट अतिथि विधायक सुभाष सुधा होंगे जबकि विशिष्ट अतिथि के रुप में लाडवा के प्रमुख समाजसेवी संदीप गर्ग शिरकत करेंगे।

इस मौके पर स्वामी ज्ञानानंद तथा संदीप गर्ग जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से पीडि़त परिवारों के लिए राशन सामग्री के दो ट्रक भेजेंगे। देवी दयाल नन्हा फाउंडेशन की ओर से विधवा एवं गरीब महिलाओं को राशन सामग्री तथा स्कूल बच्चों को पुस्तकें एवं वितरित की जाएगी। देवी दयाल नंहा का आकस्मिक निधन 17 जून 1997 को हो गया था ।

व्यक्तित्व में भी रहा अनोखा आकर्षण।
बचपन से लेकर जीवन के अंतिम क्षणों तक देवी दयाल नन्हा का जिंदगी को लेकर अपना एक अलग ही नजरिया रहा। परिस्थिति कैसी भी रही, उनके चेहरे की मुस्कराहट कभी फीकी न रही, एक अबोध शिशु के चेहरे पर खिली रहने वाली मुस्कराहट जैसी प्रफुल्लता हमेशा उनके चेहरे की भी शोभा बढ़ाती रही। जो भी व्यक्ति किसी कार्य के लिए उनके पास आता, खाली नही लौटता था। जब तक कार्य पूर्ण हो नही जाता था, तब तक वह निरंतर प्रयासरत रहे। सैकड़ों लोगों को रोजगार दिलवाकर एक मिसाल कायम की। यही नहीं शहर के विकास में भी उनकी अग्रणी योगदान रहा।

समाज के उत्थान के लिए सार्थक प्रयास।
नन्हा जी का ताल्लुक एक संस्कारी परिवार से था। उनके पिता भक्त मूलचंद धमीजा धार्मिक एवं समाजसेवी थे जिहोंने अपने पुत्र को समाज सेवा के लिए प्रेरित किया। साधारण परिवार में जन्में नन्हा जी ने संघर्ष करते हुए समाज सेवा के लिए अपनी कड़ी मेहनत की कमाई को सहर्ष न्योछावर करना भी शुरू कर दिया। अमर शहीद लाला जगत नारायण, गुलजारी लाल नंदा, स्वामी गीता नन्द जी, स्वामी कल्याण देव जी महाराज, स्वामी गणेशानंद जी महाराज, देवेंद्र स्वरूप ब्रह्मचारी के साथ मिलकर उन्होंने कुरुक्षेत्र में आकाशवाणी केंद्र, आयुर्वेदिक कॉलेज, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, गीता धाम, कृष्ण धाम, हनुमान मंदिर, ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर आदि के निर्माण में अपना भरपूर योगदान दिया।

हरियाणा के पत्रकारों के कल्याण के लिए योगदान।
हरियाणा के पत्रकारों को सुविधाएं दिलवाने में उनका अहम योगदान रहा। हरियाणा मान्यता प्राप्त पत्रकार संघ के बैनर तले पत्रकार अधिवेशन व सेमिनार आयोजित किए गए और इन सम्मेलनों में प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लाला जगत नारायण, श्री विजय चोपड़ा व अन्य हस्तियां भाग लेती रही। देश के जाने-माने पत्रकार कुलदीप नैयर, खुशवंत सिंह, हरिजय सिंह, सरदारा सिंह पागल व अन्य प्रमुख हस्तियों को लाला जगत नारायण अवार्ड से नवाजा गया। पत्रकारों को सरकार से मान्यता दिलवाने, मेडिकल सुविधा, आर्थिक सहायता दिलवाने में अहम रोल रहा।

कायम होते गए अनोखे कीर्तिमान।
परमात्मा की कृपा और अपने कठिन संघर्ष से श्री देवीदयाल नन्हा ने जो समृद्धि और शोहरत अर्जित की, वह अपने आप में एक अनोखी मिसाल है। अपने लंबे संघर्षमय जीवन में एक आदर्श गृहस्थ के रूप में अपने सभी दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया। संघर्ष के कठिन दौर में भी उनके चेहरे पर शिकस्त तक न आई और सफलता के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान होने के बावजूद अहंकार उनका स्पर्श न कर सका। इसी प्रकार पारिवारिक दायित्वों को भी ईमानदारी के साथ निभाया। उन्हें पहला लाला जगत नारायण अवार्ड सहारनपुर पत्रकार मंच ने प्रदान किया । इसके अलावा विभिन्न संगठनों की ओर से अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

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