जीवन में समाज के प्रति आपका किरदार आपको हमेशा जीवित रखता है

राजश्री शर्मा

जन्म व मृत्यु के बीच हमे एक जीवन जीना पड़ता है । जोकि आपको समाज मे आपके किरदार से हमेशा ही जीवित रखता है । ऐसे ही गंगानगर निवासी एक महान आत्मा श्री दयाल चंद स्वामी जी 15 जून 2022 को हमे रोता बिखलता छोड़ अपनी स्वर्ग यात्रा पर चले गये ।

हमेशा लोगो के सुख दुख के साथी रहे श्री दयाल चंद स्वामी जी का जन्म 1936 में हुआ । उन्होंने हमेशा अपना जीवन बड़ी सादगी व लोगो की सेवा करते हुए जिया है । इसीलिये उनके निधन पर उनके साथ रहे उनके साथी व परिवार के लोग अपने आंसू रोक नही पा रहे ।

उनके मन मे हमेशा एक कलाकार जीवित रहा और उन्होंने अपनी कला की प्रतिभा को रामलीला में राम बनना व श्रवण कुमार के रोल से उस किरदार को जीवित रख दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया था ।

महज 15 साल की उम्र में श्री दयाल चंद स्वामी 1951 में घर में बिना किसी को बताये डेढ़ सौ रूपये लेकर अपनी कला की प्रतिभा को दिखाने के लिये बम्बई चले गए । करीब दो महीने बम्बई में रहने के बाद वे वापिसी घर लौटे! उनकी कलाकारी को देखते हुए व बम्बई का इतना लगाव देख उनकी माता बसंती देवी ओर पिता श्री रामानन्द स्वामी ने उनका विवाह मुरादवाला में रहने वाले श्री रामचंद्र स्वामी ओर कस्तूरी देवी की सुपुत्री परमेश्वरी देवी के साथ विवाह किया गया ओर मेरे पिता का विवाहिक जीवन कुछ समय फाजिल्का में रेवड़ी मूंगफली की रेहड़ी लगाने में बीता! ओर 1963 में अपने नए कारोबार के साथ हलवाई का काम श्री गंगानगर (राजस्थान) में शुरू किया ।

जिस तरह एक कलाकार अपनी कलाकारी दिखाए बिना रह नही सकता उसी प्रकार एक बार फिर 1971 में उन्होंने फ़िल्म इंड्रस्टी में अपनी किस्मत आजमाने बम्बई चले गए! ओर कलाकारों के साथ रहना जैसे – अभिनेता राज कपूर, राजेंद्र कुमार, प्राण, अभिनेत्री मीना कुमारी जय श्री टी, हेलन, गायक जगजीत सिंग, शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध कलाकार पंडित जसराज जैसे महान कलाकारों के साथ उठना बैठना रहा ओर काफ़ी बार उन कलाकारों को अपने साथ गंगानगर भी लाया करते थे! 1982 में एक फ़िल्म बनाई जिसका नाम राख़ ओर चिंगारी रखा गया! आज भी ये फ़िल्म यूट्यूब में आसानी से मिल जाएगी! इस फ़िल्म में विध्या सिन्हा, अनिल धन, विनोद मेहरा अन्य कलाकार थे ओर इस फ़िल्म में गायक रफ़ी साहब ओर आशा भोसले ने गीत गाये! पर ये फ़िल्म चल नही पाई फ्लॉप होने के कारण मेरे पिता फिर श्री गंगानगर आ गए मगर बम्बई आना जाना लगा रहता था! कलाकार के साथ साथ वो एक अच्छे समाजसेवी भी थे उनके हिर्दय में दुसरो के लिए दया भावना हमेशा ही रही थी जैसे वृद्ध आश्रम में पंखे या कूलर लगवाने, गौ शाला में दवाइयां उपलब्ध करवाना, जरुरतमंदो का ईलाज करवाना! मेरे पिता के चार बच्चे 3 लड़की ओर एक लड़का है । श्री दयाल चन्द स्वामी ने अपनी जिम्मेदारियों को बहुत अच्छे तरीके से निभाया! ओर अपने पोते पोतीया ओर पडपोते पडपोतिया दोते, दोहतिया को खिलाते हुए उनके जीवन के संघर्ष को आने वाली पीड़ियां कभी नही भूलेगी ओर जैसे उन्होंने अपना जीवन समाजसेवी के रूप में दुसरो के लिए जिया ।

उनकी सबसे छोटी बेटी राजश्री शर्मा भी उनके नक्शेकदम पर चलते हुए समाज सेवा में लग मोगा से राधे राधे स्वस्थ बनादे ट्रस्ट (मोगा ) का संचालन कर परिवार के साथ साथ लोगो की सेवा में अपना समय व्यतीत करती हैं ।

उनकी छोटी पुत्री राजश्री शर्मा ने कहा कि उनके पिता उनके आदर्श व गुरु थे । जिन्होंने उनको हर कदम पर उनका साथ दे नई दिशा दिखाई है ।उनके देहांत के बाद सब कुछ सुना हो गया ओर राजश्री शर्मा को अपने पिता को खोने का गहरा घाटा ओर सदमा लगा है। क्युकी अपने पिता से राजश्री शर्मा को मार्ग दर्शन मिलता था! पिता व गुरु श्री दयाल चंद स्वामी जी को मेरी सही श्रद्धांजलि तब होगी जब में उनके नक्शे कदम पर चल आवाम की सेवा कर सकूंगी ।

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