योगेश कौशिक,

गुरुग्राम। 22 मई 2022 को पराहवर (रोहतक) गांव में आयोजित की गई भगवान परशुराम जयंती के बारे में कुछ असामाजिक लोग अपने निजी स्वार्थों के कारण वहां दंगा भड़काने के चक्कर में हैं। ब्राह्मणों को इस तथ्य पर गुमराह किया जा रहा है कि जमीन लेकर रहेंगे, जबकि मुख्यमंत्री ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह जमीन ब्राह्मणों की है और ब्राह्मणों की ही रहेगी। शासक से या सरकार से कोई चीज लेनी हो तो उसके लिए नियम निहित कार्यवाही करनी चाहिए ना कि धमकी भरे अंदाज में कोई चीज मांगी जाए।

 विप्र फाउंडेशन के प्रदेश सचिव योगेश कौशिक ने कहा की मैं मानता हूं कि हम ब्राह्मण भगवान परशुराम जी के वंशज हैं लेकिन क्या हमने कभी भगवान परशुराम जी के कृत्यों का विश्लेषण किया है, भगवान परशुराम जी ने 21 बार जो क्षत्रियों का नाश किया था और भूमि को क्षत्रिय विहीन किया था, उसमें वह क्षत्रिय थे जो अत्याचारी और अनाचारी थे। यदि सभी क्षत्रियों का समूल नाश कर दिया होता तो बार-बार क्षत्रिय कहां से पैदा हो गए, जो भगवान परशुराम जी को 21 बार उनका नाश करना पड़ा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भगवान परशुराम जी की माता रेणुका जी स्वयं एक क्षत्राणी थी, इस प्रकार भगवान परशुराम सभी क्षत्रियों का नाश कैसे कर सकते थे।

ब्राह्मण एक बुद्धिजीवी कौम है, हमें बुद्धि से काम लेना चाहिए और सरकार से कोई भी मांग करने से पहले दिमाग में इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार स्वच्छंद नहीं हुआ करती सरकार भी कुछ नियम और कानून से बंधी हुई होती है। हमें उन नियमों के अनुरूप चलकर ही सरकार से कोई चीज मांगनी चाहिए। हां अपनी मांग मनवाने के लिए दबाव बनाना एक अन्य बात है क्योंकि जब तक गन्ने को दबाया नहीं जाता तब तक उसमें से रस नहीं निकलता अतः हमें सरकार पर अनुशासन में रहते हुए न्याय संगत दबाव बनाना चाहिए न की उच्छृंखलता और कानून विरोधी कार्य करके अपने समाज को बदनाम करते हुए अनुचित कार्य करना चाहिए।

उपरोक्त हालात में मेरा सभी ब्राह्मण बंधुओं से निवेदन है कि वह ऐसे कार्यक्रम में भाग लेने से बचें और शांति प्रिय ढंग से अपनी कोई भी मांग बनवाने के लिए सरकार पर नीति संगत दबाव बनाएं, न की अनुशासनहीनता की ओर बढ़ कर अपने समाज को बदनाम करने का कार्य करें। यहां यह भी उल्लेखनीय है की आज जो ब्राह्मण समाज की दुहाई दे रहे हैं कल तक वे लोग अपने आप को राष्ट्रवादी कहलाने में गौरव महसूस करते थे न की ब्राह्मण कहलाने में। अतः समझदारी से काम लें और अपना शांति प्रिय रास्ता चुनें।

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