– गुरूग्राम में लक्ष्य प्राप्ति को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित– कार्बन उत्सर्जन नगण्य करने के लिए सभी को मिलकर करने होंगे प्रयास-पी राघवेन्द्र राव, चेयरमैन हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड– हर नागरिक अपने तरीके से र्प्यावरण संरक्षण में करे सहयोग गुरूग्राम, 6 जून। गुरूग्राम में सन् -2050 तक ‘नेट जीरों उत्सर्जन‘ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक्शन प्लान बनाई जाएगी। यह कार्य गुरूग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) द्वारा मार्च-2023 तक किया जाएगा जिसमें ‘द सेलेशियल अर्थ‘ और ‘शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन‘ तकनीकी सहयोग देंगे। यह घोषणा सोमवार को गुरूग्राम में ‘सन् -2050 तक नेट जीरो गुरूग्राम के लिए क्लाइमेट एक्शन प्लान‘ पर आयोजित सिटी लेवल वर्कशॉप में की गई। गुरूग्राम के सैक्टर-44 स्थित अपैरल हाउस ऑडिटोरियम में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेन्द्र राव मुख्य अतिथि थे और जीएमडीए के एडिश्नल सीईओ सुभाष यादव ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। यह कार्यशाला जीएमडीए , जिला प्रशासन तथा नगर निगम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की गई। अपने संबोधन में पी राघवेन्द्र राव ने जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कार्बन उत्सर्जन के स्तर को कम करने या नगण्य करने के लिए हर व्यक्ति को अपने तरीके से योगदान देना होगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हम सभी की सामुहिक जिम्मेदारी है। हमें क्लीन एंड ग्रीन लाइफस्टाइल अपनाना चाहिए। उन्होंने पौधारोपण के महत्व के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि हम सांस लेते हैं तो कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं और पेड़-पौधे कार्बन डाईऑक्साइड को सोखकर अपना भोजन बनाते हैं, परिणामस्वरूप उन पर फल व फूल लगते हैं। श्री राव ने यह भी कहा कि फोसिल फ्यूल अर्थात् जीवाश्म ईंधन का प्रयोग कम करते हुए अक्षय उर्जा का प्रयोग बढ़ाएं, जोकि प्रकृति में कार्बन उत्सर्जन कम करने में सहायक होगा। इसी प्रकार, जमीन में भूजल स्तर लगातार नीचे जाता जा रहा है और पानी की प्रति व्यक्ति खपत बढ़ गई है, इसलिए अब हमें सिवरेज के ट्रीटेड पानी का पुर्न उपयोग करने के बारे में सोचना जरूरी है। ऐसे उपायो को अपनाकर ही हम भावी पीढ़ियों के लिए बेहतर और सुरक्षित विश्व छोड़ पाएंगे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण जरूरी है तभी हम प्रदूषण को नियंत्रित कर पाएंगे। श्री राव ने विभिन्न उदाहरण देते हुए पर्यावरण संरक्षण को लेकर आ रही भविष्य की चुनौतियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कॉप-26 यूएन क्लामेट कान्फ्रेंस में कार्बन फुटप्रिंट कम करने की भारत की प्रतिबद्धता दर्शाते हुए कहा था कि भारत वर्ष-2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त कर लेगा। उन्होंने भारत के पंचअमृत क्लाइमेट एक्शन की भी जानकारी विश्व को दी थी। इसी कड़ी में गुरूग्राम में जीएमडीए द्वारा आयोजित यह कार्यशाला सराहनीय है। इसमें गुरूग्राम में नेट जीरों उत्सर्जन के लिए वर्ष-2050 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि क्लामेट चेंज हमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दो प्रकार से प्रभावित करता है। प्रत्यक्ष रूप से जैसे तापमान में बढ़ोतरी होना या एक ही दिन में अत्यधिक बरसात का होना और अप्रत्यक्ष प्रभाव में बीमारियों का प्रकोप होना आदि शामिल है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अभी से आवश्यक इंतजाम किए जाने आवश्यक है। इन चुनौतियो से निपटने के लिए ही विश्व र्प्यावरण दिवस मनाया जाना शुरू किया गया ताकि लोगों को इन चुनौतियों के प्रति सचेत किया जा सके। सन् 1972 में स्टॉकहोम नामक स्थान पर र्प्यावरण विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई। इसके बाद वर्ष-1974 में यूएसए में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। श्री राव ने कहा कि पर्यावरण संबंधी चुनौतियों को समझने से पहले हमें मनुष्य, लाइफस्टाइल तथा पर्यावरण में आपस में क्या संबंध है,इसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि धरती पर केवल मनुष्यों का ही हक नही है,अन्य जीव जंतुओ का भी बराबर अधिकार है। इस अवसर पर जीएमडीए से एडिश्नल सीईओ सुभाष यादव ने कार्यशाला में आए अतिथियों का स्वागत करते हुए इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कार्बन फुटप्रिंट जीरो करने के लिए जीएमडीए द्वारा कार्ययोजना तैयार की जा रही है जिसमें दोनो एजेंसियो नामतः ‘द सेलेशियल अर्थ‘ और ‘शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन‘ द्वारा सहयोग किया जाएगा। ये दोनो संस्थाएं गुरूग्राम में कार्बन उत्सर्जन का अध्ययन करके उसे नगण्य करने के उपायों के सुझाव देते हुए रिपोर्ट देंगी। श्री यादव ने जीएमडीए द्वारा पर्यावरण सुधार की दिशा में किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि जीएमडीए की अधीन आने वाले क्षेत्र में वर्ष-2041 तक की अनुमानत जनसंख्या और र्प्यावरण की संभावित स्थिति को ध्यान में रखते हुए एन्वायमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है जबकि संपूर्ण गुरूग्राम जिला के लिए डिस्ट्रिक्ट एन्वायरमेंट प्लान तैयार कर लिया गया है। पूरे दिन चली कार्यशाला में र्प्यावरण व जलवायु परिवर्तन से जुड़े अलग-2 विषयों पर 6 सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे और उपाय भी सुझाए। कार्यशाला में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कुलदीप सिंह व संदीप सिंह , द सेलेशियल अर्थ नामक संस्था से डा. तान्या भट्टाचार्य, शक्ति फाउंडेशन से विवेक चंद्रन सहित कई विशेषज्ञ उपस्थित थे। Post navigation पुलिस भर्ती के नाम पर ठगी करने वाले को पुलिस ने दबोचा योग का अर्थ शरीर से आत्मा का जुड़ना व एकजुट होना: पी.के.सिंह