बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाना इनका शौक है और इन कार्यों को करने से इन्हें खुशी मिलती है। इनका मकसद है कि सरकार विद्यालय में जो भी सुविधाएँ प्रदान कराती है, उनका बच्चों को अधिक से अधिक लाभ मिलना चाहिए। –प्रियंका ‘सौरभ’ शिक्षित समाज की नींव रखने में एक शिक्षक की अहम भूमिका होती है। हिसार में रह रहे जिला भिवानी के एक शिक्षक ऐसे भी हैं जो न केवल बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं, बल्कि स्वच्छ पेयजल के लिए नहरों में बहकर आने वाली पॉलिथीन, खाली बोतल और अन्य पूजा-पाठ की सामग्री को बाहर निकालते हैं। यहां बात हो रही है सिवानी मंडी जिला भिवानी के गुरेरा गांव के रहने वाले और बड़वा गांव के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में कार्यरत विज्ञान अध्यापक श्री भूपेंद्र सिंह गोदारा की। जिन्होंने रोहतक के डॉ जसमेर हुड्डा के मिशन से प्रेरणा लेकर इसे हिसार के इलाके में शुरू किया है। बड़वा गांव के राजकीय कन्या उच्च विद्यालय में कार्यरत विज्ञान अध्यापक श्री भूपेंद्र सिंह गोदारा विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं। आज तक जिस भी विद्यालय में इन्होंने सेवाएं दी है वहां के बच्चे, अभिभावक और ग्रामवासी इनकी मेहनत के गुण गाते हैं। ये पिछले 25 साल से शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं। हरियाणा के शिक्षा विभाग में सबसे पहले इनकी नियुक्ति भिवानी के एक छोटे से गाँव सिढ़ान के सरकारी स्कूल में हुई। यहां पर इन्होंने 6 वर्ष काम किया; सिवानी खंड के गांव लीलस में 1 वर्ष और किकराल में 13 वर्ष शिक्षण कार्य किया। लीलस विद्यालय में गणित, हिंदी, अंग्रेजी व सामाजिक अध्ययन जैसे महत्वपूर्ण विषयों के पद रिक्त होने के कारण इन्होने वहां के मुख्याध्यापक और गांव के शिक्षित साथियों का उपरोक्त विषय पढ़ाने में सहयोग लिया। 2 वर्षों तक हिसार के टोकस कन्या विद्यालय में रहकर हरे-भरे बगीचे लगाए तो पर्यावरण मित्र के रुप में उभरे। ईमानदारी से कार्य करना, समय के पाबंद, विद्यालय की साफ-सफाई में पूरा सहयोग देना, स्वच्छता के बारे में जागरूक करना, स्वच्छता के लिए विद्यार्थियों के साथ रैली निकालना, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना, हिंदी दिवस, मातृभाषा दिवस, रोल मॉडल प्रोग्राम, 15 अगस्त व 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्व पर बच्चों में जोश भरने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये बच्चों को विज्ञान विषय बहुत ही अच्छे तरीके से पढ़ाते हैं। विज्ञान विषय का बच्चों में एक फोबिया रहता है कि यह एक कठिन विषय है; परंतु ये विज्ञान की प्रत्येक विषयवस्तु को क्रियाकलाप और चित्रों द्वारा बहुत ही सरल तरीके से ब्लैक बोर्ड पर समझाते हैं और कक्षा एवं कक्षा के बाहर विषयवस्तु के अनुसार प्रयोग एवं क्रियाकलाप द्वारा समझाने का कार्य करते हैं। विज्ञान विषय और नैतिक मूल्य के टॉपिक प्रार्थना सभा में लगातार बताते रहते हैं। अपने विषय की अतिरिक्त बच्चों की इच्छा पर दूसरे विषय को भी समझाने में रुचि रखते हैं। बड़ी रुचि से बच्चे इनकी कक्षा में पढ़ते हैं। विज्ञान प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए बच्चों को मॉडल व चार्ट बनाने में पूर्ण सहयोग करके आगे बढाते हैं। बीते दो सालों में संकट की घड़ी कोरोना काल में भी इन्होंने पढ़ाने का कार्य जारी रखा। इस दौरान उन्होंने बच्चों के घर पर जाकर होमवर्क चैक करना व उनकी समस्याओं को सुलझाने का कार्य भी किया। व्हाट्सएप, जूम मीटिंग, और गूगल मीट पर बच्चों को लगातार पढ़ाया। यूट्यूब चैनल पर भी वीडियो बनाकर बच्चों को विज्ञान विषय के महत्वपूर्ण टॉपिक समझाएं। विद्यार्थियों को स्मार्ट क्लास और प्रोजेक्टर के द्वारा विज्ञान के मुश्किल टॉपिक समझाते हैं। कोरोना काल महामारी में इन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीमों के साथ ड्यूटी देकर पूर्ण सहयोग किया। समाज को इस बीमारी से सतर्क किया और इसके बचाव के बारे में अवगत कराया। ये पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए भी बहुत से कार्य कर रहे हैं। विद्यालय के सेवाकर्मियों व बच्चों के साथ मिलकर प्रांगण को सुंदर और और हरा-भरा बनाने में लगे रहते हैं। अध्यापक गोदारा का कहना है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने से ही मनुष्य व जीव-जंतुओं का जीवन सुरक्षित रहेगा। जल दिवस पर ये बच्चो को पानी व्यर्थ न बहाने, आस्था और अंधविश्वास के नाम पर जल में हवन सामग्री, मूर्तियां व अन्य सामग्री व पदार्थ न डालने की प्रेरणा देते हैं। ये समाज के लोगों से जल को स्वच्छ रखने के लिए सहयोग की अपील करते हैं। मंच संचालन करना, प्रार्थना सभा करवाना, पीटी करवाना, योग व प्राणायाम करवाना, क्विज प्रतियोगिता करवाना, पेंटिंग बनवाना, बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाना इनका शौक है और इन कार्यों को करने से इन्हें खुशी मिलती है। इनका मकसद है कि जब सरकार विद्यालय में सुविधाएँ देती है तो उनका बच्चों को अधिक से अधिक लाभ मिलना चाहिए। प्रत्येक वर्ष “प्रवेश उत्सव” मना कर बच्चों को सरकारी विद्यालय में पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि बच्चों को सस्ती और गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान हो सके। इसके अतिरिक्त इन्होंने विद्यालय की दीवारों पर हमारे देश के महान व्यक्तियों जैसे- स्वामी दयानंद सरस्वती, नेताजी सुभाष चंद्र बोसे के साथ-साथ अनेकों वीरों और देशभगतों की शानदार पेंटिंग भी बनाई है। पेंटिंग का शौक इन्हें विद्यार्थी काल से ही है। इनका मानना है कि अध्यापक का जीवन अपने लिए नहीं होता बल्कि दूसरों के लिए समर्पित होता है जो समाज को सही शिक्षा देने का कार्य करता है। हाल ही में इनकी प्रमोशन एलिमेंट्री स्कूल हैडमास्टर के रूप में हो चुकी है परंतु अभी इस पद पर कार्य ग्रहण करना बाकी है। आज जरूरत है राष्ट्र को, समाज को, ऐसे मेहनती, कर्मठ, ईमानदार, समय के पाबंद अपने विषय के प्रति लगाव व रुचि रखने वाले अध्यापकों की। Post navigation चिंता का सबब बनता गिरता हुआ रुपया हमें सुनिश्चित करना होगा कि लड़कियां स्कूल न छोड़ें ……