भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार का रवैया सख्त चंडीगढ़, 25 मई- भ्रष्टाचार में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, पर एक पुख्ता उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मनोहर लाल के नेतृत्व वाली सरकार ने शहरी स्थानीय विभाग के 6 कर्मचारियों को वर्ष 2017 तथा 2018 यानि चार वर्ष पुराने गबन के मामलों में निलम्बित किया है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इनके विरूद्ध एफआरआई भी दर्ज की जाए। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल आरम्भ से ही बार-बार स्पष्ट कहते हैं कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं, चाहे सरकारी कर्मचारी हो या अधिकारी हो। यदि कोई भी भ्रष्टाचार के मामले में संलिप्त पाया गया तो उसे छोड़ा नहीं जाएगा। इस सम्बंध में एक सरकारी प्रवक्ता ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि चार वर्ष पहले सीएम विंडो पर इन दोषी अधिकारियों के विरूद्ध गबन के मामले की दो शिकायतें प्राप्त हुई थी और उनके विरूद्ध लगाए गए आरोपों की पूर्ण रूप से जांच की गई और उन्हें दोषी पाया गया। इन अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय जांच में भी सख्त कार्यवाही करने की सिफारिश करके एक पुख्ता उदाहरण प्रस्तुत किया गया। विभागीय जांच की रिपोर्ट प्राप्त होने के उपरांत मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि न केवल इन अधिकारियों को निलम्बित किया जाए बल्कि इनके विरूद्ध एफआईआर भी दर्ज करवाई जाए। घटनाक्रम- मामला कैसे उजागर हुआवर्ष 2017 के आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार सीएम विंडो पर जिला नूंह में पालड़ी रोड से मदर प्राईड स्कूल तक अनाधिकृत क्षेत्र में मिट्टी भराई के कार्य के 50000 रुपये से 5 लाख रुपये तक के मूल अनुमानों में गड़बड़ी की शिकायत की गई थी। इन अनुमानों को सक्षम अधिकारी के अनुमोदन के बिना संशोधित कर दिया गया। जैसा कि अनाधिकृत क्षेत्रों में किये जाने वाले कार्य निष्पादन के निर्धारित नियमों व प्रावधानों की अवेहलना कर पूरी राशि का भुगतान कर दिया गया। बाद में इस शिकायत को जिला उपायुक्त, नूंह को भेजा गया तथा जिला उपायुक्त की जांच रिपोर्ट में टिप्पणी की गई कि, उस अवधि के दौरान कार्यरत रहे पंचायती राज संस्थान से प्रतिनियुक्ति पर आए कनिष्ठ अभियंता जसमीर, निगम अभियंता जावेद हुसैन (अब नगर परिषद नूंह में तैनात), कनिष्ठ अभियंता राजेश दलाल (अब नगर पालिका सांपला में तैनात) तथा निगम अभियंता लक्ष्मी चंद राघव (अब नगर निगम करनाल में सहायक अभियंता के पद पर तैनात) के विरूद्ध उचित कार्यवाही करने की सिफारिश की गई है। जबकि इसी प्रकार की एक शिकायत प्राप्त हुई जोकि वर्ष 2018 में बवानीखेड़ा शहर की मुख्य सडक़ पर गलियों की लाईटें लगाने के सम्बंध 18 दिसम्बर, 2016 को मुख्यमंत्री घोषणा कोड नम्बर 18152 के अंतर्गत 99.73 लाख रुपये के कार्य के टेंडर आमंत्रित करने बारे थी । इसमें उचित टेंडरिंग प्रक्रिया को अपनाया नहीं गया और इसमें टैक्निकल बिड से सम्बंधित दस्तावेजों की कॉपी ऑनलाइन टैक्निकल बिड खोलने की तिथि 9 अप्रैल, 2018 के बजाय 6 अप्रैल, 2018 को ही प्राप्त कर ली गई। इस मामले की अतिरिक्त उपायुक्त भिवानी द्वारा जांच की गई और उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रारम्भिक स्तर पर टेंडर प्रक्रिया के नियमों का पालन नहीं किया गया है। नगर अभियंता पंकज ढांडा (अब नगर निगम यमुनानगर में सहायक अभियंता के पद पर तैनात) तथा नगरपालिका बवानीखेड़ा के तत्कालीन अभियंता (अब नगर निगम, हिसार में कार्यरत) द्वारा की गई लापरवाही व खामियां जांच रिपोर्ट वर्णित हैं। Post navigation भाजपा गठबंधन सरकार युवाओं को नौकरी देने की बजाय नशे की आग में झोंक रही है: अभय सिंह चौटाला कमल से प्रेरणा लेकर जनता की समस्याओं का समाधान करना हमारी जिम्मेदारी: मनोहर लाल